देहरादून: उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार से बीते दिनों एक पिता ने अपील की थी कि उनका नाबालिग बेटा स्कूटी की मांग करता है, क्योंकि बेटे को लगता है कि पुलिस स्कूली बच्चों पर कार्रवाई नहीं करती है. ऐसे में स्कूली बच्चों की भी चेकिंग की जाए, ताकि उनमें कानून का डर बने. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. अब इस पिता की अपील पर डीजीपी अशोक कुमार ने पुलिस को आदेश दिए हैं कि स्कूल में जाने वाले बच्चे यदि बाइक और स्कूटी चलाते हुए मिलें तो उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए.
डीजीपी अशोक कुमार के आदेश पर यातायात पुलिस देहरादून ने काम शुरू कर दिया है. शहर के कई स्कूलों में जाकर पुलिस ने बच्चों और शिक्षकों को जागरुक किया. इसके साथ ही पुलिस ने करीब 10 ऐसे वाहनों को सीज किया, जिन्हें स्कूली बच्चे चला रहे थे. साथ ही नाबालिगों को हिदायत भी दी.
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इस बारे में देहरादून एसपी ट्रैफिक अक्षय कोड़े ने बताया कि यातायात पुलिस ने विशेष अभियान चलाया है, जिसके तहत नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने से रोका जा रहा है. साथ ही उन्हें बताया जा रहा है कि यदि वे फिर भी वाहन चलाते हैं तो एमवी एक्ट की धारा 199A के तहत संरक्षक या स्वामी को तीन साल के कारावास की सजा और 25 हजार रुपए का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. इसके साथ ही वाहन का रजिस्ट्रेशन भी 12 महीने के लिए रद्द किया जा सकता है. इसके साथ ही पुलिस साफ किया है कि यदि कोई किशोर यानी 18 साल के कम उम्र का नाबालिग वाहन चलता हुआ पकड़ा जाता है, तो उस पर कार्रवाई होगी.
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एमवी एक्ट के अनुसार वो व्यक्ति 25 साल की उम्र तक डीएल प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं होगा. इस तरह की सभी जानकारियां स्कूल प्रबंधन को भेजी गई है. अभिभावक और बच्चों को काउंसलिंग के लिए यातायात कार्यालय बुलाया जाएगा. पुलिस ने सभी पेरेंट्स से अनुरोध किया है कि वो अपने नाबालिक बच्चों को वाहन न दें.