ETV Bharat / state

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा देवप्रयाग, 3460 एकड़ जमीन गायब!

author img

By

Published : Apr 9, 2021, 12:07 AM IST

देवप्रयाग में अधिकारियों की लापरवाही से 3460 एकड़ जमीन गायब हो गई है. जानिए कैसे...

devprayag hindi Latest News
अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा देवप्रयाग

देहरादून: उत्तराखंड के देवप्रयाग में जमीन के रिकॉर्ड में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. देवप्रयाग का 3460 एकड़ जमीन सरकारी रिकॉर्ड से गायब हो गया है. ऋषिकेश से 70 किमी दूर स्थित देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी अपना नाम त्यागकर देवी गंगा के रूप में प्रकट होती हैं. लेकिन, विडंबना देखिए आज देवप्रयाग के लोगों का अस्तित्व ही खतरे में है. क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड से देवप्रयाग का लैंड रिकॉर्ड गायब हो चुका है. शहरी विकास मंत्रालय की बैठक में देवप्रयाग नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल के पौराणिक नगरी के अस्तित्व पर रूंधे गले कहा कि 'देवप्रयाग के लोग आज अस्तित्व विहीन हैं. क्योंकि कोई भी सरकार इनकी सुध लेने के लिए तैयार नहीं है'.

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा देवप्रयाग.

क्या है मामला

शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत की बैठक में देवप्रयाग नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि देवप्रयाग शहर बिना लैंड रिकॉर्ड के चल रहा है. नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल के मुताबिक देवप्रयाग के लोगों के पास उनके भू अभिलेख ही नहीं है. साथ ही भू अभिलेख तहसील और जिला मुख्यालय से भी गायब हैं.

नहीं मिलती लोन की सुविधा

कृष्णकांत कोठियाल के मुताबिक देवप्रयाग के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई या फिर किसी दूसरे काम के लिए जमीन को बेचकर या फिर उसे गिरवी रखकर बैंक से लोन नहीं ले सकते हैं. क्योंकि जमीन के कागजात ही सरकारी विभाग से गायब हैं. उनका कहना है कि व्यक्ति का असली अस्तित्व उसकी मातृभूमि और जन्मभूमि से होता है. उसके दस्तावेज इसकी पुष्टि करते हैं. लेकिन आज देवप्रयाग के लोग अस्तित्व विहीन हैं.

ये भी पढ़ें: जंगलों की आग से हुए वनस्पति नुकसान का होगा अध्ययन, रिसर्च विंग तैयार करेगा रिपोर्ट

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि देवप्रयाग के लोग प्रधानमंत्री आवास योजना सहित हर एक उस योजना से वंचित हैं. जिस पर दस्तावेजों की औपचारिकताएं होती हैं. क्योंकि हर योजनाओं के लिए भू दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है. बैंक से लोन लेने के लिए भी लैंड रिकॉर्ड की जरूरत पड़ती है. लेकिन इन योजनाओं का लाभ देवप्रयाग की जनता को नहीं मिल रहा है.

1960 में मौजूद था लैंड रिकॉर्ड

नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने बताया कि वर्ष 1960 की पैमाइश में लैंड रिकॉर्ड मौजूद था. लेकिन साल 1969-70 के दौरान लैंड रिकॉर्ड गायब होने शुरू हो गए. सुनियोजित तरीके से लोगों के साथ-साथ तहसील और जिला मुख्यालय से भी लैंड रिकॉर्ड गायब कराए गए हैं.

शहरी विकास निदेशक बोले लखनऊ जाओ

देवप्रयाग के लैंड रिकॉर्ड गायब होने पर स्थानीय लोगों ने समय-समय पर शहरी विकास निदेशक से गुहार भी लगाई. लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकला. नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल का कहना है कि शहरी विकास निदेशक से जब उन्होंने लैंड रिकॉर्ड गायब होने की बात कही तो उन्होंने लखनऊ जाने की सलाह दी.

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सरकारी विभाग की उदासीनता इस बात से भी लगाई जा सकती है कि लैंड रिकॉर्ड गायब होने के बाद कई तहसीलदार और कई वरिष्ठ अधिकारी भी बदले गए होंगे. लेकिन किसी के द्वारा लैंड रिकॉर्ड को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई.

ये भी पढ़ें: वनाग्नि: असल चुनौतियां अभी बाकी, 1300 हेक्टेयर से अधिक जंगल आग की भेंट चढ़े

दोबारा होगा सर्वे

देवप्रयाग का लैंड रिकॉर्ड गायब होने पर शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि पौराणिक शहर का लैंड रिकॉर्ड गायब होना एक गंभीर विषय है. ऐसे में अधिकारियों को दोबारा सर्वे के निर्देश दिए गए हैं.

पौराणिक नगरी है देवप्रयाग

इस पौराणिक नगरी में ही भागीरथी और अलकनंदा का संगम होने के बाद गंगा का स्वरूप बनता है. देवप्रयाग सुमद्र तल से 1500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी को सास और अलकनंदा नदीं को बहू कहा जाता है. स्कंद पुराण के केदारखंड में देवप्रयाग को ब्रहृमपुरी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है.

पौराणिक मान्यता है कि देव शर्मा नामक ब्राह्मण ने सतयुग में निराहार सूखे पत्ते चबाकर और एक पैर पर खड़े रहकर एक हजार वर्षों तक तप किया और भगवान विष्णु के प्रत्यक्ष दर्शन और वर प्राप्त किया. देवभूमि के पंच प्रयागों में देवप्रयाग का सबसे विशेष स्थान है. मान्यता के अनुसार भागीरथ के ही कठोर प्रयासों से गंगा धरती पर आने के लिये राजी हुई थीं और यही वह जगह है, जहां गंगा सबसे पहले प्रकट हुईं. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम लंका विजय के बाद लक्ष्मण और सीता सहित यहां तपस्या करने के लिए आए थे.

