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ऋषिकेश में दो लोगों को रोशनी दे गया 13 साल का सिद्धार्थ, गमगीन पिता ने बेटे का किया नेत्रदान, ऐसे गई थी जान

Eye Donation Rishikesh आंखें वो खूबसूरत और कीमती उपहार हैं, जिनसे हम दुनिया देख सकते हैं. अगर ये आंखें मौत के बाद भी किसी और को रोशनी दे जाएं तो इससे बड़ा महादान कोई हो नहीं सकता. ऐसा ही महादान ऋषिकेश के एक पिता ने कराया है. भले ही उनका 13 साल का बेटा सिद्धार्थ इस दुनिया में न हो, लेकिन उसकी आंखों से दो लोग इस खूबसूरत दुनिया को देख सकेंगे. Siddharth Eye Donation

Father Donated His Son Eye
पिता ने बेटे का किया नेत्रदान
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 20, 2023, 3:50 PM IST

ऋषिकेशः दुखों का पहाड़ टूटने के बावजूद भी एक पिता ने समाज हित में अपने बेटे का नेत्रदान कराकर मिसाल पेश की है. अब उनके बेटे की आंखों से दो लोग दुनिया देख सकेंगे. जी हां, ऋषिकेश के 13 साल के किशोर ने सुसाइड कर लिया था. अब उनके पिता ने गमगीन माहौल और दुख की घड़ी में बेटे का नेत्रदान कराया है.

Eye Donation Rishikesh
पिता ने बेटे का किया नेत्रदान

दरअसल, बीती 18 सितंबर को को ऋषिकेश के गंगा नगर के हनुमंत पुरम में रहने वाले छात्र सिद्धार्थ (उम्र 13 वर्ष) ने आत्महत्या कर ली थी. अब सिद्धार्थ के पिता रघुबीर सिंह ने बेटे का नेत्रदान कराया है. एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा अधीक्षक एवं नेत्र रोग विभागाध्यक्ष संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि सिद्धार्थ के परिजनों ने आई बैंक एम्स से संपर्क साधकर अपने दिवंगत बेटे का नेत्रदान कराया है, जो सराहनीय कदम है.
संबंधित खबरें पढ़ेंः गंगा नगर में किशोर ने की आत्महत्या, ट्यूशन जाने के लिए बोल रहे थे परिजन, उठा लिया आत्मघाती कदम

कौन कर सकता है नेत्रदानः उन्होंने बताया कि सभी उम्र के व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं. यदि किसी को चश्मा लगा हो या मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ हो, ऐसे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं. नेत्रदान के लिए मृत्यु के बाद किसी तरह का ऑपरेशन नहीं होता. महज 15 मिनट की प्रक्रिया में आंखों की ऊपरी सतह पर स्थित कॉर्निया को निकाला जाता है. जिसमें आंखों की रोशनी रहती है.

एम्स ऋषिकेश आई बैंक में नेत्रदान करने वालों का आंकड़ा 702 पहुंचाः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश (एम्स) आई बैंक में बीते सोमवार को दिवंगत हरभजन सिंह और सिद्धार्थ का उनके परिजनों ने मृत्यु उपरांत नेत्रदान कराया. नेत्रदान के प्रति जागरूक इन लोगों के इस प्रयास से चार नेत्रहीन लोगों का जीवन रोशन हो सकेगा. बताया जा रहा है कि इस नेत्रदान से ऋषिकेश आई बैंक ने अब तक 702 का आंकड़ा पार कर लिया.
संबंधित खबरें पढ़ेंः मौत के बाद बेटी की आंखें की दान, अब रोशन होगी किसी और की दुनिया

एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक मीनू सिंह ने नेत्रदान जैसे महादान के इस संकल्प के लिए परिजनों की सराहना की. उन्होंने कहा कि इससे अन्य लोगों को भी नेत्रदान के संकल्प की प्रेरणा लेनी चाहिए. साथ ही उन्होंने ऋषिकेश आई बैंक की ओर से 702 का आंकड़ा पार करने पर सराहना की. वहीं, नेत्रदान की प्रतिज्ञा के लिए क्यूआर कोड को जेनरेट कर इस सुविधा का शुभारंभ किया.

