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देहरादून और हरिद्वार के 40 सरकारी भवन बने ग्रीन बिल्डिंग, बचेगी बिजली - ग्रीन बिल्डिंग से बिजली बचत

केंद्र की इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम उत्तराखंड में जलवा दिखाने वाली है. देहरादून और हरिद्वार के 40 सरकारी भवन ग्रीन बिल्डिंग बन गए हैं. कुछ पैनल ने बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है तो कुछ सोलर पैनल जल्द ही रोशनी फैलाना शुरू कर देंगे.

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ग्रीन बिल्डिंग
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Published : Jan 12, 2021, 7:33 PM IST

देहरादून: केंद्र द्वारा चलाई गई इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत उत्तराखंड को पहले पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया. उत्तराखंड के सरकारी भवनों को ग्रीन बिल्डिंग बनाने की दिशा में 2.85 मेगावाट तक की बिजली उत्पादित करने वाले सोलर पैनल लगाने का उद्देश्य रखा गया. ये कार्यक्रम अपने आखिरी पड़ाव पर है. आपको बताते हैं कि इस योजना के तहत किन-किन सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लग चुके हैं और कितनी बिजली इनसे उत्पादित की जा रही है.

दून और हरिद्वार के सरकारी दफ्तर बने ग्रीन बिल्डिंग.

क्या है इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम ?

इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम या एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) बिजली मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है. इसका उद्देश्य विशेष रूप से भारत के शहरी क्षेत्रों में पावर ट्रांसमिशन और सबमिशन नेटवर्क में खामियों को दूर करना है.

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केंद्र सरकार की योजना है.

इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम केंद्र द्वारा चलाई गई आईपीडीएस यानी इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत उत्तराखंड को चुना गया. उत्तराखंड में 2.85 मेगावाट यानी 2,850 किलोवाट तक के सोलर पैनल को सरकारी भवनों पर लगाने का एक नया प्रयोग किया गया. इसके लिए देहरादून और हरिद्वार के सरकारी भवनों को चुना गया.

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देहरादून और हरिद्वार के सरकारी भवनों में सोलर पैनल.

हरिद्वार और देहरादून के कुल 40 भवनों पर 2,587 किलोवाट के सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं. इसमें से देहरादून में 2,322 किलो वाट और हरिद्वार में 265 किलो वाट के सोलर पैनल सरकारी बिल्डिंगों पर लगाए जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें: रुड़की: MLA देशराज कर्णवाल ने वायरल ऑडियो पर जताया खेद

इन भवनों पर लगे हैं सोलर पैनल

केंद्र द्वारा चलाई गई इस योजना के तहत सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लगाए जाने थे. इनमें से मानकों को तय करते हुए देहरादून की 32 सरकारी बिल्डिंगों का चयन किया गया. 8 भवन हरिद्वार से चुने गए. देहरादून की बात करें तो सबसे बड़ा 500 किलोवाट का सोलर पैनल दून विश्वविद्यालय की बिल्डिंग पर लगाया गया है. दून मेडिकल कॉलेज में 170 किलोवाट सौलर पैनल, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज की छत पर 160 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है. स्वास्थ्य निदेशालय की बिल्डिंग पर 140 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है.

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देहरादून और हरिद्वार में बन रही हैं ग्रीन बिल्डिंग.

अंतिम चरण में योजना, ये आईं चुनौतियां

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि यह योजना तकरीबन पूरी हो चुकी है. 31 मार्च को देहरादून में इसका क्लोजर हो चुका है. यूपीसीएल के अधिकारी अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस योजना के तहत पहली बार ऐसा प्रयोग किया गया कि बिल्डिंगों की छतों पर सोलर पैनल इंस्टॉल किए गए.

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सोलर पैनल के लिये समतल छत जरूरी है.

