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गर्भवती बहन, भांजी, मां-बाप को 87 बार चाकू से गोदने वाले हरमीत को सजा-ए-मौत, जानें कब-कब क्या हुआ?

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Published : Oct 6, 2021, 12:30 PM IST

Updated : Oct 6, 2021, 3:40 PM IST

राजधानी देहरादून के आदर्श नगर में पांच लोगों की बेरहमी से हत्या करने वाले दोषी हरमीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई है. ये दिल दहला देने वाली घटना साल 2014 दीपावली रात की है. सारी प्रॉपर्टी हड़पने के मकसद से हरमीत सिंह से गर्भवती सौतेली बहन, 5 साल की भांजी सहित सौतेली मां और पिता को चाकू के 87 वार कर मार डाला था. जानें, इस पूरी हत्या में कब-कब, क्या-क्या हुआ...

accused-harmeet
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देहरादून: राजधानी के आदर्श नगर में वर्ष 2014 में दिवाली की रात हुए इस हत्याकांड में एक व्यक्ति ने अपने ही परिवार के पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. परिवार के सदस्यों को चाकू से गोदकर बेरहमी से हत्या करने वाले आरोपी हरमीत सिंह को देहरादून के अपर जिला पंचम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. बता दें कि, सजा से बचने के लिए उसने घटना के कुछ समय बाद खुद को पागल व मानसिक संतुलन खो देने जैसा नाटक भी किया था.

ये था पूरा मामला: बता दें कि, हत्याकांड 23-24 अक्तूबर 2014 को कैंट थाना क्षेत्र के आदर्शनगर में हुआ था. यहां होर्डिंग कारोबारी जय सिंह का मकान है. इस मकान में जय सिंह, उनकी पत्नी कुलवंत कौर, बेटी हरजीत कौर, नातिन सुखमणि (तीन साल), नाती कंवलजीत सिंह (पांच साल) और बेटा हरमीत (जय सिंह की पहली पत्नी का बेटा) रहते थे. दीवाली से अगले दिन घर के अंदर से कोई बाहर नहीं निकला था. कुछ देर बाद वहां नौकरानी राजी पहुंची तो उसने देखा कि घर में खून फैला हुआ था. वह अंदर गई तो वहां हरजीत कौर, सुखमणि, जय सिंह और कुलवंत कौर के लहुलूहान शव पड़े थे. दरवाजे की ओट में हाथ में चाकू लिए हरमीत खड़ा था. पास में ही पांच साल का कंवलजीत भी डरा सहमा खड़ा था. उसके हाथों में भी घाव थे.

यह सब देखकर वह चिल्लाती हुई बाहर आई. जिससे आसपास के लोग वहां इकट्ठा हो गए. पास में रहने वाले जय सिंह के भाई अजीत सिंह आए और उन्होंने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने तत्काल मौके से हरमीत को चाकू के साथ गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने तीन माह बाद हरजीत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. कुछ समय बाद मुकदमे का ट्रायल सेशन कोर्ट में शुरू हुआ. इस मुकदमे में वादी की ओर से अधिवक्ता बीडी झा भी शामिल रहे. मुकदमे में कुल 21 गवाह पेश हुए. इन्हीं के आधार पर हरमीत सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 316 (गर्भस्थ शिशु की हत्या करना) में दोषी ठहराया गया.

आरोपी हरमीत सिंह ने खुद को पागल बताया: हत्या करने के बाद जब हरमीत सिंह को पुलिस ने पकड़ा तो उसने पागल होने का ढोंग किया. इसके बाद डॉक्टरों ने उसकी मानसिक जांच की थी जिसमें वो पूरी तरह से ठीक मिला था. जिसके बाद कोर्ट ने उसे दोषी माना.

माता-पिता समेत पांच लोगों को हरमीत ने उतारा था मौत के घाट.

