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मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना से जुड़ेंगे 4 और नए जिले, किसानों को भी मिलेगा लाभ

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Published : May 26, 2022, 8:53 PM IST

मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले वर्ष 30 अक्टूबर 2021 में देहरादून से इस योजना का उद्घाटन किया था. इस योजना की शुरूआत में इसमें पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत जनपदों को जोड़ा गया था. इन जिलों में योजना को मिली सफलता के सात माह बाद इस योजना से अब कॉपरेटिव मंत्री डॉ रावत ने टिहरी, चमोली, नैनीताल और बागेश्वर जैसे चार नए जिलों को भी जोड़ दिया है.

Mukhyamantri Ghasiyari Kalyan Yojana in uttarakhand
मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना से जुड़ेंगे 4 और नए जिले.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार की घसियारी कल्याण योजना को पहाड़ के 4 जनपदों में शुरू करने के बाद अब चार अन्य जिलों को भी इस योजना में जोड़ा जा रहा है. अब राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने इस योजना की सफलता के बाद चार और जिलों को इससे जोड़ने के लिए सचिव सहकारिता को निर्देश दिए हैं. जिसके बाद सचिव सहकारिता डॉ पुरुषोत्तम ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है.

उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता विभाग की राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले वर्ष 30 अक्टूबर 2021 में देहरादून से इस योजना का उद्घाटन किया था. इस योजना की शुरूआत में इसमें पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत जनपदों को जोड़ा गया था. इन जिलों में योजना को मिली सफलता के सात माह बाद इस योजना से अब कॉपरेटिव मंत्री डॉ रावत ने टिहरी, चमोली, नैनीताल और बागेश्वर जैसे चार नए जिलों को भी जोड़ दिया है.

पढ़ें- बीकेटीसी अध्यक्ष की बिगड़ी तबीयत, केदारनाथ धाम से किया एयरलिफ्ट

मंत्री डॉ रावत ने बताया कि घसियारी कल्याण योजना से प्रदेश के पर्वतीय ग्रामीण इलाकों की करीब तीन लाख महिलाओं के कंधे का बोझ कम होगा. इस योजना के तहत उन्हें उनके गांव में ही पैक्ड सायलेज (सुरक्षित हरा चारा) और संपूर्ण मिश्रित पशुआहार (टीएमआर) उपलब्ध होगा. सरकार एक ओर जहां मक्के की खेती कराने में सहयोग देगी तो दूसरी ओर उनकी फसलों का क्रय भी करेगी.

सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत के मुताबिक, प्रदेश के पर्वतीय गांवों में करीब तीन लाख महिलाएं रोज अपने कंधों पर घास का बोझ ढो रही हैं. वह चारा या घर में इस्तेमाल होने वाली ज्वलनशील लकड़ी के लिए रोजाना आठ से दस घंटे तक का समय देती हैं. इस वजह से उनके कंधों में दर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटनों की समस्या आम है. उन्हें अगर आसानी से घास मिलेगा तो हर महीने करीब 300 घंटे की बचत होगी. इसके साथ ही गांव में रहकर ही उनकी आमदनी बढ़ेगी. प्रदेश में पर्वतीय क्षेत्रों में चारे की कमी के बीच महिलाओं के कंधे पर चारा लाने की बड़ी जिम्मेदारी है. इससे उन्हें मुक्त करने के लिए ही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना लाई गई है.

पढ़ें- 80 करोड़ में बने साउथ-ईस्टर्न एशिया का एकमात्र रिंक फांक रहा धूल, अब कहां करें आइस स्‍केटिंग?

डॉ रावत ने कहा कि चार जिलों में योजना की सफलता के बाद प्रदेश के दो हजार किसान परिवारों की दो हजार एकड़ भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. चूंकि मक्के की फसल 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है, लिहाजा किसान इसके बाद तिलहन, मटर और सब्जियों की खेती कर लाभ कमा सकेंगे.

सायलेज और टीएमऔर से बढ़ा उत्पादन: सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि सायलेज और टीएमआर का संतुलित आहार देने से दूध में वसा की मात्रा एक से डेढ़ प्रतिशत बढ़ने के साथ ही दूध उत्पादन भी 15 से 20 प्रतिशत बढ़ जाती है, इससे भी पशुपालकों की आय में इजाफा हुआ है. यह प्रयोग चार जिलों में सात माह सफलतापूर्वक चला, अब और चार जिले टिहरी, चमोली, नैनीताल, बागेश्वर में घसियारी कल्याण योजना से जोड़ दिए हैं.

पढ़ें- 'जर्नी ऑफ टिहरी डैम' कार्यक्रम में CM धामी हुए शामिल, बोले- उत्तराखंड में उद्योगों की बहुत संभावनाएं

इन दिनों हरिद्वार और देहरादून जिलों में मक्के की खेती हो रही है. बारिश से जमीन में नमी हो रही है। जो मक्के की फसल के लिए शुभ संकेत हैं. यही मक्का वैज्ञानिक ढंग से कटकर तथा पैक्ड होकर आठ जिलों के किसानों के आंगन में सहकारी समिति के माध्यम से जायेगा. उन्होंने बताया कि किसानों के लिए यह बहुत अच्छी योजना है. जिसका पर्वतीय किसान लाभ ले रहे हैं.

