देहरादूनः उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार में हुए बीज घोटाले का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है. जहां एक तरफ इस मामले में सूचना आयोग ने सचिवालय से गायब हुई फाइलों का मामला सामने लाया है तो वहीं अब कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी इस पर सख्त कार्रवाई की बात कही है.
उत्तराखंड में बीज घोटाले मामले पर कृषि मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि इस संबंध में जानकारी उनके संज्ञान में आई है. जैसे ही उनके संज्ञान में यह मामला आया, उन्होंने कृषि सचिव और अपर सचिव को इस मामले पर तलब किया है. साथ ही मामले की जानकारी ली है. हालांकि, उनका कहना है कि इस मामले में कोई लिखित शिकायत अभी तक विभाग को नहीं मिली है.
कृषि मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि प्रदेश में धामी सरकार है, ऐसे में किसी भी गलत काम करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने बताया कि इस मामले पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है तो वहीं एक आईएएस अधिकारी भी इस वक्त जेल में है. यदि इस मामले पर कुछ और लोगों के नाम सामने आते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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बता दें कि उत्तराखंड में बहुचर्चित बीज घोटाले को लेकर के सूचना आयोग के माध्यम से जानकारी सामने आई है कि इस घोटाले से जुड़ी मूल फाइल ही उत्तराखंड शासन से गायब है. सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस संबंध में एक आदेश जारी कर सूचना को सार्वजनिक किया है. आरटीआई एक्टिविस्ट हरिशंकर पांडे की ओर से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी की सुनवाई के दौरान यह मामला सामने आया है.
गौर हो कि इसी घोटाले के मामले में तत्कालीन अपर सचिव कृषि रामविलास यादव के खिलाफ जांच के आदेश हुए थे. जिसके बाद वो जेल में बंद है, लेकिन इस घोटाले की मूल फाइल गायब है. जिसको लेकर अब जानकारी सामने आई है.
क्या था बीज घोटालाः साल 2015-16 हरीश रावत की सरकार में किसानों के लिए उत्तराखंड तराई बीज विकास निगम (टीडीसी) के माध्यम से दूसरे प्रदेशों से बीज लाए गए थे. जिसमें तकरीबन 85 क्विंटल बीज के सैंपल हल्द्वानी लैब में फेल कर दिए थे. बीज विकास निगम ने इसके बाद इन बीजों को बेचने के लिए डेढ़ क्विंटल की जगह पर आधा क्विंटल बीज देने की बात कही थी.
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जिसके बाद निगम के कर्मचारियों ने किसानों के नाम पर बीजों को वितरकों के जरिए आटा मिलों तक पहुंचाया. इनके टैग बाजार में पाए गए थे. इस पूरे मामले में तकरीबन 20 करोड़ के घोटाले का अनुमान लगाया जा रहा है. जिसका खुलासा 2017 में हुआ था.