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...वो जख्म था इतना गहरा कि जिंदगी भर के लिये छोड़ गया निशां

राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट से खास बातचीत की. कविता ने ईटीवी भारत के कैमरे पर अपने दर्द को खुलकर बयां किया.

kavita bisht
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Published : Jan 24, 2020, 9:06 PM IST

Updated : Jan 25, 2020, 12:19 PM IST

देहरादून: बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फिल्म 'छपाक' की रिलीज के बाद से ही एक बार फिर देश में एसिड अटैक का मुद्दा गर्माने लगा है. खासकर पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की बात करें तो एसिड को लेकर पुलिस टीम ने भी जागरुकता अभियान शुरू किया है. इस कड़ी में किसी भी दुकानदार को एसिड खरीदने वाले की जानकारी लिखित रूप में संभालकर रखनी होगी. अब हम बात करते हैं प्रदेश की ऐसी महिलाओं की जो एसिड अटैक का शिकार होकर समाज में अपनी अलग पहचान बनाने के प्रयासों में जुटी है.

एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट से खास बातचीत.

आज राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट से खास बातचीत की. मुख्य रूप से सरोवर नगरी नैनीताल की रहने वाली कविता ने ईटीवी भारत के कैमरे पर अपने दर्द को खुलकर बयां किया. खास बातचीत में कविता बिष्ट ने बताया कि जिस वक्त साल 2008 में उन पर एक सिरफिरे शख्स ने एसिड अटैक किया था, उस वक्त उस एक हादसे ने न सिर्फ उनका चेहरा बल्कि पूरी जिंदगी ही बदल दी. इस हादसे का जख्म इतना गहरा था उनके पिता अपनी बेटी के इस दर्द को बर्दाश्त नहीं सके और चल बसे.

पढ़ेंः नैनीताल को मिलेगी जाम से मुक्ति, बहुमंजिला पार्किंग बनने का रास्ता हुआ साफ

अपना दर्द बयां करते हुए कविता आगे कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसिड पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी एसिड आज के समय में खुलेआम बाजारों में बिक रहा है और आज भी हर साल बड़ी संख्या में बेटियां एसिड अटैक का शिकार हो रही हैं.

पढ़ेंः राष्ट्रीय बाल पुरस्कार : बच्चों से बोले पीएम मोदी- मुझे आपसे प्रेरणा और ऊर्जा मिलती है

कविता कहती है कि शासन-प्रशासन को एसिड की बिक्री पर सख्ती के साथ प्रतिबंध लगाना चाहिए. वही इस तरह के अपराधों में जल्द से जल्द अपराधी को सजा सुनाई जानी चाहिए. जब तक इस तरह के लोग हमारे समाज में खुले घूमते रहेंगे, तब तक देश में एसिड अटैक के मामले कम नहीं होंगे.

देहरादून: बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फिल्म 'छपाक' की रिलीज के बाद से ही एक बार फिर देश में एसिड अटैक का मुद्दा गर्माने लगा है. खासकर पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की बात करें तो एसिड को लेकर पुलिस टीम ने भी जागरुकता अभियान शुरू किया है. इस कड़ी में किसी भी दुकानदार को एसिड खरीदने वाले की जानकारी लिखित रूप में संभालकर रखनी होगी. अब हम बात करते हैं प्रदेश की ऐसी महिलाओं की जो एसिड अटैक का शिकार होकर समाज में अपनी अलग पहचान बनाने के प्रयासों में जुटी है.

एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट से खास बातचीत.

आज राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट से खास बातचीत की. मुख्य रूप से सरोवर नगरी नैनीताल की रहने वाली कविता ने ईटीवी भारत के कैमरे पर अपने दर्द को खुलकर बयां किया. खास बातचीत में कविता बिष्ट ने बताया कि जिस वक्त साल 2008 में उन पर एक सिरफिरे शख्स ने एसिड अटैक किया था, उस वक्त उस एक हादसे ने न सिर्फ उनका चेहरा बल्कि पूरी जिंदगी ही बदल दी. इस हादसे का जख्म इतना गहरा था उनके पिता अपनी बेटी के इस दर्द को बर्दाश्त नहीं सके और चल बसे.

पढ़ेंः नैनीताल को मिलेगी जाम से मुक्ति, बहुमंजिला पार्किंग बनने का रास्ता हुआ साफ

अपना दर्द बयां करते हुए कविता आगे कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसिड पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी एसिड आज के समय में खुलेआम बाजारों में बिक रहा है और आज भी हर साल बड़ी संख्या में बेटियां एसिड अटैक का शिकार हो रही हैं.

पढ़ेंः राष्ट्रीय बाल पुरस्कार : बच्चों से बोले पीएम मोदी- मुझे आपसे प्रेरणा और ऊर्जा मिलती है

कविता कहती है कि शासन-प्रशासन को एसिड की बिक्री पर सख्ती के साथ प्रतिबंध लगाना चाहिए. वही इस तरह के अपराधों में जल्द से जल्द अपराधी को सजा सुनाई जानी चाहिए. जब तक इस तरह के लोग हमारे समाज में खुले घूमते रहेंगे, तब तक देश में एसिड अटैक के मामले कम नहीं होंगे.

Intro:देहरादून- बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फल्म 'झपाक' की रिलीज़ के बाद से ही एक बार फिर देश में एसिड अटेक का मुद्दा गर्माया हुआ है । बात पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की करें तो प्रदेश में भी ऐसी कई महिलाएं बेटियां हैं जो एसिड अटैक का शिकार होकर समाज में अपनी अलग पहचान बनाने के प्रयासों में जुटी हुई है ।

आज राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने एसिड अटेक पीड़िता कविता बिष्ट से खास बातचीत की। मुख्य रूप से उत्तराखंड के नैनीताल की रहने वाली कविता ने इस दौरान खुल कर ईटीवी भारत के कैमरे के सामने अपना दर्द बयां किया ।




Body:ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसिड अटैक पीड़िता कविता बिष्ट ने बताया कि जिस वक्त साल 2008 में उन पर एक सिरफिरे व्यक्ति ने ऐसिड अटेक किया। उस एक हादसे के बाद सिर्फ उनका चेहरा ही नहीं बल्कि पूरी की पूरी जिंदगी ही बदल गई । इस हादसे का जख्म इतना गहरा था उनके पिता अपनी बेटी के इस दर्द को बर्दाश्त नही सके और चल बसे ।

अपना दर्द बयां करते होगे कविता कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद आज भी खुले बाजार में एसिड बेचा जा रहा है । जिसकी वजह से आज भी हर साल बेटियां एसिड अटैक का शिकार हो रही है । शासन प्रशासन को ऐसिड की बिक्री पर सख्ती के साथ प्रतिबंध लगाना चाहिए । वही इस तरह के अपराधों में जल्द से जल्द अपराधी को सजा सुनाई जानी चाहिए । जब तक इस तरह के लोग हमारे समाज में खुले घूमते रहेंगे तब तक देश में एसिड अटेक के ममले कम नही होंगे ।


Conclusion:
Last Updated : Jan 25, 2020, 12:19 PM IST
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