देहरादून: देश में एक 94 साल की महिला सुप्रीम कोर्ट में 45 साल पुराने ऐसे मामले को लेकर लड़ाई लड़ रही है, जो देश की इमरजेंसी के फैसले से जुड़ा है. देहरादून में रह रही वीरा सरीन आज भी अपने उन पलों को नहीं भूली हैं. जब इमरजेंसी के दौरान उन्हें और उनके परिवार को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था.
देश की सर्वोच्च अदालत ने भारत सरकार को नोटिस जारी कर 1975 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान लगाए गए आपातकाल से जुड़ी एक याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. देहरादून में रह रही 94 साल की वीरा सरीन की इस याचिका में आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है.
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दरअसल, 94 साल की वीरा सरीन की तरफ से दाखिल याचिका में यह कहा गया है कि उनके पति की दिल्ली में ज्वेलरी और कीमती रत्नों की दो दुकानें थी. इमरजेंसी के दौरान अचानक उनकी दुकानों पर छापा मारा गया और पति को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें स्मगलिंग से जुड़ी धाराओं में फंसाने की धमकी दी गई. देश छोड़कर जाने के लिए मजबूर किया गया. दुकान से जो कीमती चीजें छापे के दौरान उठाई गईं थी, उन्हें कभी भी वापस नहीं किया गया. सरकारी लोगों ने उन्हें हड़प लिया.
याचिका में कही गई इन बातों पर आज भी वीरा सरीन कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं और सुप्रीम कोर्ट से अपने हक में निर्णय होने की उम्मीद लगाए हुए है. इस मामले में इंदिरा गांधी सरकार की तरफ से देश में लगाए गए आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
याचिकाकर्ता ने इमरजेंसी के दौरान अपने पति और परिवार पर हुए अत्याचार का हवाला देते हुए यह मांग की है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को करते हुए कहा, "हमें देखना होगा कि इतने सालों के बाद इमरजेंसी को असंवैधानिक घोषित करना व्यवहारिक होगा या नहीं.''