देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल को दो साल पूरे हो चुके हैं. साल 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को हटाए जाने के बाद खटीमा विधानसभा सीट से विधायक पुष्कर सिंह धामी को भाजपा आलाकमान ने राज्य की कमान सौंपी थी. तत्कालीन खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी ने 4 जुलाई 2021 को बतौर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. सीएम धामी के इन इन दो सालों के कार्यकाल को भाजपा बेहतर बता रही है लेकिन कांग्रेस ने इसे निराशाजनक करार दिया है.
सीएम बनते ही लिए बड़े फैसले: 4 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बतौर युवा मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की कमान संभाली थी. सीएम धामी ने राज्य की कमान संभालते ही सबसे पहले तत्कालीन मुख्य सचिव ओम प्रकाश की सेवाएं समाप्त की थीं और केंद्र से आईएएस अधिकारी एसएस संधू को राज्य के मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी. 4 जुलाई 2021 से मार्च 2022 तक सीएम धामी ने कई बड़े फैसले जिनके बदौलत वो चर्चा में आए. इसमें सबसे अहम फैसले पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार के चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड फैसले को भंग करने और सख्त धर्मांतरण कानून लागू करना रहा. इसके बाद मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव हुए और सीएम धामी कठिन परीक्षा में पास होने के बाद फिर से मुख्यमंत्री बने.
दूसरी बार बने मुख्यमंत्रीः साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम धामी फिर अपनी विधानसभा खटीमा से भाजपा ने चिन्ह पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. हालांकि, सीएम धामी के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत हासिल किया और लगातार दूसरी बार सरकार न बना पाने का मिथक तोड़ा. हालांकि, धामी के चुनाव हारने से मुख्यमंत्री पद के लिए फिर चेहरे पर चर्चाएं शुरू हुई लेकिन आलाकमान ने विश्वास जताते हुए धामी को ही सीएम पद सौंपा. 23 मार्च 2022 को 8 मंत्रियों के साथ पुष्कर सिंह धामी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि, जून 2022 में हुए उपचुनाव में धामी ने चंपावत सीट जीत ली.
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पहली कैबिनेट में लिया यूसीसी पर फैसला: राज्य की कमान मिलते ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहली कैबिनेट बैठक में ही बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई. साथ ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की.
जबरन धर्मांतरण पर सख्त कानून: इसके बाद सीएम धामी ने कई बड़े फैसले लिए. सीएम ने उत्तराखंड में लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण के मामले पर गंभीरता दिखाई. ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सख्त कानून बनाने का निर्णय लिया. इसके तहत धामी सरकार ने जबरन धर्मांतरण पर सख्त कार्रवाई हो, इसके लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक, 2018 एक्ट में संशोधन किया. साथ ही उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 को विधानसभा सदन में पारित कराया. विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया. राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद संशोधन विधेयक को कानून के तौर पर उत्तराखंड में लागू किया गया. कानून के तहत जबरन धर्मांतरण पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
सख्त नकल विरोधी कानून: साल 2022 में पेपर लीक मामला सामने आने के बाद एसटीएफ ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की. कार्रवाई में पेपर लीक में शामिल तमाम गुनहगारों को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि तमाम पेपर लीक संबंधी परीक्षाएं भी रद्द की गईं. दरअसल, पेपर लीक होने की तमाम शिकायतें सीएम कार्यालय पहुंच रही थी. इसका संज्ञान लेते हुए सीएम धामी ने जांच के आदेश दिए थे. जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, उसी क्रम में गड़बड़ी की परतें भी खुलती गई. ऐसे में प्रदेश के युवाओं के साथ भविष्य में कोई खिलवाड़ ना हो, इसके लिए धामी सरकार ने देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून को लागू किया. इसमें सजा के कड़े प्रावधान किए गए हैं. कानून के तहत दोषी अभ्यर्थी के खिलाफ 10 साल तक किसी भी परीक्षा देने पर प्रतिबंध और नकल कराने वाले की संपत्ति जब्त और गैंगस्टर लगाने का नियम है.
