देहरादून : प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान दहेज हत्या व घरेलू हिंसा जैसे मामलों को छोड़कर अधिकांश अपराधों में भारी कमी देखने को मिली थी. लेकिन जैसे ही अनलॉक का दौरा शुरू हुआ वैसे ही अपराध का ग्राफ बढ़ता चला गया. लॉकडाउन के दौरान अपराध 70 से 80 प्रतिशत कम हो गया था. जानकारों के मुताबिक जैसे-जैसे कोरोना काल में सामान्य दिन होते चले जा रहे हैं उसी के मुताबिक हर तरह का अपराध बढ़ना भी एक तरह की प्रक्रिया है. अनलॉक में उत्तराखंड में दहेज हत्या, घरेलू हिंसा, बलात्कार जैसे मामलों में बढ़ोत्तरी नजर आ रही है. हालांकि हत्या, लूट, डकैती, अपहरण और चोरी जैसे अन्य गंभीर किस्म के अपराधों में 20 से 50 फीसदी की कमी देखी जा रही है.
नजर डालते हैं आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज प्रदेश में तीन वर्षों के तुलनात्मक अपराध के आधिकारिक आंकड़ों पर :
30 जून 2020 तक ( 3 साल के शुरुआती 6 महीने तक)
दहेज हत्या जैसे कुछ अपराधों को छोड़कर अधिकांश अपराध में भारी गिरावट: डीजी
वहीं, राज्य में लॉकडाउन के बाद अनलॉक का दौर शुरू होते ही बड़ी घटनाओं को छोड़ लगातार आपराधिक आंकड़ों में तेजी देखी जा रही है. हालांकि उत्तराखंड में अपराध व कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि इस साल के शुरुआती 6 महीने के कुछ अपराधों को छोड़कर बड़े अपराध जैसे लूट, डकैती, अपहरण, वाहन लूट व चोरी में 20 से 50 फीसदी की कमी आई है. बीते सालों की तुलना में यह आंकड़ा काफी कम है. हालांकि, पारिवारिक कलह के चलते घरेलू हिंसा, दहेज हत्या, बलात्कार जैसे अन्य अपराधों में जरूर वृद्धि हुई है. लेकिन अधिकांश अपराध नियंत्रण में हैं. उत्तराखंड पुलिस लगातार बेहतर कानून व्यवस्था की तरफ प्रयासरत है.
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान अधिकांश तरह से गंभीर किस्म के अपराधों में भारी कमी देखने को मिली हैं, लेकिन महिलाओं से जुड़े संगीन अपराधों में किसी तरह की कोई कमी नजर नहीं आ रही है. सामान्य दिनों की तरह ही लॉकडाउन के दरम्यान भी महिलाओं के प्रति दहेज हत्या, बलात्कार व घरेलू हिंसा जैसे गंभीर किस्म के अपराध आम परिवारों से लेकर हाईप्रोफाइल घराने तक बदस्तूर जारी हैं. ताजा मामला देहरादून के राजपुर क्षेत्र से पिछले दिनों हैरान करने वाला सामने आया है, जहां उत्तर प्रदेश होमगार्ड से डीजी जैसे पद से रिटायर्ड होने बड़े अधिकारी की पत्नी ने खुद पति के खिलाफ घरेलू हिंसा मारपीट प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय को प्रार्थना पत्र दिया था. इस मामले में पूर्व डीजी सुधीर अवस्थी से दून पुलिस पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है. इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान सुबह-शाम सैर करने के दौरान लड़कियों के साथ छेड़खानी, बदसलूकी और कई जगह पर बलात्कार जैसे मामले भी बढ़ते नजर आए हैं.
लॉकडाउन में बलात्कार छेड़छाड़ मारपीट के मामले
हाल ही में 18 जुलाई को विकास नगर क्षेत्र में 13 साल की नाबालिग बच्ची को समोसे खिलाने के बहाने जंगल में ले जाकर मारपीट कर बलात्कार किया गया. 5 जुलाई 2020 को ही विकास नगर क्षेत्र में नाबालिग बच्ची के साथ 2 लोगों द्वारा दुष्कर्म की घटना सामने आई. वहीं, 6 जुलाई थाना बसंत विहार क्षेत्र को और उससे पहले नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में राह चलते लड़कियों के साथ छेड़छाड़ मारपीट जैसे मामले भी सामने हैं. उधर, ताजा मामला हरिद्वार क्षेत्र से भी बीते दिनों सामने आया जिसमें नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
सामान्य दिन आते ही क्राइम में सक्रिय होते हैं अपराधी
लॉकडाउन के बाद अनलॉक के दौर में बढ़ते अपराध को लेकर महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि जैसे-जैसे सामान्य दिनचर्या होती जा रही है, उसके हिसाब से अपराधी तत्व, आपराधिक घटनाओं को करने में सक्रिय हो रहे हैं. लेकिन इस बीच उत्तराखंड पुलिस ने भी अपनी मुस्तैदी बढ़ाते हुए अपराधियों की धरपकड़ शुरू कर दी है.
महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में सख्त किए गए कानून में जागरूकता की कमी: शासकीय अधिवक्ता
देहरादून पॉक्सो कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी का मानना है कि सामान्य दिनों के साथ-साथ जिस तरह से लॉकडाउन के दौरान भी महिलाओं से संबंधित अपराधों में कमी ना आना काफी गंभीर विषय है. जबकि, पहले के मुकाबले महिलाओं से जुड़े सभी तरह के अपराधों में सजा का प्रावधान पहले से दोगुना हो गया है. इसके बावजूद भी अगर राज्य में महिलाओं के प्रति अपराध नहीं रुक रहे हैं तो इसमें एक सबसे बड़ी कमी कानूनों को लेकर जागरूकता की कमी है.
इसके साथ ही आज दौड़ भरी जिंदगी में जिस तरह से मां-बाप अभिभावक रुपए कमाने की होड़ में अपने बच्चों क्रियाकलापों में किसी तरह से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. यह भी इस अपराध को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा कारण है. पॉक्सो कोर्ट के सरकारी वकील भरत सिंह नेगी के अनुसार महिलाओं से जुड़े अपराध अब पहले से अधिक पुलिस मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. इसके चलते भी यह संख्या बढ़ती दिख रही है. ऐसे में पुलिस न्याय व्यवस्था सरकार व सामाजिक संगठनों को एकजुट होकर महिलाओं से जुड़े अपराधों के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.