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कोरोना का खात्मा अभी नहीं हो सकता, इसके साथ जीना सीखना होगाः एम्स निदेशक डॉ. रविकांत - Aiims rishikesh

एम्स ऋषिकेश के निदेशक डॉ. रविकांत का कहना है कि कोरोना वायरस खत्म नहीं होने वाला, लोगों को इसके साथ ही जीने की आदत डालनी पड़ेगी, अपनी सभ्यता को सुधारना होगा.

Aiims rishikesh director Dr. ravikant
Aiims rishikesh director Dr. ravikant
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Published : May 9, 2020, 10:41 PM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है. उधमसिंह नगर से ताजा सामने आए मामलों के बाद प्रदेश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 67 तक पहुंच गया है. वहीं, एम्स ऋषिकेश में भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज जारी है. ऐसे में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए अस्पताल में क्या कुछ इंतजाम हैं, इसपर एम्स निदेशक डॉ. रविकांत के साथ ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

इस दौरान प्रोफेसर रविकांत ने ईटीवी भारत से महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं. उन्होंने बताया कि कोरोना के 95 प्रतिशत केस खुद ही ठीक हो जाते हैं. उनको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. ऐसे मरीज आइसोलेशन में रहकर ठीक हो जाते हैं. बस उनको किसी और के संपर्क में नहीं आना है.

किसको करें अस्पताल में भर्ती:

प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है जिनको-

1- ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्कता हो.

2- ब्लड प्रेशर सपोर्ट की जरूरत हो.

3- वेंटिलेटर या कोई और सुविधा चाहिये.

एम्स निदेशक ने बताया कि मरीजों के लिये ऋषिकेश एम्स में 340 बेड का इंतजाम किया गया है, जिसमें गंभीर मामलों का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में ज्यादातर मरीज ऐसे आ रहे थे जिनमें कोरोना के कोई लक्षण ही नहीं थे.

वहीं, मरीजों का इलाज करने के दौरान नर्सिंग स्टॉफ का संक्रमित होना भी एम्स प्रशासन के लिये काफी चैलेंजिंग रहा. इस दौरान डॉक्टरों और स्टॉफ ने धैर्य रखा और अपनी भूमिका निभाते रहे.

कैसे करें खुद का बचाव:

1- दूरी सबसे बेहतर इलाज. दो से तीन मीटर की दूरी रखें.

2- मास्क जरूर पहनें.

3- हाथ धोने की परंपरा अपनाएं.

4- जिस कमरे में रहते हैं वहां सही वेंटिलेशन होना जरूरी. हवा कितनी बार अंदर आई और कितनी बार बाहर गई. इसे कहा जाता है एयर एक्सचेंज पर ऑवर, जो कम से कम 25 से 30 होना चाहिये.

5- एक कमरे में दो से ज्यादा आदमी न हो.

6- दिनभर में भोजन रेनबो कलर होना चाहिये- खाना 7 रंग का होना चाहिये. रेनबो डाइट पर ध्यान रखें.

अफवाहों पर ध्यान न दें:

1- सही सोर्स की खबरों पर ही यकीन करें.

2- मिनिट्री ऑफ हेल्थ केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार, डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च जैसे चैनलों की खबरों को ही सही मानें.

क्या हवा से फैलता है कोरोना:

एम्स निदेशक बताते हैं कि कोरोना हवा से फैलने वाला संक्रमण नहीं है. छींकने से मुंह और नाक से निकलते वाली ड्रापलेट मुश्किल से 10 से 12 फुट तक जा सकती है. साइंस ये कहती है कि 10 या 14 फुट के दूर किसी भी तरह का हवा में संक्रमण नहीं पाया गया है. उन्होंने बताया कि ड्रापलेट संक्रमण बात सही है, हवा से फैलने वाली गलत. इससे कैसे बचें-

1- छींकने की कला सीखनी होगी, हाथ और सामने नहीं छींकना, कंधे की ओर छीकें.

2- मास्क जरूर लगाएं. दूसरों की सुरक्षा का भी ख्याल रखें.

कब खत्म होगा कोरोना:

इस सवाल पर जवाब देते हुये एम्स निदेशक ने बताया कि सभी प्रयासों से नंबर जरूर कम हो जाएगा, लेकिन अभी एक-दो साल तक हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा. ये एकदम से गायब नहीं होगा. सामाजिक दूरी बनाकर इससे लड़ा जा सकता है.