सबसे ज्यादा ऋषिकेश वासियों ने दान किए कॉर्नियाः बता दें कि अब तक एम्स ऋषिकेश के आई बैंक को 702 कॉर्निया मिल चुके हैं. ऋषिकेश नेत्र बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर नीति गुप्ता ने बताया कि अब तक मिले कॉर्निया में ऋषिकेश शहर से 61 फीसदी, हरिद्वार शहर से 22, देहरादून से 3, रुड़की से 1 और उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से 8 फीसदी शामिल हैं. इसी तरह भारत के अन्य शहरों से 5 फीसदी लोगों ने ऋषिकेश आई बैंक में नेत्रदान किए हैं.
संबंधित खबरें पढ़ेंः पांच साल की केती ने किया नेत्रदान, दो जिंदगी होंगी रोशन

ऋषिकेशः दुखों का पहाड़ टूटने के बावजूद भी एक पिता ने समाज हित में अपने बेटे का नेत्रदान कराकर मिसाल पेश की है. अब उनके बेटे की आंखों से दो लोग दुनिया देख सकेंगे. जी हां, ऋषिकेश के 13 साल के किशोर ने सुसाइड कर लिया था. अब उनके पिता ने गमगीन माहौल और दुख की घड़ी में बेटे का नेत्रदान कराया है.

Eye Donation Rishikesh
पिता ने बेटे का किया नेत्रदान

दरअसल, बीती 18 सितंबर को को ऋषिकेश के गंगा नगर के हनुमंत पुरम में रहने वाले छात्र सिद्धार्थ (उम्र 13 वर्ष) ने आत्महत्या कर ली थी. अब सिद्धार्थ के पिता रघुबीर सिंह ने बेटे का नेत्रदान कराया है. एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा अधीक्षक एवं नेत्र रोग विभागाध्यक्ष संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि सिद्धार्थ के परिजनों ने आई बैंक एम्स से संपर्क साधकर अपने दिवंगत बेटे का नेत्रदान कराया है, जो सराहनीय कदम है.
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कौन कर सकता है नेत्रदानः उन्होंने बताया कि सभी उम्र के व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं. यदि किसी को चश्मा लगा हो या मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ हो, ऐसे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं. नेत्रदान के लिए मृत्यु के बाद किसी तरह का ऑपरेशन नहीं होता. महज 15 मिनट की प्रक्रिया में आंखों की ऊपरी सतह पर स्थित कॉर्निया को निकाला जाता है. जिसमें आंखों की रोशनी रहती है.

एम्स ऋषिकेश आई बैंक में नेत्रदान करने वालों का आंकड़ा 702 पहुंचाः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश (एम्स) आई बैंक में बीते सोमवार को दिवंगत हरभजन सिंह और सिद्धार्थ का उनके परिजनों ने मृत्यु उपरांत नेत्रदान कराया. नेत्रदान के प्रति जागरूक इन लोगों के इस प्रयास से चार नेत्रहीन लोगों का जीवन रोशन हो सकेगा. बताया जा रहा है कि इस नेत्रदान से ऋषिकेश आई बैंक ने अब तक 702 का आंकड़ा पार कर लिया.
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एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक मीनू सिंह ने नेत्रदान जैसे महादान के इस संकल्प के लिए परिजनों की सराहना की. उन्होंने कहा कि इससे अन्य लोगों को भी नेत्रदान के संकल्प की प्रेरणा लेनी चाहिए. साथ ही उन्होंने ऋषिकेश आई बैंक की ओर से 702 का आंकड़ा पार करने पर सराहना की. वहीं, नेत्रदान की प्रतिज्ञा के लिए क्यूआर कोड को जेनरेट कर इस सुविधा का शुभारंभ किया.

सबसे ज्यादा ऋषिकेश वासियों ने दान किए कॉर्नियाः बता दें कि अब तक एम्स ऋषिकेश के आई बैंक को 702 कॉर्निया मिल चुके हैं. ऋषिकेश नेत्र बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर नीति गुप्ता ने बताया कि अब तक मिले कॉर्निया में ऋषिकेश शहर से 61 फीसदी, हरिद्वार शहर से 22, देहरादून से 3, रुड़की से 1 और उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से 8 फीसदी शामिल हैं. इसी तरह भारत के अन्य शहरों से 5 फीसदी लोगों ने ऋषिकेश आई बैंक में नेत्रदान किए हैं.
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