ETV Bharat / state

कोरोनाकाल में गर्भवतियों के लिए एम्स के चिकित्सकों की सलाह, टीके से ना घबरायें

कोविड काल में गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए विशेष एहतियात बरतने की चिकित्सकीय सलाह है. इसके अलावा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन को लेकर फैलाई गई भ्रांतियों को लेकर भी ईटीवी भारत ने देहरादून की मशहूर गायनोलॉजिस्ट सुजाता संजय से बात की.

aiims-physicians-gave-special-advice-for-pregnant-women-in-the-corona-period
कोरोनाकाल में गर्भवती महिलाओं को सलाह
author img

By

Published : May 20, 2021, 6:33 PM IST

Updated : May 20, 2021, 10:26 PM IST

ऋषिकेश/देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक है. कोरोना से संक्रमित होने पर ऐसी महिलाओं की श्वसन प्रणाली प्रभावित हो सकती है. जिसके असर से उनकी जान को खतरा पैदा हो सकता है. एम्स ऋषिकेश ने इस मामले में उन्हें विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी है.

कोरोनाकाल में गर्भवती महिलाओं को सलाह
गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है. वायरस के संक्रमण से उनको और उनके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के जीवन को गंभीर खतरा हो सकता है. इस बाबत निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि गर्भवती महिला को यदि पहले से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर अथवा हृदय संबंधी बीमारी है तो जोखिम बढ़ने से उन दोनों के जीवन को ज्यादा खतरा हो सकता है.

उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस के कारण इन महिलाओं की श्वास नलियों में संक्रमण तेजी से फैलने लगता है. साथ ही उसे आईसीयू और वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है. निदेशक ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से विशेष सचेत रहने की आवश्यकता है. जरा सी लापरवाही मां और शिशु दोनों के जीवन पर भारी पड़ सकती है.

पढ़ें- ऋषिकेश एम्स में ब्लैक फंगस के 19 मरीज, एक की मौत

स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने बताया कि यदि कोई गर्भवती महिला कोरोना ग्रसित हो जाए, तो उसे अति शीघ्र चिकित्सकीय परामर्श लेकर कोविड उपचार शुरू करना चाहिए. उपचार लेने में देरी होने पर उनका जीवन जोखिम में पड़ सकता है. उन्होंने आगाह किया कि गर्भवती महिलाएं चिकित्सीय परामर्श के बिना दवाओं का सेवन बिल्कुल न करें.

पढ़ें- ब्लैक फंगसः उत्तरकाशी में मिला संदिग्ध मरीज, एम्स ऋषिकेश रेफर

गर्भवती महिलाओं की देखभाल और कोरोना संक्रमण से बचाव के बारे में उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए कोरोना संक्रमण इतना खतरनाक है कि समय पर उपचार शुरू नहीं किए जाने पर पेट में पल रहे शिशु की मृत्यु भी हो सकती है. इसके अलावा महिला की सर्जरी कर जन्म के तुरन्त बाद नवजात शिशु को एनआईसीयू में रखने की स्थिति भी आ सकती है. ऐसे हालातों में प्रसूता को वेन्टिलेटर सपोर्ट में रखने की संभावना दोगुनी बढ़ जाती है.


उपाय और सावधानियां

  1. अधिक उम्र वाली गर्भवती महिलाओं को उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इस कारण उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है. ऐसे में इन्हें ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है.
  2. सामाजिक दूरी बनाकर बार-बार हाथ धोना नहीं भूलें.
  3. घर पर भी मास्क का अनिवार्य इस्तेमाल करें.
  4. भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें.
  5. श्वसन संबंधी किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करें.
  6. अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें.
  7. खांसी या छींक आने पर अपनी मुड़ी हुई कोहनी या टिश्यू पेपर से अपने मुंह और नाक को ढकें.
  8. सुरक्षित रहें, लगातार खांसी और तेज बुखार होना कोरोना संक्रमण के संकेत हैं. इन लक्षणों वाले व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से बचें.
  9. ताजा भोजन खाएं और खूब पानी पिएं.

गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव और जोखिम

  1. भ्रूण पर प्रभाव-प्रसव का समय से पहले होना, सर्जरी की आवश्यकता पड़ना और नवजात की देखभाल करने में जोखिम होना.
  2. कोरोना संक्रमित गर्भवती महिला गर्भावस्था या प्रसव के दौरान बच्चे को भी संक्रमित कर सकती है.


