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देहरादून में 6वें वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट कांफ्रेंस का आगाज, इस दिन आएंगे अमिताभ बच्चन

Dehradun World Congress on Disaster Management Conference अंतरराष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस के मौके पर देहरादून में 6वें 'वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट कांफ्रेंस' की शुरुआत हो गई है, जो कि आगामी 1 नवंबर तक चलेगा. बताया जा रहा है कि समापन मौके पर ब्रांड एंबेसडर और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के आ सकते हैं. आज देहरादून में प्री सेशन वर्कशॉप का आयोजन किया, जिसमें विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए.

Public Health Emergency And Disaster Management
सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल और आपदा प्रबंधन
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 13, 2023, 8:21 PM IST

Updated : Oct 13, 2023, 10:32 PM IST

देहरादून में प्री सेशन वर्कशॉप

देहरादून: आगामी 28 अक्टूबर से उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित नरेंद्र नगर में 6वें वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट कार्यक्रम का आयोजन होगा, जो 1 नवंबर तक चलेगा. इससे पहले सम्मेलन का एक प्री सेशन वर्कशॉप राजधानी दून में 'इंटरनेशनल डे फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन' के अवसर पर आयोजित किया गया. इस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल से जुड़े सभी विभाग और स्टेक होल्डर शामिल रहे. साथ ही कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन और तकनीकी संस्थाओं के शोधकर्ता, पर्यावरणविद भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे. बता दें कि, इस कार्यक्रम के समापन पर ब्रांड एंबेसडर अमिताभ बच्चन के आने की संभावना है.

Public Health Emergency And Disaster Management
वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट कांफ्रेंस

'इंटरनेशनल डे फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन' पर हुई इस कांफ्रेंस में मेडिकल डिजास्टर पर चर्चा की गई तो वहीं स्वास्थ्य संबंधी आपदाओं पर सभी वक्ताओं ने अपने शोध के आधार पर अपनी बातें रखी और स्वास्थ्य संबंधीय आपदाओं के समय किस तरह से जोखिम को कम किया जाए इस पर चर्चा की गई. आज के सम्मेलन में खासतौर पर कोविड 19 जैसी महामारी के समय में किस तरह से आपदा को कम किया जा सके और आने वाले भविष्य में इस तरह के मेडिकल डिजास्टर से कैसे निपटा जाए, इस पर एजेंडा तैयार किया गया. इस वर्कशॉप में देश और विदेश के कई डेलिगेट्स शामिल हुए.

कार्यक्रम में मौजूद आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि आज से इन कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है, अब हर दिन अलग तरह की आपदाओं पर चर्चा की जाएगी. उसके प्रभाव, उसके न्यूनीकरण और उसके जोखिमों को लेकर विशेषज्ञ विचार विमर्श करेंगे और अपना एक एजेंडा तैयार करेंगे जिसको मुख्य इवेंट में पेश किया जाएगा. रंजीत कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि आज से 1 नवंबर तक इस तरह के सम्मेलन और वर्कशॉप किए जाएंगे और इन सभी आयोजनों का उद्देश्य यही है कि सरकार के माध्यम से और संस्थाओं के अलग-अलग माध्यमों से आपदा से संबंधित सभी जानकारियां लोगों तक हर हाल में पहुंचे.
ये भी पढ़ेंः हर साल 20 मीटर तक सिकुड़ रहे उत्तराखंड के ग्लेशियर, गंगोत्री बेसिन 87 साल में डेढ़ किमी से ज्यादा सिमटा

वहीं, छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में मौजूद देश के प्रसिद्ध और विख्यात पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने आज के बदलते पर्यावरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज पर्यावरण असंतुलन ने मानव जीवन के लिए खतरा पैदा कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से आने वाले मुख्य सम्मेलन में जितने भी देश के शोधकर्ता इस कार्यक्रम में भाग लेंगे उन सब को आपस में जानकारी साझा करने का मौका मिलेगा और यह मानव समाज के लिए बेहद हितकारी होगा और इस से भविष्य सुधरेगा.

लगातार टूट रहे ग्लेशियर पर चिंता: पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने हिमालयी क्षेत्र लगातार टूट रहे ग्लेशियर को आने वाले संकट का इशारा बताते हुए कहा कि यह बड़ा संकेत है और हमें अभी से इस पर सोचना होगा. उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही यह मानवता के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है. उन्होंने अभी शोधकर्ताओं से कहा कि इस बारे में भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.