शासकीय अधिवक्ता राजीव गुप्ता के मुताबिक इस अपराध के निर्णय में लगभग 3 साल का अतिरिक्त समय लगा. उन्होंने कहा कि आरोपी ने जिस तरह का पागल होने का ड्रामा रचा था वह पूरी तरह से सभी तरह के चिकित्सा प्रणाली जांच पड़ताल में गलत पाया गया. इस जघन्य अपराध की सजा से बचने के लिए आरोपी ने जिस मानसिक संतुलन खोने की चालबाजी की थीं, इसको लेकर कोर्ट प्रक्रिया के तहत निचले चिकित्सा जांच प्रक्रिया से लेकर ऑल इंडिया एम्स-हायर मेडिकल व्यवस्था तक आरोपी के मानसिक संतुलन व अन्य विषय को लेकर परीक्षण कराया गया. जो पूरी तरह से सही स्वस्थ व्यक्ति के रूप में पाया गया. ऐसे में 7 साल की कानूनी प्रक्रिया के उपरांत प्रॉपर्टी विवाद को लेकर अपनी गर्भवती बहन, 3 साल की भांजी, माता-पिता सहित पांच लोगों के निर्मम हत्या मामले में कोर्ट ने दोषी हरमीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई है.

पढ़ें: दीपावली की रात परिवार के पांच लोगों की हत्या करने वाले हरमीत को फांसी की सजा

सजा से पीड़ित पक्ष संतुष्ट: वहीं, 5 लोगों के इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले हरमीत सिंह को फांसी मिलने के बाद पीड़ित पक्ष के लोगों ने न्याय व्यवस्था से संतुष्टि जताई है. मामले में अजीत सिंह का कहना है कि आज भी जब 23 अक्टूबर 2014 दिवाली की का रात वाली घटना को सोचते हैं तो सभी की रूह कांप जाती है. दिवाली की अगली सुबह 24 अक्टूबर 2014 को जब वह घटनास्थल मकान जो उनके बगल में है वहां से किसी तरह की कोई हलचल न होने के चलते जैसे ही वह मौके पर पहुंचे तो घर के बाहर गेट तक खून पानी की तरह बह रहा था. यह देखते ही उनके रोंगटे खड़े हो गए. जैसे तैसे हिम्मत कर आसपास के लोगों को बुलाकर घर के अंदर दाखिल हुए तो देखा कि फर्श पर चाचा जय सिंह, चाची कुलवंत कौर औंधे मुंह खून से लथपथ पड़े हैं.

वहीं, जब दूसरे कमरे में दाखिल हुए तो वहां देखा की 9 माह कि गर्भवती बहन हरजीत उर्फ हनी का शव पूरी तरह से खून में फर्श पर पड़ा था. इतना ही नहीं मां से छिटककर थोड़ी दूर 3 साल की भांजी सुखमणि भी खून से भीगी हुई पड़ी थी.

गर्भवती बहन हनी पर 27 बार चाकू से किया था वार: हत्याकांड में फांसी की सजा पाने वाले हरमीत सिंह की सौतेली बहन हरजीत उर्फ हनी दिवाली से दो-तीन दिन पहले ही पंजाब ससुराल से अपने माता-पिता के घर आई थी. 23 अक्टूबर दिवाली के अगले दिन 24 अक्टूबर को उसकी डिलीवरी की तारीख थी वह 9 माह से गर्भवती थी. अजीत सिंह बताते हैं कि प्रॉपर्टी और सौतेली बहन से रंजिश के चलते दोषी हरमीत सिंह ने 27 बार अपनी बहन हनी पर चाकू से वार किया था. वहीं, 28वां वार उसने अपनी बहन की कोख पर किया था.

पूरी प्रॉपर्टी पर थी हरमीत की नजर: मृतक जय सिंह का पहली पत्नी से तलाक हो गया था. पहली शादी से उन्हें दो बेटे थे, एक हरमीत और दूसरा पारस. पारस अपनी मां के साथ ही रहता था. वहीं, जय सिंह ने भाई अजीत सिंह की बेटी हरजीत को बचपन में ही गोद ले लिया था. हरमीत अपनी सौतेली मां और बाकी परिवार से नफरत करता था और प्रॉपर्टी को लेकर पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी दे चुका था. वो चाहता था कि पिता जय सिंह की सारी संपत्ति उसे ही मिले.

नौकरानी ने सबसे पहले देखा था विभत्स नजारा: वहीं, दीपावली से अगले दिन जब घर से कोई बाहर नहीं निकला तो नौकरानी घर के अंदर गई. वहां उसने देखा कि पूरे घर में खून फैला हुआ था और हरजीत, सुखमणि, जय सिंह और कुलवंत कौर के लहुलूहान शव पड़े थे. वहीं, दरवाजे की साइड पर हाथ में चाकू लिए हरमीत खड़ा था. ये विभत्स नजारा देख नौकरानी चिल्लाती हुई बाहर आई और लोगों को इकट्ठा किया. पास में रहने वाले जय सिंह के भाई अजीत सिंह भी मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने तत्काल मौके से हरमीत को हत्या में इस्तेमाल चाकू के साथ गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद करीब तीन महीने बाद हरजीत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. कुछ समय बाद मुकदमे का ट्रायल सेशन कोर्ट में शुरू हुआ और अब हरमीत को सात साल तक चली सुनवाई के बाद फांसी की सजा सुनाई गई है.