चिकित्सक की सलाह

  1. कोविड लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं को परीक्षण के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
  2. लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें.
  3. चिकित्सक के पास बार-बार जाने के बजाए संभव हो तो फोन द्वारा परामर्श लें.
  4. डिलीवरी का समय नजदीक है, तो तनाव में न रहें.
  5. ईमेल, संदेश या वीडियो चैट के माध्यम से अपने प्रियजनों और रिश्तेदारों के संपर्क में रहें. अत्यधिक काम न करें और अधिकाधिक आराम करें.
  6. स्तनपान करवाते समय हर बार हाथ धोना नहीं भूलें.

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन को लेकर भ्रांतियां

वहीं, देहरादून की मशहूर गायनेकोलॉजिस्ट सुजाता संजय ने बताया कि कोविड-19 और वैक्सीनेशन को लेकर हमारे समाज में कई तरह की भ्रांतियां इस वक्त तैर रही हैं. इन्हीं में से एक भ्रांति है गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीनेशन न कराने को लेकर. गायनेकोलॉजिस्ट सुजाता संजय के अनुसार गर्भवती महिलाएं अपने आप को कोविड-19 के इस दौर में सुरक्षित रख सकती हैं. लोगों के संपर्क से अपने आप को बचा सकती हैं और सभी सावधानियां बरत सकती हैं तो वह चाहे तो कोविड-19 वैक्सीन न लगाएं लेकिन यदि महिला हाई रिस्क में हैं और कोविड-19 जोखिम आसपास काफी ज्यादा हैं वह महिलाएं वैक्सीनेशन करवा सकती हैं. बशर्ते उन्हें अपनी इम्यूनिटी के साथ-साथ खानपान और लाइफस्टाइल पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

पढ़ें- ब्लैक फंगस ने बढ़ाई उत्तराखंड की मुसीबत, जानें बचने का तरीका

साथ ही उन्हें यह खुद सुनिश्चित करना होगा कि वह अपनी मर्जी से वैक्सीनेशन करवा रही हैं. इसी तरह स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को लेकर और डॉक्टर का कहना है कि स्तनपान करवाने वाली महिला भी वैक्सीनेशन करवा सकती हैं. इसका बच्चे पर कोई भी साइड इफेक्ट अभी तक देखने को नहीं मिला है. लेकिन यहां भी वही परिस्थिति बनती है कि यदि महिला सुरक्षित रह सकती है और अपने आप को आइसोलेट और संक्रमण से बचा सकती है तो उसे 6 महीने तक वैक्सीनेशन नहीं करवाना है.

ऋषिकेश/देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक है. कोरोना से संक्रमित होने पर ऐसी महिलाओं की श्वसन प्रणाली प्रभावित हो सकती है. जिसके असर से उनकी जान को खतरा पैदा हो सकता है. एम्स ऋषिकेश ने इस मामले में उन्हें विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी है.

कोरोनाकाल में गर्भवती महिलाओं को सलाह
गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है. वायरस के संक्रमण से उनको और उनके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के जीवन को गंभीर खतरा हो सकता है. इस बाबत निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि गर्भवती महिला को यदि पहले से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर अथवा हृदय संबंधी बीमारी है तो जोखिम बढ़ने से उन दोनों के जीवन को ज्यादा खतरा हो सकता है.

उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस के कारण इन महिलाओं की श्वास नलियों में संक्रमण तेजी से फैलने लगता है. साथ ही उसे आईसीयू और वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है. निदेशक ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से विशेष सचेत रहने की आवश्यकता है. जरा सी लापरवाही मां और शिशु दोनों के जीवन पर भारी पड़ सकती है.

पढ़ें- ऋषिकेश एम्स में ब्लैक फंगस के 19 मरीज, एक की मौत

स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने बताया कि यदि कोई गर्भवती महिला कोरोना ग्रसित हो जाए, तो उसे अति शीघ्र चिकित्सकीय परामर्श लेकर कोविड उपचार शुरू करना चाहिए. उपचार लेने में देरी होने पर उनका जीवन जोखिम में पड़ सकता है. उन्होंने आगाह किया कि गर्भवती महिलाएं चिकित्सीय परामर्श के बिना दवाओं का सेवन बिल्कुल न करें.

