देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय में नौकरी लगवाने के नाम पर रविवार को 10 युवाओं से 62 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया था. अब पुलिस ऐसे गिरोह पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. हालांकि इस मामले में कहीं न कहीं सचिवालय स्टाफ की मिली भगत हो सकती है. पुलिस ने इसी एंगल से मामले की जांच शुरू कर दी है.
उत्तराखंड सचिवालय और विधानसभा में बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर ठगने का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन इस गिरोह पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने के चलते ये लोग बार-बार इस तरह की वारदात को अंजाम दे रहे हैं.
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रविवार को भी पटेल नगर कोतवाली में 10 युवाओं से 62 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया है. सभी युवकों को उत्तराखंड सचिवालय में नौकरी दिलाने का झांसा दिया गया था. हालांकि पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है.
वहीं सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि सचिवालय में बिना किसी की मिलीभगत के अजनबी लोग अंदर प्रवेश नहीं कर सकते हैं. ये सवाल इसीलिए खड़ा हो रहा है कि क्योंकि जिन युवकों से ठगी की गई है, उनका बकायदा सचिवालय में बुलाकर इंटरव्यू दिलवाया गया था और उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी किया गया था. यही कारण है कि इसमें पूरी आशंका जताई जा रही है कि इस ठगी में उत्तराखंड सचिवालय के कुछ कर्मचारी और अधिकारी शामिल हो सकते हैं.
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वहीं युवाओं को जिन विभागों में नियुक्ति पत्र दिया गया था, उनमें दूर-दूर तक भर्ती निकली ही नहीं थी. यही कारण है कि पुलिस ने पीड़ितों की तहरीर पर थाना पटेल कोतवाली में कमल, किशोर पांडे, चेतन पांडे, ललित बिष्ट और मनोज नेगी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
इस मामले में डीआईजी जन्मेजय खंडूरी का कहना है कि उनके संज्ञान में आने के बाद ही ये मामला दर्ज कराया गया था. जांच में जिसकी भी मिलीभगत सामने आएगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
वहीं डीजीपी अशोक कुमार ने भी सभी जिलों के पुलिस प्रभारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि आरोपियों के नेटवर्क से जुड़े लोगों के विषय में जल्द से जल्द जांच-पड़ताल कर सख्त कार्रवाई की जाए. पुलिस मुख्यालय को इस बारे में रिपोर्ट भी तलब की जाए.