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तापमान गिरते ही उत्तराखंड पर मंडराया स्वाइन फ्लू का खतरा, AIIMS प्रशासन हुआ सतर्क - ऋषिकेश न्यूज

स्वाइन फ्लू में इन्फ्लूएंजा वायरस फैलता है. यही वायरस एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) का कारक बनता है. AIIMS प्रशासन इसके लिए सतर्क हो गया है.

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स्वाइन फ्लू
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Published : Jan 9, 2020, 10:55 AM IST

ऋषिकेशः तापमान गिरने के साथ ही उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ गया है. जिसे लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रशासन अलर्ट हो गया है. इसी कड़ी में एम्स निदेशक प्रो. रविकांत के निर्देश पर विभिन्न विभागों के डॉक्टरों ने आपात बैठक की. इस दौरान बैठक में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर आठ बिंदुओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.

एम्स के निदेशक डॉ. रविकांत ने इन्फ्लूएंजा वायरस के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यही वायरस एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) का कारक बनता है. उन्होंने बताया कि तेज बुखार, शरीर में दर्द, खांसी और गले में दर्द स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं.

उन्होंने बताया कि यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है. खासकर यह बीमारी ऐसे व्यक्ति को तेजी से संक्रमित करती है जो पहले से बीमार हो. इसमें किडनी में खराबी, मोटापा, हृदयरोग, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित लोग या 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल हो सकते हैं. लिहाजा ऐसे लोगों को इस बीमारी से ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ेंः पर्यटन की अपार संभावनाओं से सराबोर कालाढूंगी, झेल रहा विभागीय बेरुखी

ऐसे में उन्हें बीमारी के इस तरह के लक्षण पाए जाने पर तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास जाकर जांच करानी चाहिए. साथ ही सही इलाज करवाना चाहिए. उन्होंने बताया ​कि यह बीमारी सामान्य वायरल जैसी ही है, लेकिन इस बीमारी के प्रति लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.

वहीं, डॉ. पीके पंडा ने स्वाइन फ्लू से बचाव के तौर तरीकों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति से तीन फिट की दूरी बनानी चाहिए. साथ ही थ्रीलेयर सर्जिकल मास्क और एन-95 मास्क पहनना चाहिए. उन्होंने बताया कि संस्थान के मेडिसिन विभाग में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर छह बिस्तर वाला आइसोलेशन रूम उपलब्ध है. साथ ही एन-95 मास्क की व्यवस्था भी है.

इन बातों का रखें ध्यान-

  • बीमारी के समय शरीर को पूरा रेस्ट दें.
  • सामान्य स्थिति में हर रोज पीने वाले पानी की मात्रा को दोगुना बढ़ा दें.
  • बुखार होने पर पैरासिटामोल की टेबलेट दिन में चार से पांच बार लें.
  • तीन दिन दवा लेने पर आराम नहीं मिलने पर तत्काल डॉक्टर से से संपर्क करें.

ऋषिकेशः तापमान गिरने के साथ ही उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ गया है. जिसे लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रशासन अलर्ट हो गया है. इसी कड़ी में एम्स निदेशक प्रो. रविकांत के निर्देश पर विभिन्न विभागों के डॉक्टरों ने आपात बैठक की. इस दौरान बैठक में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर आठ बिंदुओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.

एम्स के निदेशक डॉ. रविकांत ने इन्फ्लूएंजा वायरस के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यही वायरस एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) का कारक बनता है. उन्होंने बताया कि तेज बुखार, शरीर में दर्द, खांसी और गले में दर्द स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं.

उन्होंने बताया कि यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है. खासकर यह बीमारी ऐसे व्यक्ति को तेजी से संक्रमित करती है जो पहले से बीमार हो. इसमें किडनी में खराबी, मोटापा, हृदयरोग, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित लोग या 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल हो सकते हैं. लिहाजा ऐसे लोगों को इस बीमारी से ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है.

