देहरादून: उत्तराखंड में किसानों को मौसम से होने वाले नुकसान की पूरी भरपाई करने की कोशिशें चल रही है. हालांकि भारत सरकार की तरफ से किसानों के लिए आपदा प्रबंधन और फसल बीमा के तहत फसलों में होने वाले नुकसान पर मुआवजे का प्रावधान किया गया है. लेकिन इसके जटिल नियमों के चलते किसानों को इसका फायदा नहीं हो पा रहा है. ऐसे में कृषि विभाग अब ऐसे नियमों में सरलीकरण या अतिरिक्त मुआवजे की व्यवस्था करने पर विचार कर रहा है.
प्रदेश में मौसम को लेकर किसान काफी चिंतित रहते हैं. कभी बेमौसम की बारिश तो कभी सूखे के चलते प्रदेश के किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. उधर आपदा प्रदेश के किसानों के लिए मुसीबत बनी रहती है. ऐसे में अब कृषि विभाग किसानों को मिलने वाले मुआवजे पर नियमों को सरल करने की तैयारी कर रहा है.
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दरअसल, किसानों को फसल से जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई के लिए उन्हें आपदा राहत और फसल इंश्योरेंस के तहत मुआवजा दिया जाता है. लेकिन एक तरफ आपदा राहत के तहत मुआवजे की रकम बेहद कम होना किसानों के लिए परेशानी बनी रहती है. वहीं फसल इंश्योरेंस में जटिल नियमों के चलते किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता हैं.
किसानों की इन्हीं परेशानियों को देखते हुए कृषि विभाग ने आपदा राहत के तहत मिलने वाली मुआवजा राशि में बढ़ोतरी करने पर विचार किया है. इसके तहत सरकार माइनिंग से लगाकर धन जुटाने की कोशिश कर रही है, ताकि इस पैसे को मुआवजे के तौर पर दिया जा सके.
दूसरी तरफ फसल इंश्योरेंस योजना के तहत सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में न्याय पंचायत स्तर पर वेदर स्टेशन स्थापित करने की तैयारी कर ली है. इसके जरिए पहाड़ी क्षेत्रों में न्याय पंचायत स्तर पर होने वाले नुकसान का आकलन सरकार कर पाएगी. जिससे किसानों को उसी के आधार पर मुआवजा दिया जा सकेगा. मैदानी जिलों के लिए भी मानकों को शिथिल करते हुए तहसील की जगह ग्राम पंचायत स्तर पर क्रॉप कटिंग डाटा इकट्ठा करने के लिए सरकार आउटसोर्सिंग करेगी.