ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कोरोनरी आर्टरी डिजीज का सफलतापूर्वक इलाज उपलब्ध है. हार्ट ब्लॉकेज या कोरोनरी आर्टरी डिजीज के उपचार में कई मरीजों को बाईपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है. ऐसे में कई मरीजों को इस ऑपरेशन के लिए दिल्ली आदि महानगरों में बड़े सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता था, जहां उन्हें अधिक खर्चे के साथ-साथ अन्य तरह की दिक्कतें भी उठानी पड़ती थी. लिहाजा, एम्स प्रशासन द्वारा ऐसे मरीजों को अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है. अस्पताल में यह जोखिम भरी जटिल शल्य क्रिया बिना दिल की गति को रोके की जा रही है.
एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने जटिल शल्य क्रियाओं को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने व मरीजों को बेहतर ढंग से समुचित उपचार देने वाली टीम की प्रशंसा की है. निदेशक ने सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों के इस टीम वर्क की सराहना करते हुए कहा कि एम्स अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना में पंजीकृत मरीजों काे पूर्णरूप से नि:शुल्क ऑपरेशन अथवा उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिन मरीजों के पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड नहीं है और जो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं, उनकी बाईपास सर्जरी आदि उपचार भी नि:शुल्क करने का प्रावधान है.
एम्स निदेशक ने बताया कि एम्स अस्पताल में प्रत्येक स्पेशलिटी विभाग एक तालमेल बनाकर कार्य करते हैं, जिससे कई तरह की जटिल बीमारियों का भी इलाज संभव हो रहा है. संस्थान के हृदय शल्य चिकित्सक डॉ. राजा लाहिड़ी ने बताया कि कुछ समय पूर्व अस्पताल में शुरू हुई इस सुविधा के तहत अब तक उत्तराखंड के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान तथा हरियाणा आदि क्षेत्रों से आए कई मरीजों की सफलतापूर्वक बाईपास सर्जरी को अंजाम दिया है.
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उन्होंने बताया कि इनमें कई ऐसे मरीज भी शामिल हैं, जिनकी हृदय की कार्यक्षमता काफी कम हो गई है. ऐसे मरीजों की आईएबीपी मशीन की सहायता से सफलतापूर्वक सर्जरी की जाती है. उन्होंने बताया कि संस्थान में 'टोटल आर्टेरियल बाईपास' विधि से भी सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.