देहरादून: राजधानी के आदर्श नगर में वर्ष 2014 में दिवाली की रात हुए इस हत्याकांड में एक व्यक्ति ने अपने ही परिवार के पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. परिवार के सदस्यों को चाकू से गोदकर बेरहमी से हत्या करने वाले आरोपी हरमीत सिंह को देहरादून के अपर जिला पंचम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. बता दें कि, सजा से बचने के लिए उसने घटना के कुछ समय बाद खुद को पागल व मानसिक संतुलन खो देने जैसा नाटक भी किया था.

ये था पूरा मामला: बता दें कि, हत्याकांड 23-24 अक्तूबर 2014 को कैंट थाना क्षेत्र के आदर्शनगर में हुआ था. यहां होर्डिंग कारोबारी जय सिंह का मकान है. इस मकान में जय सिंह, उनकी पत्नी कुलवंत कौर, बेटी हरजीत कौर, नातिन सुखमणि (तीन साल), नाती कंवलजीत सिंह (पांच साल) और बेटा हरमीत (जय सिंह की पहली पत्नी का बेटा) रहते थे. दीवाली से अगले दिन घर के अंदर से कोई बाहर नहीं निकला था. कुछ देर बाद वहां नौकरानी राजी पहुंची तो उसने देखा कि घर में खून फैला हुआ था. वह अंदर गई तो वहां हरजीत कौर, सुखमणि, जय सिंह और कुलवंत कौर के लहुलूहान शव पड़े थे. दरवाजे की ओट में हाथ में चाकू लिए हरमीत खड़ा था. पास में ही पांच साल का कंवलजीत भी डरा सहमा खड़ा था. उसके हाथों में भी घाव थे.

यह सब देखकर वह चिल्लाती हुई बाहर आई. जिससे आसपास के लोग वहां इकट्ठा हो गए. पास में रहने वाले जय सिंह के भाई अजीत सिंह आए और उन्होंने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने तत्काल मौके से हरमीत को चाकू के साथ गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने तीन माह बाद हरजीत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. कुछ समय बाद मुकदमे का ट्रायल सेशन कोर्ट में शुरू हुआ. इस मुकदमे में वादी की ओर से अधिवक्ता बीडी झा भी शामिल रहे. मुकदमे में कुल 21 गवाह पेश हुए. इन्हीं के आधार पर हरमीत सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 316 (गर्भस्थ शिशु की हत्या करना) में दोषी ठहराया गया.

आरोपी हरमीत सिंह ने खुद को पागल बताया: हत्या करने के बाद जब हरमीत सिंह को पुलिस ने पकड़ा तो उसने पागल होने का ढोंग किया. इसके बाद डॉक्टरों ने उसकी मानसिक जांच की थी जिसमें वो पूरी तरह से ठीक मिला था. जिसके बाद कोर्ट ने उसे दोषी माना.

माता-पिता समेत पांच लोगों को हरमीत ने उतारा था मौत के घाट.

शासकीय अधिवक्ता राजीव गुप्ता के मुताबिक इस अपराध के निर्णय में लगभग 3 साल का अतिरिक्त समय लगा. उन्होंने कहा कि आरोपी ने जिस तरह का पागल होने का ड्रामा रचा था वह पूरी तरह से सभी तरह के चिकित्सा प्रणाली जांच पड़ताल में गलत पाया गया. इस जघन्य अपराध की सजा से बचने के लिए आरोपी ने जिस मानसिक संतुलन खोने की चालबाजी की थीं, इसको लेकर कोर्ट प्रक्रिया के तहत निचले चिकित्सा जांच प्रक्रिया से लेकर ऑल इंडिया एम्स-हायर मेडिकल व्यवस्था तक आरोपी के मानसिक संतुलन व अन्य विषय को लेकर परीक्षण कराया गया. जो पूरी तरह से सही स्वस्थ व्यक्ति के रूप में पाया गया. ऐसे में 7 साल की कानूनी प्रक्रिया के उपरांत प्रॉपर्टी विवाद को लेकर अपनी गर्भवती बहन, 3 साल की भांजी, माता-पिता सहित पांच लोगों के निर्मम हत्या मामले में कोर्ट ने दोषी हरमीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई है.

