देहरादून: जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है, जिंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी हैं, अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीन, आगे अभी सारा आसमान बाकी है...यही पंक्तियां भारतीय सेना में शामिल हुए युवा जांबाज अफसरों के लिए सटीक बैठती हैं. भारतीय सेना के जांबाज अफसरों ने आज अकादमी के कठिन प्रशिक्षण को तो सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, मगर अब नई चुनौतियों के साथ सरहदें उनका इंतजार कर रही हैं.
भारतीय सैन्य अकादमी में तेज बारिश और हवाओं के बीच भी युवा सैन्य अफसरों की गर्जना का शोर अकादमी के विशाल परिसर में सुनाई देता रहा. पासिंग आउट परेड को खराब मौसम के चलते कुछ समय बाद शुरू किया गया, लेकिन चैटवुड भवन के सामने कदमताल शुरू होते ही इंद्रदेव भी मानो युवा अफसरों के जोश को देखकर थम गये. तालियों की गड़गड़ाहट के साथ परेड करते अफसरों का सभी ने स्वागत किया. इस बार अकादमी में रिव्यूइंग अफसर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह रहे. जिन्होंने परेड का निरीक्षण करते हुए युवा अफसरों की हौसला अफजाई की.
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पासिंग आउट परेड खत्म होते ही अंतिम पग पार करते हुए युवा जांबाज चेटवुड भवन में दाखिल हो हुए. अब बारी पीपिंग सेरेमनी की थी. यह पल किसी भी जेंटलमैन कैडेट के लिए इसलिए खास होता है क्योंकि इस दौरान कैडेट के परिजन खुद उनके कंधों पर स्टार लगाते हैं. हालांकि इस बार सैन्य अधिकारियों ने ही कोविड की बाध्यताओं के चलते इस खास पल में परिजनों की भूमिका निभाई.
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अफसर बनने वाले इन युवाओं में कई ऐसे हैं जो दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं, तो कुछ ऐसे हैं जो अपने क्षेत्रीय गांव के पहले अफसर हैं. जाहिर है इस खुशी को न केवल युवा अफसर या उनके परिजन बल्कि उसके क्षेत्र के लोग भी महसूस कर रहे होंगे. इस दौरान IMA में पीपिंग करने वाले सैन्य अफसर कर्नल मुकुंद ने कहा उनके द्वारा अपनी यूनिट के यंग ऑफिसर की पीपिंग की गई, ऐसे युवा अफसरों को देखकर उनका भी हौसला बढ़ता है.
मालिनी मुकुंद कहती हैं कि उन्हें नहीं पता कि उनके बच्चे सेना में जाएंगे या नहीं, लेकिन आज इन बच्चों के परिवार में रूप में खड़ा होकर बेहद अच्छा लग रहा है. इस दौरान युवा सैन्य अफसरों और परिजनों की भूमिका निभाने वाले अधिकारियों के साथ ही ट्रेनर भी बेहद उत्साहित दिखे. मेजर अविनाश राजपूताना राइफल रेजीमेंट से हैं. वो कहते हैं कि यह सबसे पुरानी राइफल रेजीमेंट में से एक है. इसका इतिहास 200 साल पुराना है. वह कहते हैं कि कुछ युवा अफसरों ने राजपूताना राइफल रेजीमेंट ज्वाइन की है. उम्मीद है कि उनकी तरह वह भी राजपूताना राइफल रेजीमेंट में बेहतर सेवाएं देंगे.