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स्वास्थ्य प्राधिकरण की सख्ती का असर, अस्पताल लौटाने लगे लाभार्थियों को पैसा - uttarakhand corona news

प्रदेश में कोरोना मरीजों को अस्पतालों में आयुष्मान भारत, अटल आयुष्मान और राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना के लाभार्थियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पतालों पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी. जिसका असर देखने को मिल रहा है.

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Published : May 19, 2021, 9:49 AM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून में लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग को शिकायत मिल रही थी कि निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत, अटल आयुष्मान और राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना के लाभार्थियों को कोरोना के इलाज में लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके बाद उत्तराखंड शासन ने इस संबंध में न केवल आदेश जारी किए बल्कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पतालों पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी. इसका असर यह हुआ कि छह अस्पतालों ने आठ लाभार्थियों के करीब साढ़े तीन लाख रुपये लौटा दिए हैं.


राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिन सूचीबद्ध अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड प्रस्तुत करने पर भी उपचार के लिए पैसे लिए हैं, अस्पतालों को जल्द से जल्द लाभार्थी को धनराशि वापस करनी होगी. अगर ऐसा नहीं किया गया तो उस अस्पताल के खिलाफ पेनल्टी लगाने के साथ ही कठोर कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य योजना से सूचीबद्ध अस्पतालों में अभी तक कोरोना संक्रमित 1,262 मरीजों को उपचार दिया गया है. इन सभी मरीजों के उपचार का भुगतान राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण एक सप्ताह के भीतर कर रहा है.

इसके साथ ही प्राधिकरण ने सभी अस्पतालों को पत्र भेज तीन दिन के भीतर उन सभी लाभार्थियों की विस्तृत सूचना मांगी गई है, जिनका कोरोना का इलाज हुआ है. यह रिपोर्ट प्राधिकरण को उपलब्ध होने के बाद प्राधिकरण इसका परीक्षण करेगा, जिससे यह जानकारी मिल सकेगी कि आयुष्मान कार्ड प्रस्तुत करने के बाद किन-किन लाभार्थियों से इलाज के लिए पैसे लिए गए हैं. ऐसे में इसकी जानकारी आने के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुरूप इन अस्पतालों पर कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें: कोरोना से मौत पर 'मैनेजमेंट' का कफन, अस्पतालों के साथ स्वास्थ्य विभाग भी कर रहा झोल

अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ किए जा रहे इस तरह के व्यवहार को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचीबद्ध अस्पतालों में कोरोना के उपचार के लिए सभी लाभार्थियों के तीमारदारों से बातचीत करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए बाकायदा प्राधिकरण ने अधिकारियों को अस्पताल भी आवंटित कर दिए हैं. ताकि इस काम में किसी प्रकार की कोई लापरवाही सामने न आ सके और कोरोना संक्रमित मरीजों को स्वास्थ्य योजना के तहत निशुल्क इलाज उपलब्ध हो सके.

देहरादून: राजधानी देहरादून में लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग को शिकायत मिल रही थी कि निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत, अटल आयुष्मान और राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना के लाभार्थियों को कोरोना के इलाज में लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके बाद उत्तराखंड शासन ने इस संबंध में न केवल आदेश जारी किए बल्कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पतालों पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी. इसका असर यह हुआ कि छह अस्पतालों ने आठ लाभार्थियों के करीब साढ़े तीन लाख रुपये लौटा दिए हैं.


राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिन सूचीबद्ध अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड प्रस्तुत करने पर भी उपचार के लिए पैसे लिए हैं, अस्पतालों को जल्द से जल्द लाभार्थी को धनराशि वापस करनी होगी. अगर ऐसा नहीं किया गया तो उस अस्पताल के खिलाफ पेनल्टी लगाने के साथ ही कठोर कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य योजना से सूचीबद्ध अस्पतालों में अभी तक कोरोना संक्रमित 1,262 मरीजों को उपचार दिया गया है. इन सभी मरीजों के उपचार का भुगतान राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण एक सप्ताह के भीतर कर रहा है.

इसके साथ ही प्राधिकरण ने सभी अस्पतालों को पत्र भेज तीन दिन के भीतर उन सभी लाभार्थियों की विस्तृत सूचना मांगी गई है, जिनका कोरोना का इलाज हुआ है. यह रिपोर्ट प्राधिकरण को उपलब्ध होने के बाद प्राधिकरण इसका परीक्षण करेगा, जिससे यह जानकारी मिल सकेगी कि आयुष्मान कार्ड प्रस्तुत करने के बाद किन-किन लाभार्थियों से इलाज के लिए पैसे लिए गए हैं. ऐसे में इसकी जानकारी आने के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुरूप इन अस्पतालों पर कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें: कोरोना से मौत पर 'मैनेजमेंट' का कफन, अस्पतालों के साथ स्वास्थ्य विभाग भी कर रहा झोल

अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ किए जा रहे इस तरह के व्यवहार को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचीबद्ध अस्पतालों में कोरोना के उपचार के लिए सभी लाभार्थियों के तीमारदारों से बातचीत करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए बाकायदा प्राधिकरण ने अधिकारियों को अस्पताल भी आवंटित कर दिए हैं. ताकि इस काम में किसी प्रकार की कोई लापरवाही सामने न आ सके और कोरोना संक्रमित मरीजों को स्वास्थ्य योजना के तहत निशुल्क इलाज उपलब्ध हो सके.

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