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उत्तराखंड में बारिश बनी मुसीबत, अब तक 35 से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान

उत्तराखंड में बारिश के चलते अभी तक करीब 35 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश से उत्तराखंड के तमाम रास्ते बाधित हो गए हैं.

उत्तराखंड में बारिश का कहर 35 लोगों की मौत.
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Published : Aug 17, 2019, 12:10 PM IST

Updated : Aug 17, 2019, 1:48 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. भारी बारिश के चलते अभी तक करीब 35 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश से उत्तराखंड के तमाम रास्ते बाधित हो गए हैं. प्रशासन ने आपदा से निपटने के लिए तमाम दावे किए थे, लेकिन बंद मोर्टरमार्ग दावों की पोल खोल रहे हैं.

उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं राज्य की तमाम छोटी-बड़ी नदियां अपने पूरे वेग में बह रही है. जिसके चलते नदियों के आसपास के रहने वाले लोग डर के साए में रहने को मजबूर हैं. वहीं चमोली जिले में बदरीनाथ हाईवे पूरी तरह से बाधित है.

उत्तराखंड में बारिश का कहर 35 लोगों की मौत.

मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऐसे हालात में जागरूक होने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने लोगों को नसीहत देते हुए कहा की आग और पानी खतरनाक हो सकता है. लिहाजा बरसाती नदी नालों में नहाने या वहां घूमने न जायें.

ये भी पढ़े: सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का हाल बदहाल, ICU में घुसा बारिश का पानी

आपदा प्रबंधन और न्यूनीकरण विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला ने बताया कि बारिश के चलते अभी तक उत्तराखंड में करीब 35 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल कम बारिश हुई है. अगर कम वर्षा होती है तो आने वाले समय में फसलों के लिए दिक्कत पैदा हो सकती है. जितनी अधिक बारिश होगी उतना ही ज्यादा भू-जल भी रिचार्ज होगा. जिससे आने वाले समय में पानी की दिक्कत भी कम होगी.

देहरादून: उत्तराखंड में बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. भारी बारिश के चलते अभी तक करीब 35 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश से उत्तराखंड के तमाम रास्ते बाधित हो गए हैं. प्रशासन ने आपदा से निपटने के लिए तमाम दावे किए थे, लेकिन बंद मोर्टरमार्ग दावों की पोल खोल रहे हैं.

उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं राज्य की तमाम छोटी-बड़ी नदियां अपने पूरे वेग में बह रही है. जिसके चलते नदियों के आसपास के रहने वाले लोग डर के साए में रहने को मजबूर हैं. वहीं चमोली जिले में बदरीनाथ हाईवे पूरी तरह से बाधित है.

उत्तराखंड में बारिश का कहर 35 लोगों की मौत.

मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऐसे हालात में जागरूक होने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने लोगों को नसीहत देते हुए कहा की आग और पानी खतरनाक हो सकता है. लिहाजा बरसाती नदी नालों में नहाने या वहां घूमने न जायें.

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आपदा प्रबंधन और न्यूनीकरण विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला ने बताया कि बारिश के चलते अभी तक उत्तराखंड में करीब 35 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल कम बारिश हुई है. अगर कम वर्षा होती है तो आने वाले समय में फसलों के लिए दिक्कत पैदा हो सकती है. जितनी अधिक बारिश होगी उतना ही ज्यादा भू-जल भी रिचार्ज होगा. जिससे आने वाले समय में पानी की दिक्कत भी कम होगी.

Intro:नोट - फीड ftp से भेजी गयी है......uk_deh_01_Disaster_vis_7205803

उत्तराखंड में आफत की बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है आलम यह है कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों पर रहने वालों का जीवन दुश्वार हो गया है, लिहाजा लोग खतरे के साये में जीने को मजबूर हैं, वही आफत की बारिश की वजह से अभी तक करीब 35 से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके है। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने उत्तराखंड के तमाम रास्तों को बाधित कर दिया है। यही नहीं कई रास्ते ऐसे हैं, जहां प्रशासन ने मानसून सीजन शुरू होने से पहले ही तमाम व्यवस्थाएं की थी, और किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने दावे तो खूब किए थे, लेकिन मौजूदा हालत कुछ और ही बयां कर रहे है। आलम यह है कि उत्तराखंड के तमाम पहाड़ी रास्ते पूरी तरह बाधित हो गयी हैं। देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट......... 