चीफ इंजीनियर अतुल अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए तकरीबन 1 किलोवाट के सोलर पैनल लगाने के लिए 10 स्क्वायर मीटर की समतल छत की जरूरत पड़ती है. लेकिन यहां पर घरों की बनावट को इस तरह से नहीं रखा गया है. उन्होंने बताया कि अत्यधिक जद्दोजहद के बाद देहरादून और हरिद्वार के 40 भवनों को चिन्हित किया गया जहां पर इन सोलर पैनल को लगाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि जब हम किसी भवन को बनाते हैं तो हमें उसे ग्रीन बिल्डिंग बनाने की दिशा में उसकी छत को इस तरह से बनाना चाहिए ताकि उस पर सोलर पैनल लगाया जा सके.

इस योजना से कितना हुआ फायदा

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस स्कीम के बाद निश्चित तौर से इन भवनों में बिजली की खपत घटी है. ये बीते समय में अध्ययन किए गए आंकड़ों से स्पष्ट हुआ है. उन्होंने कहा कि बिजली की डिमांड बढ़ने की रफ्तार उतनी अधिक नहीं है जितनी पूर्व में नोट की गई है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि अभी तक नेट मीटरिंग व्यवस्था से डाटा कलेक्ट किया जाता था, जिसमें केवल उपभोग को आंका जाता था. अब ग्रॉस मीटर के जरिए खपत और उत्पादन दोनों को अलग-अलग आकलन करने के बाद सोलर पैनल से होने वाले फायदे को और अधिक सटीकता से नापा जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट की स्टडी: राज्य में बड़े भूकंप का खतरा, 59 फीसदी भवनों पर पड़ेगा असर

क्या कहते हैं आंकड़े

यूपीसीएल के चीफ इंजीनियर अतुल कुमार अग्रवाल के अनुसार हाल ही में की गई स्टडी में साफ हुआ है कि पिछले 6 महीने में जो कि खराब मौसम के थे उसमें बारिश बर्फबारी और खराब मौसम के चलते 6 किलोवाट के प्लांट पर रोजाना19 से 20 यूनिट बिजली उत्पादित की जा रही है. अच्छे मौसम और गर्मियों के दिनों में ये 24 से 25 यूनिट पर डे उत्पादन पर चली जाती है.

बेहतर रिस्पांस के बाद अन्य योजनाएं भी पाइप लाइन में

यूपीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि इस योजना के बेहतर रिस्पॉन्स को देखते हुए रूफटॉप सोलर पैनल स्कीम का फेस टू भी चलाया जा रहा है. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा की गयी है. इस योजना के तहत भी अगले महीने तक कई रेजिडेंसियल एरिया में निजी घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं.

देहरादून: केंद्र द्वारा चलाई गई इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत उत्तराखंड को पहले पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया. उत्तराखंड के सरकारी भवनों को ग्रीन बिल्डिंग बनाने की दिशा में 2.85 मेगावाट तक की बिजली उत्पादित करने वाले सोलर पैनल लगाने का उद्देश्य रखा गया. ये कार्यक्रम अपने आखिरी पड़ाव पर है. आपको बताते हैं कि इस योजना के तहत किन-किन सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लग चुके हैं और कितनी बिजली इनसे उत्पादित की जा रही है.

दून और हरिद्वार के सरकारी दफ्तर बने ग्रीन बिल्डिंग.

क्या है इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम ?

इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम या एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) बिजली मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है. इसका उद्देश्य विशेष रूप से भारत के शहरी क्षेत्रों में पावर ट्रांसमिशन और सबमिशन नेटवर्क में खामियों को दूर करना है.

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केंद्र सरकार की योजना है.

इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम केंद्र द्वारा चलाई गई आईपीडीएस यानी इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत उत्तराखंड को चुना गया. उत्तराखंड में 2.85 मेगावाट यानी 2,850 किलोवाट तक के सोलर पैनल को सरकारी भवनों पर लगाने का एक नया प्रयोग किया गया. इसके लिए देहरादून और हरिद्वार के सरकारी भवनों को चुना गया.

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देहरादून और हरिद्वार के सरकारी भवनों में सोलर पैनल.