प्रो. रविकांत ने बताया कि इन एक-दो सालों में हमें अपने सभ्यता को सुधारना होगा. ये देश सुधार की एक अलग कहानी के तौर पर याद रखा जाएगा.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है. उधमसिंह नगर से ताजा सामने आए मामलों के बाद प्रदेश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 67 तक पहुंच गया है. वहीं, एम्स ऋषिकेश में भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज जारी है. ऐसे में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए अस्पताल में क्या कुछ इंतजाम हैं, इसपर एम्स निदेशक डॉ. रविकांत के साथ ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

इस दौरान प्रोफेसर रविकांत ने ईटीवी भारत से महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं. उन्होंने बताया कि कोरोना के 95 प्रतिशत केस खुद ही ठीक हो जाते हैं. उनको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. ऐसे मरीज आइसोलेशन में रहकर ठीक हो जाते हैं. बस उनको किसी और के संपर्क में नहीं आना है.

किसको करें अस्पताल में भर्ती:

प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है जिनको-

1- ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्कता हो.

2- ब्लड प्रेशर सपोर्ट की जरूरत हो.

3- वेंटिलेटर या कोई और सुविधा चाहिये.

एम्स निदेशक ने बताया कि मरीजों के लिये ऋषिकेश एम्स में 340 बेड का इंतजाम किया गया है, जिसमें गंभीर मामलों का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में ज्यादातर मरीज ऐसे आ रहे थे जिनमें कोरोना के कोई लक्षण ही नहीं थे.

वहीं, मरीजों का इलाज करने के दौरान नर्सिंग स्टॉफ का संक्रमित होना भी एम्स प्रशासन के लिये काफी चैलेंजिंग रहा. इस दौरान डॉक्टरों और स्टॉफ ने धैर्य रखा और अपनी भूमिका निभाते रहे.

कैसे करें खुद का बचाव:

1- दूरी सबसे बेहतर इलाज. दो से तीन मीटर की दूरी रखें.

2- मास्क जरूर पहनें.

3- हाथ धोने की परंपरा अपनाएं.

4- जिस कमरे में रहते हैं वहां सही वेंटिलेशन होना जरूरी. हवा कितनी बार अंदर आई और कितनी बार बाहर गई. इसे कहा जाता है एयर एक्सचेंज पर ऑवर, जो कम से कम 25 से 30 होना चाहिये.

5- एक कमरे में दो से ज्यादा आदमी न हो.

6- दिनभर में भोजन रेनबो कलर होना चाहिये- खाना 7 रंग का होना चाहिये. रेनबो डाइट पर ध्यान रखें.

अफवाहों पर ध्यान न दें:

1- सही सोर्स की खबरों पर ही यकीन करें.

2- मिनिट्री ऑफ हेल्थ केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार, डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च जैसे चैनलों की खबरों को ही सही मानें.

क्या हवा से फैलता है कोरोना:

एम्स निदेशक बताते हैं कि कोरोना हवा से फैलने वाला संक्रमण नहीं है. छींकने से मुंह और नाक से निकलते वाली ड्रापलेट मुश्किल से 10 से 12 फुट तक जा सकती है. साइंस ये कहती है कि 10 या 14 फुट के दूर किसी भी तरह का हवा में संक्रमण नहीं पाया गया है. उन्होंने बताया कि ड्रापलेट संक्रमण बात सही है, हवा से फैलने वाली गलत. इससे कैसे बचें-

1- छींकने की कला सीखनी होगी, हाथ और सामने नहीं छींकना, कंधे की ओर छीकें.

2- मास्क जरूर लगाएं. दूसरों की सुरक्षा का भी ख्याल रखें.

कब खत्म होगा कोरोना:

इस सवाल पर जवाब देते हुये एम्स निदेशक ने बताया कि सभी प्रयासों से नंबर जरूर कम हो जाएगा, लेकिन अभी एक-दो साल तक हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा. ये एकदम से गायब नहीं होगा. सामाजिक दूरी बनाकर इससे लड़ा जा सकता है.

प्रो. रविकांत ने बताया कि इन एक-दो सालों में हमें अपने सभ्यता को सुधारना होगा. ये देश सुधार की एक अलग कहानी के तौर पर याद रखा जाएगा.

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