देहरादून: ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों के लिए एडवेंथ्रिल एडवेंचर मिशन एवेरेस्ट 2024 पर है. उससे पहले एडवेंथ्रिल एडवेंचर एवरेस्ट(Advenryl adventure Everest) पर चढ़ाई करने से पहले एवरेस्ट के समकक्ष छोटे पर्वतों पर चढ़ाई कर रहे हैं. इसी कड़ी में टीम के सदस्यों ने उत्तरकाशी में मौजूद 6387 मीटर ऊंची चोटी कालानाग शिखर का सफलतम आरोहण कर लिया है.
क्या है मिशन: बच्चों में पाई जाने वाली अनोखी बीमारी ऑटिज्म ग्रसित बच्चों को सपोर्ट के लिए एडवेंथ्रिल एडवेंचर मिशन एवेरेस्ट 2024 पर है. जिसके तहत एडवेंथ्रिल एडवेंचर के सदस्य वर्ष 2024 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करेंगे. वहीं एवरेस्ट पर चढ़ाई करने से पहले एवरेस्ट के समकक्ष छोटे पर्वतों पर चढ़ाई की जाती है.
कालानाग पीक पर खराब मौसम में की चढ़ाई: इसी मिशन के तहत उत्तरकाशी जनपद में सरस्वती पर्वत श्रंखला में सबसे ऊंची चोटी कालानाग शिखर जिसकी ऊंचाई 6387 मीटर है. उसे एडवेंथ्रिल एडवेंचर ने खराब मौसम के चलते भी फतह कर लिया है. बता दें कि मिशन एवेरेस्ट 2024 के तहत की गई कालानाग चोटी कालानाग शिखर (Kalanag peak) पर यह चढ़ाई एडवेंथ्रिल की 4 सदस्यीय टीम ने 8 दिन में पूरी की. ये चढ़ाई अल्पाइन तकनीक द्वारा पूरी की गई. टीम का नेतृत्व एडवेंथ्रिल के फाउंडर विजय प्रताप सिंह ने किया. अभियान में अन्य माउंटेनीयर रघु बिष्ट, मनोज राणा, सागर कुम्भारे और वेदांत रस्तोगी ने अदम्य साहस का परिचय दिया.
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क्या होती है अल्पाइन तकनीक: अल्पाइन तकनीक में माउंटेनीयर अपना सामान,उपकरण,राशन खुद ही हर कैंप तक बिना किसी पोर्टर, शेरपा की सहायता के ले जाते हैं. यही नहीं इस टास्क में टीम द्वारा खुद ही अपनी रोप भी फिक्स की जाती हैं. इसी माह 9 सितम्बर को शुरू हुई यह चढ़ाई में 16 सितम्बर को तालुका में संपन्न हुई. जिसमें टीम को खराब मौसम का भी सामना करना पड़ा. टीम 13 सितम्बर को समिट कैंप पर पहुंची, जहां उन्हें भारी बर्फबारी का सामना करना पड़ा. लगभग 36 घंटे बर्फ़बारी में रहने के बाद टीम ने ये टारगेट हासिल किया. एडवेंथ्रिल उत्तराखंड स्थित एक आउटडोर एडवेंचर कम्युनिटी है, जो हिमालयन क्षेत्र के युवाओं के लिए आत्मनिर्भर के लिए विगत 6 वर्षों से लगातार प्रयासरत है.
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क्या होती है ऑटिज्म की बीमारी: ऑटिज्म बच्चों में पाए जाने वाला ऐसा डिसऑर्डर है, जिसकी मौजूदगी से बच्चा सामान्य बच्चों से कम सक्रिय होता है. साथ ही ऑटिज्म से ग्रसित बच्चा सामान्य बच्चों की तुलना में बेहद धीमी गति से प्रतिक्रिया देता है. कभी कभी बच्चा एक ही तरह की प्रतिक्रिया कई बार देता रहता है. यह एक तरह की जिकल एफिशिएंसी है. अमूमन इस तरह के बच्चे हमारे समाज में देखे जाते हैं. पर्वतारोही विजय का कहना है कि उसके परिवार में भी ऑटिज्म से ग्रसित एक बच्चा है. पिछले लंबे समय से वह अपने भतीजे को इस समस्या से जूझते हुए देख रहे हैं.