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उत्तराखंड में सड़क हादसों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी हादसों की 'रफ्तार'

उत्तराखंड में सड़क हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ते जा रहा है. परिवहन विभाग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में इस बार चौंकाने वाले आंकड़ें सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में शहरों की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में एक्सीडेंट में जान गंवाने वालों की संख्या अधिक है.

Road Accident
उत्तराखंड में सड़क हादसे
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Published : Oct 20, 2020, 5:54 PM IST

देहरादून: बीते सात महीनों में पांच महीनों में कोरोना ने भले ही 900 से अधिक जिंदगियों को छीन लिया है. लेकिन, उत्तराखंड में सड़क हादसों पर गौर करें तो आंकड़े बेहद चौकाने वाले नजर आएंगे. सड़क पर वाहनों की तेज रफ्तार और यातायात नियमों की अनदेखी भी खूब होती है, जो सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बनती है.

उत्तराखंड में शहरों के बजाय देहात क्षेत्रों में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में मौत का आंकड़ा बहुत ज्यादा है. परिवहन विभाग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में हर साल सड़क दुर्घटना में करीब एक हजार लोगों की मौत हो जाती है. लेकिन, शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं.

सड़क दुर्घटनाओं पर सरकार गंभीर नहीं

उत्तराखंड गठन के 19 साल हो गए हैं. इस दौरान करीब 26 हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है. लेकिन इन सबके बीच सरकार और जिला प्रशासन इसे रोकने को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड समेत देश के सभी राज्यों को बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद सचिव स्तर के अधिकारी कई बार संबंधित विभागों में सामंजस्य बनाकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए. लेकिन, नतीजा सिफर ही दिखाई दे रहा है और मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम के अलावा धरातल पर कोई अन्य कार्यक्रम देखने को नहीं मिला.

Road Accident
2019 में उत्तराखंड में हुए सड़क हादसे.

विस्तार हादसे की वजह

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उप-परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटनाएं शहरी क्षेत्रों के मुकाबले अधिक दिख रही है. क्योंकि प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों का विस्तार बहुत अधिक है. आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019 में ग्रामीण क्षेत्रों में 754 दुर्घटनाएं हुई. वहीं, 598 दुर्घटनाएं शहरी क्षेत्रों में हुईं. वहीं, साल 2020 में जून महीने तक कुल 432 सड़क दुर्घटनाओं में 291 व्यक्तियों की मौत हुई थी. जिसमें से 122 लोगों की मौत शहरी क्षेत्र और 169 लोगों की मौत ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में सड़क हादसों का आंकड़ा देख चौक जाएंगे आप, यहां हर दिन तीन लोगों की हो रही मौत

ट्रैफिक के चलते हाईवे पर दुर्घटनाएं

उप-परिवहन आयुक्त सनत कुमार के मुताबित प्रदेश के भीतर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अधिक दुर्घटनाएं होने की मुख्य वजह ट्रैफिक है, जो हादसों में मौत के आंकड़ों की बड़ी वजह है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर हो रहे सड़क दुर्घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हादसों को रोकने के लिए हाईवे पेट्रोलिंग टीम का गठन किया जाए.

उत्तराखंड में सड़क हादसों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट.

उत्तराखंड में उसी क्रम में हाईवे पेट्रोल का गठन किया जा रहा है. इसके लिए राज्य सरकार बजट भी स्वीकृत कर चुकी है. साथ ही करीब 300 पद भी स्वीकृत किए गए हैं. यही नहीं, 4 नए आरटीओ और चार एआरटीओ के साथ ही करीब 60 अन्य पद भी स्वीकृत किए गए हैं. इसके साथ ही 13 इंटरसेप्टर पुलिस विभाग, 8 इंटरसेप्टर परिवहन विभाग और 36 पेट्रोलिंग के लिए गाड़ियां स्वीकृत की गईं हैं.

आंकड़ों पर एक नजर

परिवहन विभाग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में जान जाने की संख्या कुल 70.8 फीसदी है, जबकि नेशनल हाईवे पर यह 62 फीसदी और स्टेट हाईवे पर यह 19 फीसदी है. इसके अलावा ओवर स्पीडिंग के चलते 73.5 फीसदी लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. साथ ही दोपहिया वाहनों में एक्सीडेंट के दौरान मृतकों की संख्या 23 फीसदी है.

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित सड़क सुरक्षा समिति ने निर्देश जारी किए हैं कि हादसों के लिहाज से संवेदनशील ऊधमसिंह नगर, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और टिहरी जिलों में प्रभावी 'ऑपरेशनल मैकेनिज्म' विकसित करने के साथ ही अन्य एहतियाती कदम उठाए जाएं.

