देहरादूनः 4th गढ़वाल राइफल ने रविवार को अपना वार्षिक युद्ध दिवस 'नूरानांग डे' हर्षोल्लास के साथ मनाया. देहरादून गढ़ी केंट स्थित दून सैनिक इंस्टीट्यूट में मनाए गए 'नूरानांग डे' में 62 की लड़ाई लड़ने वाले कई लोग, शहीद परिवार के लोग और वीरांगनाएं मौजूद रहीं. हर साल 17 नवंबर को 4th गढ़वाल राइफल युद्ध दिवस के रूप में नूरानांग डे मनाती है. जिसको लेकर देहरादून गढ़ी कैंट स्थित दून सैनिक स्कूल में गढ़वाल राइफल के पूर्व सैनिकों ने 62 की उस लड़ाई को याद कर अपने शहीद साथियों को याद किया, तो वहीं लड़ाई के दौरान के तमाम किस्से कहानियों को एक दूसरे से साझा किया.
इस मौके पर खासतौर पर उस लड़ाई में प्लाटून कमांडर रहे दिवंगत एसबी राय की पत्नी दुर्गा राय मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं. शुरुआत में दीप प्रज्वलन और 62 की लड़ाई के हीरो मेजर जसवंत सिंह के चित्र पर श्रद्धांजलि स्वरूप पुष्प अर्पित किए गए. अपने कई अनुभवों के साथ 62 की लड़ाई के चश्मदीद कैप्टन वीरेंद्र सिंह ने भी कई किस्सों को मंच के माध्यम से साझा किया.
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4th गढ़वाल राइफल से आने वाले कैप्टन नंदन सिंह बुटोला रावत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि 4th गढ़वाल राइफल की 62 की लड़ाई में अहमियत का अंदाजा उस समय के लेफ्टिनेंट जनरल पीएम कौल की एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि उस दौर में नेहरू के काफी करीबी माने जाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पीएम कौल ने अपनी अनटोल्ड स्टोरी में साफ लिखा था कि अगर उनके पास 4th गढ़वाल रायफल जैसी कुछ और बटालियन होती तो उस युद्ध का अंजाम कुछ और होता. यानी कि उस अनटोल्ड स्टोरी में उन्होंने इस बात को स्पष्ट स्वीकार किया था कि 4th गढ़वाल के जाबांज इतने पराक्रमी थे कि वो जंग का अंजाम बदलने का दम रखते थे.