ऋषिकेश: कोविड-19 महामारी पूर्ण रूप से खत्म नहीं हुई है. कोविड के साथ भविष्य को चुनौतियों को देखते हुए एम्स ऋषिकेश और आईआईटी रुड़की ने टेलीमेडिसिन के लिए एक नया एप तैयार किया है. इस एप की मदद से अति दुर्गम इलाकों में स्थित डॉक्टर और मरीज एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों से परामर्श ले सकते हैं. इस ऐप की खासियत यह है कि इसका इस्तेमाल उन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, जहां नेटवर्क नहीं है.
उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी, एम्स ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष (शैक्षणिक) प्रो. मनोज गुप्ता ने इस उड़ान मॉडल का संयुक्तरूप से वर्चुअल उद्घाटन किया. उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने अपने संबोधन में सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की चिंता और उसके निराकरण के लिए एम्स ऋषिकेश और आईआईटी रुड़की का धन्यवाद दिया.
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उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस विषय पर विशेषज्ञ के साथ बैठकर चर्चा करेंगे. इसके साथ ही आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी ने कहा कि स्वास्थ्य लाभ को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए तैयार उड़ान मॉडल के लिए आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश की पहल सराहनीय है. प्रदेश के कौने-कौने तक जनमानस को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों के साथ हर कदम पर आईआईटी रुड़की खड़ा है.
एम्स ऋषिकेश के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि टेलीमेडिसिन ने स्वास्थ्य जगत में अनोखा आयाम प्रस्तुत किया है. एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल और आईआईटी रुड़की के संयुक्त तत्वाधान द्वारा तैयार किया गया यह मॉडल उत्तराखंड के दूरस्थ जगहों के प्राथमिक स्वास्थ्य में एक नया मोड़ लाएगी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सोशल आउटरीच सेल उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों में अब तक एक लाख से आधिक मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ सैकड़ों स्वास्थ्य शिविर, जन जागरूक और अन्य सामाजिक शिविर भी लगा चुका है. इस तैयार उड़ान मॉडल द्वारा ग्रामीणों स्थानों में रहने वाले लोगों के जीवन में नया आयाम स्थापित होगा.
एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के अनुभवों से यह ऐप (app) बनने की प्रेरणा मिली है, जब उन्होंने देखा कि सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में संपर्क साधना बहुत ही मुश्किल हो रहा है.