Road Accident
आंकड़ों पर एक नजर.

उत्तराखंड में मॉनिटरिंग कमेटी ने कमेटी ने बढ़ते हादसों पर चिंता जताते हुए कहा है कि राज्य में यातायात नियमों का अनुपालन ठीक से नहीं हो रहा है. ऐसे गाड़ियों की जांच में तेजी लाई जाए. यह सुनिश्चित कराया जाए कि चार पहिया चालक बगैर सीट बेल्ट के गाड़ी न चला पाएं. साथ ही नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे पर सघन जांच करने के साथ ही गाड़ियों की गति पर नियंत्रण लगाने को प्रभावी कदम उठाए जाएं. सभी जिलों में हाईवे पर होने वाले हादसों के आंकड़ों के आधार पर संवेदनशील स्थलों का चयन किया जाए और वहां हादसों को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए जाएं.

कमेटी ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को शहरों की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में जांच अभियान पर खासा फोकस करने का सुझाव दिया है. ताकि हादसों को रोका जा सके. इसके साथ ही नेशनल हाईवे एवं स्टेट हाईवे पर दुर्घटना संभावित इलाकों में स्ट्रीट लाइट की पर्याप्त व्यवस्था करने को भी कहा है.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में थमी सड़क हादसों की 'रफ्तार', जानिए क्या कहते हैं आंकड़े

राष्ट्रीय राजमार्ग पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं

साल 2019 में कुल 1352 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं. जिसमें से 673 दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई. इस दुर्घटनाओं में 438 लोगों की मौत और 744 लोग घायल हुए थे. इसी तरह 296 दुर्घटनाएं राज्य राजमार्ग पर हुई. जिनमें 205 लोगों की मौत और 326 लोग घायल हुए थे. साथ ही राज्य के अन्य मार्गो पर 383 दुर्घटनाएं हुई. जिनमें 224 लोगों की मौत और 387 लोग घायल हुए थे.

इसी तरह साल 2020 में अगस्त महीने तक कुल 585 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. जिसमें से 262 दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुईं. इस दौरान 200 लोगों की मौत और 199 लोग घायल हो गए थे. इसी तरह 141 दुर्घटनाएं राज्य राजमार्ग पर हुईं. इन हादसों में 100 लोगों की मौत और 117 लोग घायल हुए थे. साथ ही राज्य के अन्य मार्गो पर 182 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 92 लोगों की मौत और 154 लोग घायल हो गए थे.

घातक होते हैं सड़क हादसे

  • सड़क दुर्घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा 15-29 साल के युवा शामिल है.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ निर्देश दिए हैं. इन निर्देशों में सड़क दुर्घटना से जुड़े कानून को मजबूत करना, स्पीड मैनेजमेंट, सड़क निर्माण में सुरक्षा कारण का ध्यान रखना जैसे उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया है.
  • 16 बच्चे हर रोज सड़क दुर्घटना में हर रोज मारे जाते हैं.
  • सड़क दुर्घटना में 25 प्रतिशत लोग मौत के शिकार हो जाते हैं.
  • भारत में शहरों के ट्रांसपोर्ट प्लानिंग और डिजाइनिंग की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है. आमतौर पर ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि किसी तरह सड़क निर्माण हो जाए.

सड़क दुर्घटनाओं से ऐसे बचें

  • कार या दोपहिया वाहन से यात्रा कर रहे है तो अपनी गाड़ी की गति हमेशा नियंत्रित रखें. ताकि यदि अचानक से कोई वाहन या जानवर सामने से आ जाए तो आप हादसे से बच सके.
  • तकरीबन 60% हादसे नींद की वजह से होते है. यदि आप रात में सफर तय कर रहे है तो अपने ड्राइवर से बातें करते रहे, ताकि ना तो उसे नींद लगे और आप सड़क हादसों से भी बचे रहे.
  • वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें. करीब 20 प्रतिशत हादसे वाहन चलाते समय मोबाइल से बात करने या किसी को मैसेज भेजने की वजह से होते हैं.
  • शराब पीकर या नशा करने के बाद तो वाहन बिल्कुल न चलाए.
  • हमेशा यू-टर्न या मोड़ पर गाड़ी बहुत संभाल कर निकाले.
  • रात के समय डिपर का प्रयोग अवश्य करें.
  • ओवरटेक हमेशा सीधी साइड से ही करें.
  • ट्रक और ओवरलोडेड वाहनों के पास से गुजरते समय पास और हॉर्न का उचित उपयोग करें.
  • भीड़ वाले रास्तों पर अपने वाहन की गति हमेशा धीमी ही रखें, क्योंकि दुर्घटना से देर भली.
  • ट्रैफिक नियमों को अनदेखा न करें, ये हमारी सुरक्षा के लिए ही बनाए गए हैं. ट्रैफिक नियमों का पालन अवश्य करें.