डॉ रावत ने बताया कि मक्के की सहकारी खेती करने वाले किसानों की आय में वृद्धि के माध्यम से इस योजना का बहुआयामी प्रभाव पड़ रहा है. इस योजना के अन्तर्गत एम-पैक्स के माध्यम से किसानों को कृषि उपकरण, कृषि ऋण सुविधा, बीज, उर्वरक इत्यादि की व्यवस्था कराये जाने के साथ ही उनकी उपज का आवश्यक रूप से क्रय भी किया जा रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार की घसियारी कल्याण योजना को पहाड़ के 4 जनपदों में शुरू करने के बाद अब चार अन्य जिलों को भी इस योजना में जोड़ा जा रहा है. अब राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने इस योजना की सफलता के बाद चार और जिलों को इससे जोड़ने के लिए सचिव सहकारिता को निर्देश दिए हैं. जिसके बाद सचिव सहकारिता डॉ पुरुषोत्तम ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है.

उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता विभाग की राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले वर्ष 30 अक्टूबर 2021 में देहरादून से इस योजना का उद्घाटन किया था. इस योजना की शुरूआत में इसमें पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत जनपदों को जोड़ा गया था. इन जिलों में योजना को मिली सफलता के सात माह बाद इस योजना से अब कॉपरेटिव मंत्री डॉ रावत ने टिहरी, चमोली, नैनीताल और बागेश्वर जैसे चार नए जिलों को भी जोड़ दिया है.

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मंत्री डॉ रावत ने बताया कि घसियारी कल्याण योजना से प्रदेश के पर्वतीय ग्रामीण इलाकों की करीब तीन लाख महिलाओं के कंधे का बोझ कम होगा. इस योजना के तहत उन्हें उनके गांव में ही पैक्ड सायलेज (सुरक्षित हरा चारा) और संपूर्ण मिश्रित पशुआहार (टीएमआर) उपलब्ध होगा. सरकार एक ओर जहां मक्के की खेती कराने में सहयोग देगी तो दूसरी ओर उनकी फसलों का क्रय भी करेगी.

सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत के मुताबिक, प्रदेश के पर्वतीय गांवों में करीब तीन लाख महिलाएं रोज अपने कंधों पर घास का बोझ ढो रही हैं. वह चारा या घर में इस्तेमाल होने वाली ज्वलनशील लकड़ी के लिए रोजाना आठ से दस घंटे तक का समय देती हैं. इस वजह से उनके कंधों में दर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटनों की समस्या आम है. उन्हें अगर आसानी से घास मिलेगा तो हर महीने करीब 300 घंटे की बचत होगी. इसके साथ ही गांव में रहकर ही उनकी आमदनी बढ़ेगी. प्रदेश में पर्वतीय क्षेत्रों में चारे की कमी के बीच महिलाओं के कंधे पर चारा लाने की बड़ी जिम्मेदारी है. इससे उन्हें मुक्त करने के लिए ही मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना लाई गई है.

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डॉ रावत ने कहा कि चार जिलों में योजना की सफलता के बाद प्रदेश के दो हजार किसान परिवारों की दो हजार एकड़ भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. चूंकि मक्के की फसल 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है, लिहाजा किसान इसके बाद तिलहन, मटर और सब्जियों की खेती कर लाभ कमा सकेंगे.

सायलेज और टीएमऔर से बढ़ा उत्पादन: सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि सायलेज और टीएमआर का संतुलित आहार देने से दूध में वसा की मात्रा एक से डेढ़ प्रतिशत बढ़ने के साथ ही दूध उत्पादन भी 15 से 20 प्रतिशत बढ़ जाती है, इससे भी पशुपालकों की आय में इजाफा हुआ है. यह प्रयोग चार जिलों में सात माह सफलतापूर्वक चला, अब और चार जिले टिहरी, चमोली, नैनीताल, बागेश्वर में घसियारी कल्याण योजना से जोड़ दिए हैं.

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इन दिनों हरिद्वार और देहरादून जिलों में मक्के की खेती हो रही है. बारिश से जमीन में नमी हो रही है। जो मक्के की फसल के लिए शुभ संकेत हैं. यही मक्का वैज्ञानिक ढंग से कटकर तथा पैक्ड होकर आठ जिलों के किसानों के आंगन में सहकारी समिति के माध्यम से जायेगा. उन्होंने बताया कि किसानों के लिए यह बहुत अच्छी योजना है. जिसका पर्वतीय किसान लाभ ले रहे हैं.

डॉ रावत ने बताया कि मक्के की सहकारी खेती करने वाले किसानों की आय में वृद्धि के माध्यम से इस योजना का बहुआयामी प्रभाव पड़ रहा है. इस योजना के अन्तर्गत एम-पैक्स के माध्यम से किसानों को कृषि उपकरण, कृषि ऋण सुविधा, बीज, उर्वरक इत्यादि की व्यवस्था कराये जाने के साथ ही उनकी उपज का आवश्यक रूप से क्रय भी किया जा रहा है.

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