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ऐसे में उन्हें बीमारी के इस तरह के लक्षण पाए जाने पर तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास जाकर जांच करानी चाहिए. साथ ही सही इलाज करवाना चाहिए. उन्होंने बताया ​कि यह बीमारी सामान्य वायरल जैसी ही है, लेकिन इस बीमारी के प्रति लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.

वहीं, डॉ. पीके पंडा ने स्वाइन फ्लू से बचाव के तौर तरीकों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति से तीन फिट की दूरी बनानी चाहिए. साथ ही थ्रीलेयर सर्जिकल मास्क और एन-95 मास्क पहनना चाहिए. उन्होंने बताया कि संस्थान के मेडिसिन विभाग में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर छह बिस्तर वाला आइसोलेशन रूम उपलब्ध है. साथ ही एन-95 मास्क की व्यवस्था भी है.

इन बातों का रखें ध्यान-

  • बीमारी के समय शरीर को पूरा रेस्ट दें.
  • सामान्य स्थिति में हर रोज पीने वाले पानी की मात्रा को दोगुना बढ़ा दें.
  • बुखार होने पर पैरासिटामोल की टेबलेट दिन में चार से पांच बार लें.
  • तीन दिन दवा लेने पर आराम नहीं मिलने पर तत्काल डॉक्टर से से संपर्क करें.
Intro:ऋषिकेश--उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू की दस्तक से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश प्रशासन अलर्ट हो गया है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत के निर्देश पर विभिन्न विभागों के चिकित्सकों की बैठक में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर आठ बिंदुओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।


Body:वी/ओ--एम्स निदेशक डॉ रविकान्त ने चिकित्सकों को इन्फ्यूएंजा वाइरस के बारे में जागरुक किया। उन्होंने बताया कि यही वाइरस एच1 एन1 (स्वाइन फ्लू) का कारक बनता है। इस दौरान उन्होंने इस बीमारी की पहचान के लक्षण बताए। उन्होंने बताया कि तेज बुखार, शरीर में दर्द, खांसी व गले में दर्द की शिकायत जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू की आशंका हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। खासकर यह बीमारी ऐसे व्यक्ति को तेजी से संक्रमित करती है जो पहले से बीमार हो, इसमें किडनी में खराबी, मोटापा, हृदयरोग, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित लोग अथवा 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग शामिल हो सकते हैं। लिहाजा ऐसे लोगों को इस बीमारी से अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है। ऐसे में उन्हें बीमारी के इस तरह के लक्षण पाए जाने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक के पास जाकर जांच व उपचार लेना चाहिए। उन्होंने बताया ​कि यह बीमारी सामान्य वाइरल जैसी ही है मगर इस बीमारी के प्रति लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। डा. पीके पंडा ने इस बीमारी से बचाव के तौर तरीकों के बाबत बताया कि पीड़ित व्यक्ति से तीन फिट की दूरी बनानी चाहिए, साथ ही थ्रीलेयर सर्जिकल मास्क व एन-95 मास्क पहनना चाहिए।
 


Conclusion:वी/ओ--संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डा. ब्रह्मप्रकाश की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर आपात बैठक हुई,जिसमें एहतियातन बिभिन्न ​बिंदुओं पर चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि संस्थान के मेडिसिन विभाग में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर छह बिस्तर वाला आइसोलेशन रूम उपलब्ध है, साथ ही एन- 95 मास्क की व्यवस्था है।                                                                                                   



इस तीन बातों का रखें ध्यान-                                                                                                                                                1-बीमारी के समय शरीर को पूरा रेस्ट दें।
2- सामान्य स्थिति में हर रोज पीने वाले पानी की मात्रा को दोगुना बढ़ा दें।
3-बुखार होने पर पारासिटामल टेबलेट दिन में चार से पांच बार लें।
4- तीन दिन दवा लेने पर आराम नहीं मिले तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें।
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