मसूरी: भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की अध्यक्षता में भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) की हिंदी सलाहकार समिति की 7वीं बैठक उत्तराखंड के मसूरी में संपन्न हुई. इसी बीच भारी उद्योग मंत्रालय के सभी उपखंड के अधिकारियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट पेश की. जिसमें बताया गया कि सभी लोगों द्वारा विभागों के कार्य में हिन्दी भाषा को बेहतर तरीके से प्रयोग में लाया जा रहा है. साथ ही मीटिंग में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं को बल दिए जाने पर भी चर्चा की गई.
सरकारी कामकाज में हिंदी का बढ़ रहा उपयोग: मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में हिंदी विश्व फलक पर स्थापित हो गई है. प्रधानमंत्री विश्व मंच पर अपनी बात हिंदी में ही रखते हैं, जिससे विश्व स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार हुआ है और अब सरकारी कामकाज में हिंदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में राजभाषा नियमावली के तहत सभी विभागों में हिंदी समितियां बनाना आवश्यक है.
भारी उद्योग मंत्रालय से हिंदी भाषा को मिली मजबूत: मंत्री ने कहा कि पिछले वर्षाें की तुलना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य भाषा समिति के अध्यक्ष गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में बहुत अच्छी पहल की जा रही है. भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए हिंदी भाषा को मजबूत करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश में गरीबों का सम्मान बढ़ा, देश का गौरव बढ़ा, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा और आर्थिक समृद्धि बढ़ी है. जिससे आने वाले चुनाव में एक बार फिर बीजेपी अपना जीत का परचम लहराएगी.
ज्यादा कठिन नहीं होनी चाहिए हिंदी: भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कामरान रिजवी ने कहा कि पहले फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले सिविल सेवा में अधिक चुने जाते थे. अब हिंदी अपनी जड़ें जमा रही है. इस साल की सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम में शुरुआती दस सफल परीक्षार्थियों में हिंदी भाषा के परीक्षार्थी हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी इतनी क्लिष्ट न हो कि आमजन उसे समझ न सकें.
विभिन्न संस्थाओं ने लिया हिस्सा: बैठक के दौरान भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल), सीसीआई (सीमेंट कार्पाेरेशन ऑफ इंडिया), ईपीआईएल (इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड), एचएसएल (हिंदुस्तान सॉल्ट लिमिटेड) और राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड (रील), जयपुर जैसे उपक्रमों ने प्रजेंटेशन देकर बताया कि कैसे उनके यहां पर कामकाज में हिंदी का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है. बड़े अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों के बीच भी हिंदी में ही संवाद होता है. फाइल से लेकर पत्राचार का माध्यम भी हिंदी भाषा ही होती है.
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