उन्होंने हिमालय क्षेत्र में हाल ही में आई भूटान और रैणी आपदा का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों ही घटना अलग-अलग हैं, लेकिन जहां भूटान में 20 साल पहले लोगों ने ग्लेशियर से रिस रहे पानी की निकासी कर दी गई थी, वहां पर लोगों का बचाव किया जा सका लेकिन रैणी में ग्लेशियर टूटने से पहले चट्टान गिरी इसलिए ऐसी घटनाओं का अध्ययन होना बहुत जरूरी है ताकि भविष्य में उत्तराखंड में ऐसी घटनाओं से हम लोगों को बचा सके.

देहरादून में प्री सेशन वर्कशॉप

देहरादून: आगामी 28 अक्टूबर से उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित नरेंद्र नगर में 6वें वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट कार्यक्रम का आयोजन होगा, जो 1 नवंबर तक चलेगा. इससे पहले सम्मेलन का एक प्री सेशन वर्कशॉप राजधानी दून में 'इंटरनेशनल डे फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन' के अवसर पर आयोजित किया गया. इस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल से जुड़े सभी विभाग और स्टेक होल्डर शामिल रहे. साथ ही कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन और तकनीकी संस्थाओं के शोधकर्ता, पर्यावरणविद भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे. बता दें कि, इस कार्यक्रम के समापन पर ब्रांड एंबेसडर अमिताभ बच्चन के आने की संभावना है.

Public Health Emergency And Disaster Management
वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट कांफ्रेंस

'इंटरनेशनल डे फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन' पर हुई इस कांफ्रेंस में मेडिकल डिजास्टर पर चर्चा की गई तो वहीं स्वास्थ्य संबंधी आपदाओं पर सभी वक्ताओं ने अपने शोध के आधार पर अपनी बातें रखी और स्वास्थ्य संबंधीय आपदाओं के समय किस तरह से जोखिम को कम किया जाए इस पर चर्चा की गई. आज के सम्मेलन में खासतौर पर कोविड 19 जैसी महामारी के समय में किस तरह से आपदा को कम किया जा सके और आने वाले भविष्य में इस तरह के मेडिकल डिजास्टर से कैसे निपटा जाए, इस पर एजेंडा तैयार किया गया. इस वर्कशॉप में देश और विदेश के कई डेलिगेट्स शामिल हुए.

कार्यक्रम में मौजूद आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि आज से इन कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है, अब हर दिन अलग तरह की आपदाओं पर चर्चा की जाएगी. उसके प्रभाव, उसके न्यूनीकरण और उसके जोखिमों को लेकर विशेषज्ञ विचार विमर्श करेंगे और अपना एक एजेंडा तैयार करेंगे जिसको मुख्य इवेंट में पेश किया जाएगा. रंजीत कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि आज से 1 नवंबर तक इस तरह के सम्मेलन और वर्कशॉप किए जाएंगे और इन सभी आयोजनों का उद्देश्य यही है कि सरकार के माध्यम से और संस्थाओं के अलग-अलग माध्यमों से आपदा से संबंधित सभी जानकारियां लोगों तक हर हाल में पहुंचे.
ये भी पढ़ेंः हर साल 20 मीटर तक सिकुड़ रहे उत्तराखंड के ग्लेशियर, गंगोत्री बेसिन 87 साल में डेढ़ किमी से ज्यादा सिमटा

वहीं, छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में मौजूद देश के प्रसिद्ध और विख्यात पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने आज के बदलते पर्यावरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज पर्यावरण असंतुलन ने मानव जीवन के लिए खतरा पैदा कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से आने वाले मुख्य सम्मेलन में जितने भी देश के शोधकर्ता इस कार्यक्रम में भाग लेंगे उन सब को आपस में जानकारी साझा करने का मौका मिलेगा और यह मानव समाज के लिए बेहद हितकारी होगा और इस से भविष्य सुधरेगा.

लगातार टूट रहे ग्लेशियर पर चिंता: पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने हिमालयी क्षेत्र लगातार टूट रहे ग्लेशियर को आने वाले संकट का इशारा बताते हुए कहा कि यह बड़ा संकेत है और हमें अभी से इस पर सोचना होगा. उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही यह मानवता के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है. उन्होंने अभी शोधकर्ताओं से कहा कि इस बारे में भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.

उन्होंने हिमालय क्षेत्र में हाल ही में आई भूटान और रैणी आपदा का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों ही घटना अलग-अलग हैं, लेकिन जहां भूटान में 20 साल पहले लोगों ने ग्लेशियर से रिस रहे पानी की निकासी कर दी गई थी, वहां पर लोगों का बचाव किया जा सका लेकिन रैणी में ग्लेशियर टूटने से पहले चट्टान गिरी इसलिए ऐसी घटनाओं का अध्ययन होना बहुत जरूरी है ताकि भविष्य में उत्तराखंड में ऐसी घटनाओं से हम लोगों को बचा सके.

Last Updated : Oct 13, 2023, 10:32 PM IST
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