Body:उत्तराखंड में लगातार हुई भारी बारिश से ना सिर्फ आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गई है बल्कि तमाम छोटी-बड़ी नदियो ने विकराल रूप धारण कर लिया है। जिससे आसपास के रहने वाले लोगों में दहशत का माहौल है। इसके साथ ही चमोली जिले के क्षेत्रपाल, कोडिया और लामबगड़ के बदरीनाथ 'राष्ट्रीय राजमार्ग 58' पूरी तरह बाधित हो गयी है, लिहाजा चारधाम की यात्रा करने आने वाले यात्रियों और स्थानीय निवासियों को कुछ दूरी तक पैदल ही रास्ता तय करना पड़ रहा है। नदियों के विकराल रूप धारण करने के साथ ही कई क्षेत्रो में बादल फटने जैसी घटनाओं के बाद से बरसाती नदियां भी उफान पर आ गई है। जिसके चलते कई जगहो पर नदियों में मवेशियों के भी बहने की सूचना प्राप्त हो रही है।


हर साल मानसून सीजन में पहाडो पर आपदा जैसी स्तिथि पैदा हो जाती है जिसको देखते हुए प्रशासन पहले से ही बद्रीनाथ के आस-पास, अमूमन बंद होने वाले रास्तों पर क्रेन के साथ एनएच कंपनी मलवा हटाने को व्यवस्था करता है। बावजूद इसके मौजूदा हालात यह है कि भारी बारिश होने के बाद ही रास्ता फिर से बंद हो जाता है, लिहाजा रास्ता बंद होने से चारधाम की यात्रा पर जाने और यात्रा कर वापिस आने वाले यात्री रास्ते में फंस जाते हैं, इसके साथ ही भारी बारिश की वजह से चमोली जिले के कई क्षेत्रों से जगह-जगह पर पहाड़ों से पत्थर और मलबा गिरने की भी सूचना आ रही है।


भारी बारिश के चलते पहाड़ो पर बन रहे दहशत के माहौल के सवाल पर सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के बजाए प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करने की बात कह रहे है। और प्रकृति के साथ समझौते और जागरूक होने की बात भी कही है। साथ ही कहा की लोगो को जागरूक होने की जरुरत है, और लोगो को नसीहत देते हुए कहा की आग और पानी खतरनाक हो सकता है लिहाजा बरसाती नदी नालो में नहाने या वहा घूमने न जाये। और सावधानी पूर्वक ही इससे बचाव किया जा सकता है।  

बाइट - त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड 


वही अगर आपदा प्रबंधक विभाग की माने तो अभी तक करीब 35 लोगो की मौत हो चुकी है, हालांकि  उत्तराखंड में जहा एक ओर भारी बारिश होने की वजह से लोग डर के साए में जीने को मजबूर है, साथ ही तमाम बड़ी नदिया और नाले उफान पर है, तो वही आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक पियूष रौतेला की माने तो उनके अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल कम बारिश हुई है। साथ ही कहा की इस साल अगर कम वर्षा होती है तो आने वाले समय में फसलों के लिए दिक्कत पैदा हो सकती है। लेकिन इस मौसम में बारिश का होना ठीक-ठाक है। जितनी अधिक बारिश होगी उससे भू-जल भी रिचार्ज होगा। और आने वाले समय में पानी की दिक्कते भी कम होगी।

बाइट - पियूष रौतेला, निदेशक, आपदा प्रबंधन एव न्यूनीकरण विभाग 

 
साथ ही पियूष रौतेला ने बताया कि बादल फटा की नहीं फटा ये, न मौसम विभाग जनता है और न ही आपदा विभाग जनता है। लेकिन अगर तकनीकी रूप से देखे तो अगर एक घंटे के भीतर 100 मिली मीटर से  बारिश होती है तो उसे बादल फटना कहा जाता है। लेकिन कुछ जगहों पर कुछ ज्यादा ही वर्षा हुई है। जिस वजह से कुछ नुक्सान हुआ है। 

बाइट - पियूष रौतेला, निदेशक, आपदा प्रबंधन एव न्यूनीकरण विभाग




Conclusion:
Last Updated : Aug 17, 2019, 1:48 PM IST
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