देहरादून: उत्तराखंड के देवप्रयाग में जमीन के रिकॉर्ड में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. देवप्रयाग का 3460 एकड़ जमीन सरकारी रिकॉर्ड से गायब हो गया है. ऋषिकेश से 70 किमी दूर स्थित देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी अपना नाम त्यागकर देवी गंगा के रूप में प्रकट होती हैं. लेकिन, विडंबना देखिए आज देवप्रयाग के लोगों का अस्तित्व ही खतरे में है. क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड से देवप्रयाग का लैंड रिकॉर्ड गायब हो चुका है. शहरी विकास मंत्रालय की बैठक में देवप्रयाग नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल के पौराणिक नगरी के अस्तित्व पर रूंधे गले कहा कि 'देवप्रयाग के लोग आज अस्तित्व विहीन हैं. क्योंकि कोई भी सरकार इनकी सुध लेने के लिए तैयार नहीं है'.

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा देवप्रयाग.

क्या है मामला

शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत की बैठक में देवप्रयाग नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि देवप्रयाग शहर बिना लैंड रिकॉर्ड के चल रहा है. नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल के मुताबिक देवप्रयाग के लोगों के पास उनके भू अभिलेख ही नहीं है. साथ ही भू अभिलेख तहसील और जिला मुख्यालय से भी गायब हैं.

नहीं मिलती लोन की सुविधा

कृष्णकांत कोठियाल के मुताबिक देवप्रयाग के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई या फिर किसी दूसरे काम के लिए जमीन को बेचकर या फिर उसे गिरवी रखकर बैंक से लोन नहीं ले सकते हैं. क्योंकि जमीन के कागजात ही सरकारी विभाग से गायब हैं. उनका कहना है कि व्यक्ति का असली अस्तित्व उसकी मातृभूमि और जन्मभूमि से होता है. उसके दस्तावेज इसकी पुष्टि करते हैं. लेकिन आज देवप्रयाग के लोग अस्तित्व विहीन हैं.

ये भी पढ़ें: जंगलों की आग से हुए वनस्पति नुकसान का होगा अध्ययन, रिसर्च विंग तैयार करेगा रिपोर्ट

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि देवप्रयाग के लोग प्रधानमंत्री आवास योजना सहित हर एक उस योजना से वंचित हैं. जिस पर दस्तावेजों की औपचारिकताएं होती हैं. क्योंकि हर योजनाओं के लिए भू दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है. बैंक से लोन लेने के लिए भी लैंड रिकॉर्ड की जरूरत पड़ती है. लेकिन इन योजनाओं का लाभ देवप्रयाग की जनता को नहीं मिल रहा है.

1960 में मौजूद था लैंड रिकॉर्ड

नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने बताया कि वर्ष 1960 की पैमाइश में लैंड रिकॉर्ड मौजूद था. लेकिन साल 1969-70 के दौरान लैंड रिकॉर्ड गायब होने शुरू हो गए. सुनियोजित तरीके से लोगों के साथ-साथ तहसील और जिला मुख्यालय से भी लैंड रिकॉर्ड गायब कराए गए हैं.

शहरी विकास निदेशक बोले लखनऊ जाओ

देवप्रयाग के लैंड रिकॉर्ड गायब होने पर स्थानीय लोगों ने समय-समय पर शहरी विकास निदेशक से गुहार भी लगाई. लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकला. नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल का कहना है कि शहरी विकास निदेशक से जब उन्होंने लैंड रिकॉर्ड गायब होने की बात कही तो उन्होंने लखनऊ जाने की सलाह दी.

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सरकारी विभाग की उदासीनता इस बात से भी लगाई जा सकती है कि लैंड रिकॉर्ड गायब होने के बाद कई तहसीलदार और कई वरिष्ठ अधिकारी भी बदले गए होंगे. लेकिन किसी के द्वारा लैंड रिकॉर्ड को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई.

ये भी पढ़ें: वनाग्नि: असल चुनौतियां अभी बाकी, 1300 हेक्टेयर से अधिक जंगल आग की भेंट चढ़े

दोबारा होगा सर्वे

देवप्रयाग का लैंड रिकॉर्ड गायब होने पर शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि पौराणिक शहर का लैंड रिकॉर्ड गायब होना एक गंभीर विषय है. ऐसे में अधिकारियों को दोबारा सर्वे के निर्देश दिए गए हैं.

पौराणिक नगरी है देवप्रयाग

इस पौराणिक नगरी में ही भागीरथी और अलकनंदा का संगम होने के बाद गंगा का स्वरूप बनता है. देवप्रयाग सुमद्र तल से 1500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी को सास और अलकनंदा नदीं को बहू कहा जाता है. स्कंद पुराण के केदारखंड में देवप्रयाग को ब्रहृमपुरी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है.

पौराणिक मान्यता है कि देव शर्मा नामक ब्राह्मण ने सतयुग में निराहार सूखे पत्ते चबाकर और एक पैर पर खड़े रहकर एक हजार वर्षों तक तप किया और भगवान विष्णु के प्रत्यक्ष दर्शन और वर प्राप्त किया. देवभूमि के पंच प्रयागों में देवप्रयाग का सबसे विशेष स्थान है. मान्यता के अनुसार भागीरथ के ही कठोर प्रयासों से गंगा धरती पर आने के लिये राजी हुई थीं और यही वह जगह है, जहां गंगा सबसे पहले प्रकट हुईं. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम लंका विजय के बाद लक्ष्मण और सीता सहित यहां तपस्या करने के लिए आए थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.