हरिद्वार और देहरादून के कुल 40 भवनों पर 2,587 किलोवाट के सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं. इसमें से देहरादून में 2,322 किलो वाट और हरिद्वार में 265 किलो वाट के सोलर पैनल सरकारी बिल्डिंगों पर लगाए जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें: रुड़की: MLA देशराज कर्णवाल ने वायरल ऑडियो पर जताया खेद

इन भवनों पर लगे हैं सोलर पैनल

केंद्र द्वारा चलाई गई इस योजना के तहत सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लगाए जाने थे. इनमें से मानकों को तय करते हुए देहरादून की 32 सरकारी बिल्डिंगों का चयन किया गया. 8 भवन हरिद्वार से चुने गए. देहरादून की बात करें तो सबसे बड़ा 500 किलोवाट का सोलर पैनल दून विश्वविद्यालय की बिल्डिंग पर लगाया गया है. दून मेडिकल कॉलेज में 170 किलोवाट सौलर पैनल, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज की छत पर 160 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है. स्वास्थ्य निदेशालय की बिल्डिंग पर 140 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है.

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देहरादून और हरिद्वार में बन रही हैं ग्रीन बिल्डिंग.

अंतिम चरण में योजना, ये आईं चुनौतियां

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि यह योजना तकरीबन पूरी हो चुकी है. 31 मार्च को देहरादून में इसका क्लोजर हो चुका है. यूपीसीएल के अधिकारी अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस योजना के तहत पहली बार ऐसा प्रयोग किया गया कि बिल्डिंगों की छतों पर सोलर पैनल इंस्टॉल किए गए.

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सोलर पैनल के लिये समतल छत जरूरी है.

चीफ इंजीनियर अतुल अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए तकरीबन 1 किलोवाट के सोलर पैनल लगाने के लिए 10 स्क्वायर मीटर की समतल छत की जरूरत पड़ती है. लेकिन यहां पर घरों की बनावट को इस तरह से नहीं रखा गया है. उन्होंने बताया कि अत्यधिक जद्दोजहद के बाद देहरादून और हरिद्वार के 40 भवनों को चिन्हित किया गया जहां पर इन सोलर पैनल को लगाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि जब हम किसी भवन को बनाते हैं तो हमें उसे ग्रीन बिल्डिंग बनाने की दिशा में उसकी छत को इस तरह से बनाना चाहिए ताकि उस पर सोलर पैनल लगाया जा सके.

इस योजना से कितना हुआ फायदा

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस स्कीम के बाद निश्चित तौर से इन भवनों में बिजली की खपत घटी है. ये बीते समय में अध्ययन किए गए आंकड़ों से स्पष्ट हुआ है. उन्होंने कहा कि बिजली की डिमांड बढ़ने की रफ्तार उतनी अधिक नहीं है जितनी पूर्व में नोट की गई है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि अभी तक नेट मीटरिंग व्यवस्था से डाटा कलेक्ट किया जाता था, जिसमें केवल उपभोग को आंका जाता था. अब ग्रॉस मीटर के जरिए खपत और उत्पादन दोनों को अलग-अलग आकलन करने के बाद सोलर पैनल से होने वाले फायदे को और अधिक सटीकता से नापा जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट की स्टडी: राज्य में बड़े भूकंप का खतरा, 59 फीसदी भवनों पर पड़ेगा असर

क्या कहते हैं आंकड़े

यूपीसीएल के चीफ इंजीनियर अतुल कुमार अग्रवाल के अनुसार हाल ही में की गई स्टडी में साफ हुआ है कि पिछले 6 महीने में जो कि खराब मौसम के थे उसमें बारिश बर्फबारी और खराब मौसम के चलते 6 किलोवाट के प्लांट पर रोजाना19 से 20 यूनिट बिजली उत्पादित की जा रही है. अच्छे मौसम और गर्मियों के दिनों में ये 24 से 25 यूनिट पर डे उत्पादन पर चली जाती है.

बेहतर रिस्पांस के बाद अन्य योजनाएं भी पाइप लाइन में

यूपीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि इस योजना के बेहतर रिस्पॉन्स को देखते हुए रूफटॉप सोलर पैनल स्कीम का फेस टू भी चलाया जा रहा है. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा की गयी है. इस योजना के तहत भी अगले महीने तक कई रेजिडेंसियल एरिया में निजी घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं.

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