देहरादून: आज बलभद्र खलंगा विकास समिति की ओर से आयोजित भव्य ऐतिहासिक 48 वें खलंगा मेले का समापन (Historical Khalanga fair ends) सागर ताल नालापानी में हुआ. इस दौरान स्वच्छता और जागरूकता के लिए खलंगा बहादुरी पदयात्रा (Khalanga Bravery Walk) का भी आयोजन किया गया.
यह मेला सन 1814-16 में अति शक्तिशाली अंग्रेजी फौज के कई आक्रमण को विफल करने वाले वीर वीरांगनाओं की याद में मनाया जाता है. उन्हें हर साल की तरह श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद यह मेला आयोजित किया जाता है. समिति की सचिव प्रभा शाह ने बताया समिति के अध्यक्ष कर्नल विक्रम सिंह थापा और गोरखाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम सिंह थापा वह गणमान्य अतिथियों ने बलभद्र खलंगा युद्ध कीर्ति स्मारक पर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
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इस दौरान वक्ताओं ने युद्ध का संक्षिप्त इतिहास बताते हुए गौर का फौज की वीरता और साहस और युद्ध निपुणता पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया इस युद्ध में अदम्य वीरता के परिणाम स्वरूप 24 अप्रैल 1815 को सुबाधु हिमाचल प्रदेश और अल्मोड़ा में तीन गोरखा पलटनों की स्थापना हुई थी. इस मौके पर मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. जिसमें गोरखाली, गढ़वाली और कुमाऊंनी सांस्कृतिक लोक नृत्य और गीतों की प्रस्तुतियों ने उपस्थित जनसमूह को मंत्र मुक्त कर दिया.