देहरादून: बीते सात महीनों में पांच महीनों में कोरोना ने भले ही 900 से अधिक जिंदगियों को छीन लिया है. लेकिन, उत्तराखंड में सड़क हादसों पर गौर करें तो आंकड़े बेहद चौकाने वाले नजर आएंगे. सड़क पर वाहनों की तेज रफ्तार और यातायात नियमों की अनदेखी भी खूब होती है, जो सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बनती है.

उत्तराखंड में शहरों के बजाय देहात क्षेत्रों में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में मौत का आंकड़ा बहुत ज्यादा है. परिवहन विभाग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में हर साल सड़क दुर्घटना में करीब एक हजार लोगों की मौत हो जाती है. लेकिन, शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं.

सड़क दुर्घटनाओं पर सरकार गंभीर नहीं

उत्तराखंड गठन के 19 साल हो गए हैं. इस दौरान करीब 26 हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है. लेकिन इन सबके बीच सरकार और जिला प्रशासन इसे रोकने को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड समेत देश के सभी राज्यों को बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद सचिव स्तर के अधिकारी कई बार संबंधित विभागों में सामंजस्य बनाकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए. लेकिन, नतीजा सिफर ही दिखाई दे रहा है और मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम के अलावा धरातल पर कोई अन्य कार्यक्रम देखने को नहीं मिला.

Road Accident
2019 में उत्तराखंड में हुए सड़क हादसे.

विस्तार हादसे की वजह

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उप-परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटनाएं शहरी क्षेत्रों के मुकाबले अधिक दिख रही है. क्योंकि प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों का विस्तार बहुत अधिक है. आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019 में ग्रामीण क्षेत्रों में 754 दुर्घटनाएं हुई. वहीं, 598 दुर्घटनाएं शहरी क्षेत्रों में हुईं. वहीं, साल 2020 में जून महीने तक कुल 432 सड़क दुर्घटनाओं में 291 व्यक्तियों की मौत हुई थी. जिसमें से 122 लोगों की मौत शहरी क्षेत्र और 169 लोगों की मौत ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में सड़क हादसों का आंकड़ा देख चौक जाएंगे आप, यहां हर दिन तीन लोगों की हो रही मौत

ट्रैफिक के चलते हाईवे पर दुर्घटनाएं

उप-परिवहन आयुक्त सनत कुमार के मुताबित प्रदेश के भीतर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अधिक दुर्घटनाएं होने की मुख्य वजह ट्रैफिक है, जो हादसों में मौत के आंकड़ों की बड़ी वजह है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर हो रहे सड़क दुर्घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हादसों को रोकने के लिए हाईवे पेट्रोलिंग टीम का गठन किया जाए.

उत्तराखंड में सड़क हादसों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट.

उत्तराखंड में उसी क्रम में हाईवे पेट्रोल का गठन किया जा रहा है. इसके लिए राज्य सरकार बजट भी स्वीकृत कर चुकी है. साथ ही करीब 300 पद भी स्वीकृत किए गए हैं. यही नहीं, 4 नए आरटीओ और चार एआरटीओ के साथ ही करीब 60 अन्य पद भी स्वीकृत किए गए हैं. इसके साथ ही 13 इंटरसेप्टर पुलिस विभाग, 8 इंटरसेप्टर परिवहन विभाग और 36 पेट्रोलिंग के लिए गाड़ियां स्वीकृत की गईं हैं.

आंकड़ों पर एक नजर

परिवहन विभाग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में जान जाने की संख्या कुल 70.8 फीसदी है, जबकि नेशनल हाईवे पर यह 62 फीसदी और स्टेट हाईवे पर यह 19 फीसदी है. इसके अलावा ओवर स्पीडिंग के चलते 73.5 फीसदी लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. साथ ही दोपहिया वाहनों में एक्सीडेंट के दौरान मृतकों की संख्या 23 फीसदी है.

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित सड़क सुरक्षा समिति ने निर्देश जारी किए हैं कि हादसों के लिहाज से संवेदनशील ऊधमसिंह नगर, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और टिहरी जिलों में प्रभावी 'ऑपरेशनल मैकेनिज्म' विकसित करने के साथ ही अन्य एहतियाती कदम उठाए जाएं.

Road Accident
आंकड़ों पर एक नजर.