पढ़ें- ब्लैक फंगसः उत्तरकाशी में मिला संदिग्ध मरीज, एम्स ऋषिकेश रेफर

गर्भवती महिलाओं की देखभाल और कोरोना संक्रमण से बचाव के बारे में उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए कोरोना संक्रमण इतना खतरनाक है कि समय पर उपचार शुरू नहीं किए जाने पर पेट में पल रहे शिशु की मृत्यु भी हो सकती है. इसके अलावा महिला की सर्जरी कर जन्म के तुरन्त बाद नवजात शिशु को एनआईसीयू में रखने की स्थिति भी आ सकती है. ऐसे हालातों में प्रसूता को वेन्टिलेटर सपोर्ट में रखने की संभावना दोगुनी बढ़ जाती है.


उपाय और सावधानियां

  1. अधिक उम्र वाली गर्भवती महिलाओं को उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इस कारण उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है. ऐसे में इन्हें ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है.
  2. सामाजिक दूरी बनाकर बार-बार हाथ धोना नहीं भूलें.
  3. घर पर भी मास्क का अनिवार्य इस्तेमाल करें.
  4. भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें.
  5. श्वसन संबंधी किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करें.
  6. अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें.
  7. खांसी या छींक आने पर अपनी मुड़ी हुई कोहनी या टिश्यू पेपर से अपने मुंह और नाक को ढकें.
  8. सुरक्षित रहें, लगातार खांसी और तेज बुखार होना कोरोना संक्रमण के संकेत हैं. इन लक्षणों वाले व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से बचें.
  9. ताजा भोजन खाएं और खूब पानी पिएं.

गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव और जोखिम

  1. भ्रूण पर प्रभाव-प्रसव का समय से पहले होना, सर्जरी की आवश्यकता पड़ना और नवजात की देखभाल करने में जोखिम होना.
  2. कोरोना संक्रमित गर्भवती महिला गर्भावस्था या प्रसव के दौरान बच्चे को भी संक्रमित कर सकती है.


चिकित्सक की सलाह

  1. कोविड लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं को परीक्षण के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
  2. लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें.
  3. चिकित्सक के पास बार-बार जाने के बजाए संभव हो तो फोन द्वारा परामर्श लें.
  4. डिलीवरी का समय नजदीक है, तो तनाव में न रहें.
  5. ईमेल, संदेश या वीडियो चैट के माध्यम से अपने प्रियजनों और रिश्तेदारों के संपर्क में रहें. अत्यधिक काम न करें और अधिकाधिक आराम करें.
  6. स्तनपान करवाते समय हर बार हाथ धोना नहीं भूलें.

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन को लेकर भ्रांतियां

वहीं, देहरादून की मशहूर गायनेकोलॉजिस्ट सुजाता संजय ने बताया कि कोविड-19 और वैक्सीनेशन को लेकर हमारे समाज में कई तरह की भ्रांतियां इस वक्त तैर रही हैं. इन्हीं में से एक भ्रांति है गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीनेशन न कराने को लेकर. गायनेकोलॉजिस्ट सुजाता संजय के अनुसार गर्भवती महिलाएं अपने आप को कोविड-19 के इस दौर में सुरक्षित रख सकती हैं. लोगों के संपर्क से अपने आप को बचा सकती हैं और सभी सावधानियां बरत सकती हैं तो वह चाहे तो कोविड-19 वैक्सीन न लगाएं लेकिन यदि महिला हाई रिस्क में हैं और कोविड-19 जोखिम आसपास काफी ज्यादा हैं वह महिलाएं वैक्सीनेशन करवा सकती हैं. बशर्ते उन्हें अपनी इम्यूनिटी के साथ-साथ खानपान और लाइफस्टाइल पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

पढ़ें- ब्लैक फंगस ने बढ़ाई उत्तराखंड की मुसीबत, जानें बचने का तरीका

साथ ही उन्हें यह खुद सुनिश्चित करना होगा कि वह अपनी मर्जी से वैक्सीनेशन करवा रही हैं. इसी तरह स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को लेकर और डॉक्टर का कहना है कि स्तनपान करवाने वाली महिला भी वैक्सीनेशन करवा सकती हैं. इसका बच्चे पर कोई भी साइड इफेक्ट अभी तक देखने को नहीं मिला है. लेकिन यहां भी वही परिस्थिति बनती है कि यदि महिला सुरक्षित रह सकती है और अपने आप को आइसोलेट और संक्रमण से बचा सकती है तो उसे 6 महीने तक वैक्सीनेशन नहीं करवाना है.

Last Updated : May 20, 2021, 10:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.