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सरकारी भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण पर चोट: सीएम धामी के निर्देश पर प्रदेश की सरकारी भूमि पर हुए अवैध धार्मिक अतिक्रमण को हटाने के लिए बृहद स्तर पर अभियान शुरू किया गया. हालांकि, प्रदेश को अतिक्रमण मुक्त उत्तराखंड बनाने की दिशा में अभियान का सिलसिला जारी है. अवैध अतिक्रमण को हटाने की शुरुआत वन विभाग से हुई. वन विभाग की भूमि पर बनाए गए अवैध धार्मिक अतिक्रमण को हटाया गया. ऐसे में वन विभाग भूमि पर बने अवैध अतिक्रमण को लगातार हटाने का काम कर रहा है.
कुमाऊं के प्राचीन और पौराणिक मंदिरों का विकास: उत्तराखंड के चारधाम में से केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के पुनर्निर्माण का काम जोरों शोरों से चल रहा है, ताकि आने वाले समय में बाबा केदार और बदरी विशाल की भव्यता देश दुनिया में और भी विख्यात हो सके. इसी क्रम में कुमाऊं क्षेत्र में मौजूद प्राचीन और पौराणिक मंदिरों के विकास को लेकर भी सीएम धामी ने पहल की. लिहाजा, मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत पहले चरण में 16 मंदिर चिन्हित किए गए, जिनको विकसित किया जा रहा है.
महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण: सीएम धामी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान कई बड़े फैसले भी लिए. इसके तहत अति निर्धन परिवारों को साल में तीन गैस सिलेंडर निशुल्क रिफिल करने की योजना, प्रदेश की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान, वोकल फॉर लोकल पर आधारित 'एक जनपद दो उत्पाद' योजना की शुरुआत, राज्य में खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए नई खेल नीति, लघु और सूक्ष्म उद्योग विभाग ने कस्टमाइज पैकेज की नीति, मरीजों के लिए 207 पैथोलॉजिकल जांचों की निशुल्क सुविधा के साथ ही सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टि पर फोकस और अपणि सरकार पोर्टल, ई-ऑफिस, सीएम हेल्पलाइन के चलते कार्य संस्कृति में सुधार किया.
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भाजपा ने सीएम धामी के कार्यकाल को बताया बेहतर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल को 2 साल का वक्त पूरा हो गया है. इस 2 साल के कार्यकाल को भाजपा काफी बेहतर बता रही है. भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने कहा कि सीएम धामी का यह दो साल का कार्यकाल काफी सराहनीय रहा है. इन दो सालों में तमाम महत्वपूर्ण काम हुए हैं. सीएम धामी के नेतृत्व में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से विधानसभा चुनाव जीता. सख्त नकल विरोधी कानून बनाया. समान नागरिक संहिता के लिए सरकार ने बड़ी पहल की, जोकि सरकार की बड़ी उपलब्धि है. इसके साथ ही गरीब कल्याण के लिए भी सरकार में कई बड़े फैसले लिए हैं.
कांग्रेस ने बताया निराशाजनक: जहां एक ओर भाजपा सीएम धामी के कार्यकाल को बेहतर बता रही है तो विपक्षी दल कांग्रेस सीएम धामी के कार्यकाल को निराशाजनक बता रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वो दो साल का नहीं, बल्कि भाजपा के 6 साल के कार्यकाल को देखते हैं. भाजपा के ये 6 साल निराशाजनक रहे हैं, क्योंकि इस 6 साल में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर है. विकास खड्डे में चला गया है. लिहाजा, पिछले 6 साल भाजपा के कुशासन का परिमाण है. भाजपा के पास बताने के लिए कुछ भी नहीं है.
वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि सीएम धामी के इन दो साल के कार्यकाल में बहुत काम हुए हैं. इसके तहत बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज किया गया. अंकिता भंडारी हत्याकांड में बीजेपी के कार्यकर्ता पकड़े गए और कुछ वीआईपी के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए. आस्था का केंद्र जोशीमठ के लिए लोग आंदोलन कर रहे हैं. चारधाम यात्रा के दौरान मंत्री गायब रहे. ऐसे कई तमाम मामले धामी सरकार के इन दो सालों की उपलब्धियां हैं.
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