उत्तराखंड में मॉनिटरिंग कमेटी ने कमेटी ने बढ़ते हादसों पर चिंता जताते हुए कहा है कि राज्य में यातायात नियमों का अनुपालन ठीक से नहीं हो रहा है. ऐसे गाड़ियों की जांच में तेजी लाई जाए. यह सुनिश्चित कराया जाए कि चार पहिया चालक बगैर सीट बेल्ट के गाड़ी न चला पाएं. साथ ही नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे पर सघन जांच करने के साथ ही गाड़ियों की गति पर नियंत्रण लगाने को प्रभावी कदम उठाए जाएं. सभी जिलों में हाईवे पर होने वाले हादसों के आंकड़ों के आधार पर संवेदनशील स्थलों का चयन किया जाए और वहां हादसों को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए जाएं.

कमेटी ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को शहरों की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में जांच अभियान पर खासा फोकस करने का सुझाव दिया है. ताकि हादसों को रोका जा सके. इसके साथ ही नेशनल हाईवे एवं स्टेट हाईवे पर दुर्घटना संभावित इलाकों में स्ट्रीट लाइट की पर्याप्त व्यवस्था करने को भी कहा है.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में थमी सड़क हादसों की 'रफ्तार', जानिए क्या कहते हैं आंकड़े

राष्ट्रीय राजमार्ग पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं

साल 2019 में कुल 1352 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं. जिसमें से 673 दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई. इस दुर्घटनाओं में 438 लोगों की मौत और 744 लोग घायल हुए थे. इसी तरह 296 दुर्घटनाएं राज्य राजमार्ग पर हुई. जिनमें 205 लोगों की मौत और 326 लोग घायल हुए थे. साथ ही राज्य के अन्य मार्गो पर 383 दुर्घटनाएं हुई. जिनमें 224 लोगों की मौत और 387 लोग घायल हुए थे.

इसी तरह साल 2020 में अगस्त महीने तक कुल 585 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. जिसमें से 262 दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुईं. इस दौरान 200 लोगों की मौत और 199 लोग घायल हो गए थे. इसी तरह 141 दुर्घटनाएं राज्य राजमार्ग पर हुईं. इन हादसों में 100 लोगों की मौत और 117 लोग घायल हुए थे. साथ ही राज्य के अन्य मार्गो पर 182 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 92 लोगों की मौत और 154 लोग घायल हो गए थे.

घातक होते हैं सड़क हादसे

  • सड़क दुर्घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा 15-29 साल के युवा शामिल है.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ निर्देश दिए हैं. इन निर्देशों में सड़क दुर्घटना से जुड़े कानून को मजबूत करना, स्पीड मैनेजमेंट, सड़क निर्माण में सुरक्षा कारण का ध्यान रखना जैसे उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया है.
  • 16 बच्चे हर रोज सड़क दुर्घटना में हर रोज मारे जाते हैं.
  • सड़क दुर्घटना में 25 प्रतिशत लोग मौत के शिकार हो जाते हैं.
  • भारत में शहरों के ट्रांसपोर्ट प्लानिंग और डिजाइनिंग की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है. आमतौर पर ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि किसी तरह सड़क निर्माण हो जाए.

सड़क दुर्घटनाओं से ऐसे बचें

  • कार या दोपहिया वाहन से यात्रा कर रहे है तो अपनी गाड़ी की गति हमेशा नियंत्रित रखें. ताकि यदि अचानक से कोई वाहन या जानवर सामने से आ जाए तो आप हादसे से बच सके.
  • तकरीबन 60% हादसे नींद की वजह से होते है. यदि आप रात में सफर तय कर रहे है तो अपने ड्राइवर से बातें करते रहे, ताकि ना तो उसे नींद लगे और आप सड़क हादसों से भी बचे रहे.
  • वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें. करीब 20 प्रतिशत हादसे वाहन चलाते समय मोबाइल से बात करने या किसी को मैसेज भेजने की वजह से होते हैं.
  • शराब पीकर या नशा करने के बाद तो वाहन बिल्कुल न चलाए.
  • हमेशा यू-टर्न या मोड़ पर गाड़ी बहुत संभाल कर निकाले.
  • रात के समय डिपर का प्रयोग अवश्य करें.
  • ओवरटेक हमेशा सीधी साइड से ही करें.
  • ट्रक और ओवरलोडेड वाहनों के पास से गुजरते समय पास और हॉर्न का उचित उपयोग करें.
  • भीड़ वाले रास्तों पर अपने वाहन की गति हमेशा धीमी ही रखें, क्योंकि दुर्घटना से देर भली.
  • ट्रैफिक नियमों को अनदेखा न करें, ये हमारी सुरक्षा के लिए ही बनाए गए हैं. ट्रैफिक नियमों का पालन अवश्य करें.
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