देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था. वहीं, देशभर में लागू लॉकडाउन के चलते यातायात ठप हो गया था. ऐसे में परिवहन निगम को करोड़ों का घाटा हुआ है. वहीं दूसरी तरफ, अब प्रबंधन व कर्मचारी भी परिवहन निगम को घाटे में ले जा रहे हैं. दरअसल, स्पेशल ऑडिट में खुलासा हुआ है कि पिछले 7 साल में करीब 1300 कर्मचारियों को गलत वेतन और एसीपी देने से रोडवेज निगम को करीब 100 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा है.
गौरतलब है कि रोडवेज में करीब डेढ़ साल पहले एसीपी घपले का मामला सामने आया था. जिसके बाद गलत एसीपी हटाकर रोडवेज मुख्यालय ने 15 अधिकारियों और कार्यशाला के 400 कर्मचारियों से रिकवरी के आदेश पिछले महीने ही जारी कर दिए थे. इसके साथ ही विभिन्न प्रशासनिक और डिपो दफ्तर के शेष 900 कार्मिकों से रिकवरी के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. हालांकि, गलत वेतन और एसीपी के चलते हुए घाटे में मुख्यालय के कई बड़े अधिकारियों पर 18 से 20 लाख रुपए तक की रिकवरी सामने आ रही है.
परिवहन मुख्यालय को ऑडिट रिपोर्ट मिलने के बाद अब सभी 1300 कार्मिकों का गलत एसीपी के चलते हो रहे लाभ को हटाकर पुराने वेतन पर भेजने के आदेश भी दे दिए गए हैं. वेतन कम होने व रिकवरी को लेकर अब अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच हड़कंप मच गया है. मिली जानकारी के अनुसार कर्मचारी गलत एसीपी का लाभ 2013 से ले रहे थे. जिससे हर महीने रोडवेज को करीब 2 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लग रहा था.
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वही, प्रबंध निदेशक रोडवेज रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि ऑडिट रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पिछले 7 साल से करीब 1300 कार्मिक गलत एसीपी का लाभ उठा रहे थे. इसके साथ ही मुख्यालय सहित प्रशासनिक दफ्तरों व डिपो कार्यालय में 900 कार्मिक ऐसे हैं, जिन्हें बढ़ाकर वेतन दिए जाने की बात सामने आयी है. ऐसे में जिन कर्मचारियों को गलत एसीपी मिल रही थी, उन्हें संशोधित करने के साथ ही रिकवरी के आदेश दिए गए हैं.