देहरादून: उत्तराखंड की अदालतें अब सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेंगी. उत्तराखंड की अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की जिम्मेदारी पुलिस मॉडर्नाइजेशन विंग (Police Modernization Wing) को सौंपी गई है. इसके लिए केंद्र सरकार ने पुलिस मॉडर्नाइजेशन विंग को 5 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी कर दी है. उत्तराखंड की अदालतों में आधुनिकीकरण के तहत पहले चरण में 227 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि कोर्ट परिसर में होने वाली अपराधिक व अन्य संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा सके.
उत्तराखंड की अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का मकसद कोर्ट में दैनिक प्रक्रिया पर उच्चतम न्यायालय द्वारा मॉनिटरिंग करना और इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सेक्शन 66 E के तहत डिजिटल एविडेंस एकत्र करना भी मुख्य उद्देश्य हैं. इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देश की सभी अदालतों को सीसीटीवी सर्विलांस दायरे में लाया जा रहा है.
पुलिस मॉडर्नाइजेशन विंग को सौंपी जिम्मेदारी: उत्तराखंड शासनदेश के मुताबिक नैनीताल हाईकोर्ट के अधीनस्थ आने वाली अदालतों को सीसीटीवी से लैस करने की जिम्मेदारी राज्य पुलिस मॉडर्नाइजेशन विंग को सौंपी गई है. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा अतिरिक्त वित्तीय बजट पुलिस मॉडलाइजेशन को रिलीज किया गया है. ऐसे में इस योजना के पहले चरण में हाई कोर्ट के अधीनस्थ आने वाले नैनीताल जनपद की अदालतों में 147 और देहरादून जनपद की अदालतों में 80 सीसीटीवी कैमरे सहित कुल 227 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे.
5 सदस्यीय टीम करेगी निगरानी: उत्तराखंड पुलिस मॉडर्नाइजेशन विंग के अनुसार हाईकोर्ट के निर्देशनुसार पहले चरण में दोनों जनपदों कुल 227 सीसीटीवी कैमरे दो महीने में लगाए जाने हैं. पुलिस मॉडर्नाइजेशन आईजी केवल खुराना के मुताबिक सरकार के आदेश मुताबिक इस मामले में ADG अमित सिन्हा के नेतृत्व में 5 अधिकारियों की एक कमेटी की देखरेख में सीटीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे.
देहरादून और नैनीताल अदालतों की संख्या: नैनीताल हाई कोर्ट वेबसाइट के अनुसार देहरादून जनपद में 59 न्यायालय हैं, जिसमें आउटलाइन कोर्ट ऋषिकेश, चकराता, डोईवाला और विकासनगर भी शामिल हैं. वहीं, नैनीताल में लगभग 26 कोर्ट, जिसमें आउटलाइन कोर्ट धारी, हल्द्वानी और रामनगर भी शामिल है.
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अदालतों को सीसीटीवी कैमरा एक्ट 2018 में लाया गया: उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक, विगत वर्षों में पहले सुप्रीम कोर्ट और फिर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अदालतों को सीसीटीवी की निगरानी में लाने की अपील की गई थी. उसी का नतीजा हैं की आज पहले फेज में उत्तराखंड के नैनीताल और देहरादून जनपद की अदालतों को सीसीटीवी की निगरानी में लाया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मॉडर्नाइजेशन के लिए साल 2017 में निर्देशित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट आदेशानुसार आधुनिक दौर में आवश्यकतानुसार देश के सभी अदालतों को मॉडर्नाइजेशन और इलेक्ट्रॉनिक सर्विस लांस के तहत सीसीटीवी से लैस करने के आदेश है, ताकि अदालतों में दैनिक प्रक्रिया को मॉनिटरिंग के दायरे में लाया जा सके. साथ ही कोर्ट परिसरों में होने वाली अपराधिक घटनाओं और संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा सके. इसका एक मकसद इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सेक्शन 66 E के तहत अदालतों में डिजिटल एविडेंस को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में सुरक्षित करना है.
चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि देहरादून नैनीताल के बाद सबसे बड़े जिले के रूप में उधम सिंह नगर जनपद की अदालतों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इसके उपरांत अलग-अलग चरणों में राज्य के सभी अदालतों को सीसीटीवी सर्विलांस के दायरे में लाने की कवायद चलेगी. फिलहाल, सीसीटीवी खरीदारी के लिए केंद्र सरकार द्वारा 5 करोड़ की धनराशि पुलिस मॉडर्नाइजेशन विंग को स्वीकृत करने की जानकारी है. अदालतों को मॉडर्नाइजेशन बनाने के परिपेक्ष में आने वाले दिनों में कोर्ट के अंदर भी सीसीटीवी कैमरे लगेंगे. ताकि न सिर्फ़ कोर्ट में चलने वाली कानूनी प्रक्रिया को पारदर्शी श्रेणी में लाया जाए बल्कि और उसकी दैनिक कार्रवाई मॉनिटरिंग भी आवश्यकतानुसार उच्चतम अदालत द्वारा की जा सके.