पढ़ें: दीपावली की रात परिवार के पांच लोगों की हत्या करने वाले हरमीत को फांसी की सजा

सजा से पीड़ित पक्ष संतुष्ट: वहीं, 5 लोगों के इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले हरमीत सिंह को फांसी मिलने के बाद पीड़ित पक्ष के लोगों ने न्याय व्यवस्था से संतुष्टि जताई है. मामले में अजीत सिंह का कहना है कि आज भी जब 23 अक्टूबर 2014 दिवाली की का रात वाली घटना को सोचते हैं तो सभी की रूह कांप जाती है. दिवाली की अगली सुबह 24 अक्टूबर 2014 को जब वह घटनास्थल मकान जो उनके बगल में है वहां से किसी तरह की कोई हलचल न होने के चलते जैसे ही वह मौके पर पहुंचे तो घर के बाहर गेट तक खून पानी की तरह बह रहा था. यह देखते ही उनके रोंगटे खड़े हो गए. जैसे तैसे हिम्मत कर आसपास के लोगों को बुलाकर घर के अंदर दाखिल हुए तो देखा कि फर्श पर चाचा जय सिंह, चाची कुलवंत कौर औंधे मुंह खून से लथपथ पड़े हैं.

वहीं, जब दूसरे कमरे में दाखिल हुए तो वहां देखा की 9 माह कि गर्भवती बहन हरजीत उर्फ हनी का शव पूरी तरह से खून में फर्श पर पड़ा था. इतना ही नहीं मां से छिटककर थोड़ी दूर 3 साल की भांजी सुखमणि भी खून से भीगी हुई पड़ी थी.

गर्भवती बहन हनी पर 27 बार चाकू से किया था वार: हत्याकांड में फांसी की सजा पाने वाले हरमीत सिंह की सौतेली बहन हरजीत उर्फ हनी दिवाली से दो-तीन दिन पहले ही पंजाब ससुराल से अपने माता-पिता के घर आई थी. 23 अक्टूबर दिवाली के अगले दिन 24 अक्टूबर को उसकी डिलीवरी की तारीख थी वह 9 माह से गर्भवती थी. अजीत सिंह बताते हैं कि प्रॉपर्टी और सौतेली बहन से रंजिश के चलते दोषी हरमीत सिंह ने 27 बार अपनी बहन हनी पर चाकू से वार किया था. वहीं, 28वां वार उसने अपनी बहन की कोख पर किया था.

पूरी प्रॉपर्टी पर थी हरमीत की नजर: मृतक जय सिंह का पहली पत्नी से तलाक हो गया था. पहली शादी से उन्हें दो बेटे थे, एक हरमीत और दूसरा पारस. पारस अपनी मां के साथ ही रहता था. वहीं, जय सिंह ने भाई अजीत सिंह की बेटी हरजीत को बचपन में ही गोद ले लिया था. हरमीत अपनी सौतेली मां और बाकी परिवार से नफरत करता था और प्रॉपर्टी को लेकर पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी दे चुका था. वो चाहता था कि पिता जय सिंह की सारी संपत्ति उसे ही मिले.

नौकरानी ने सबसे पहले देखा था विभत्स नजारा: वहीं, दीपावली से अगले दिन जब घर से कोई बाहर नहीं निकला तो नौकरानी घर के अंदर गई. वहां उसने देखा कि पूरे घर में खून फैला हुआ था और हरजीत, सुखमणि, जय सिंह और कुलवंत कौर के लहुलूहान शव पड़े थे. वहीं, दरवाजे की साइड पर हाथ में चाकू लिए हरमीत खड़ा था. ये विभत्स नजारा देख नौकरानी चिल्लाती हुई बाहर आई और लोगों को इकट्ठा किया. पास में रहने वाले जय सिंह के भाई अजीत सिंह भी मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने तत्काल मौके से हरमीत को हत्या में इस्तेमाल चाकू के साथ गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद करीब तीन महीने बाद हरजीत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. कुछ समय बाद मुकदमे का ट्रायल सेशन कोर्ट में शुरू हुआ और अब हरमीत को सात साल तक चली सुनवाई के बाद फांसी की सजा सुनाई गई है.

Last Updated : Oct 6, 2021, 3:40 PM IST
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