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विभाग के लिए परेशानी का सबब बनी नई आबकारी नीति, 268 शराब कारोबारियों ने खींचे हाथ - राजस्व

ये सभी दुकानें उन इलाकों में हैं जहां पर दुकान संचालक को अपेक्षाकृत कम मुनाफा हुआ था. जिसके चलते अब कोई भी शराब कारोबारी इन दुकानों को लेना नहीं चाह रहा है

Excise Department
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Published : Apr 25, 2019, 11:44 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी नीति विभाग के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. प्रदेश में मौजूद 619 दुकानों में से 268 दुकानें अभी ऐसी हैं, जिसको 20 प्रतिशत अतिरिक्त मुनाफे में कोई भी लेने को तैयार नहीं हो रहा है. वहीं विभाग भी इन दुकानों को तय राजस्व से कम कीमत पर आवंटित करने को तैयार नहीं है. ऐसे में शराब की 268 दुकानों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है.

प्रमुख सचिव आबकारी आनंद बर्धन

पढ़ें- विधायक कर्णवाल और चैंपियन के पुराने विवाद मामले पर कोर्ट सख्त, आईजी गढ़वाल से जांच रिपोर्ट की तलब

नई आबकारी नीति के अनुसार विभाग ने मुनाफे में चल रही दुकानों को 20 प्रतिशत अधिक अधिभार पर आवंटित करने के प्रावधान किया था. जिसके चलते राज्य में मौजूद कुल 619 दुकानों में से 351 दुकानों का तो नवीनीकरण हो चुका है, लेकिन बाकी की 268 दुकानें ऐसी है, जिनसे शराब कारोबारियों ने हाथ पीछे खींच लिए है. विभाग की और से ई टेंडर में जारी की गई राशी में भी कोई शराब कारोबारी इन दुकानों को लेने के लिए तैयार नहीं है.

पढ़ें- केदारनाथ धाम में अभी भी जमी हुई है 15 फीट से ज्यादा बर्फ, कैसे होगी यात्रा?

ये सभी दुकानें उन इलाकों में हैं जहां पर दुकान संचालक को अपेक्षाकृत कम मुनाफा हुआ था. जिसके चलते अब कोई भी शराब कारोबारी इन दुकानों को लेना नहीं चाह रहा है. ऐसे में ये दुकानें विभाग के लिए सिरदर्द बन गई हैं.

इस बारे में प्रमुख सचिव आबकारी आनंद बर्धन का कहना है कि बची हुई दुकानों के आवंटन के लिए तय न्यूनतम बेस प्राइज ई टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. विभाग की कोशिश है कि सभी दुकानें आवंटित कर दी जाएं. यदि तय रेट पर ये दुकानें आवंटित नहीं होती है तो इसके बाद आगे सोचा जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी नीति विभाग के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. प्रदेश में मौजूद 619 दुकानों में से 268 दुकानें अभी ऐसी हैं, जिसको 20 प्रतिशत अतिरिक्त मुनाफे में कोई भी लेने को तैयार नहीं हो रहा है. वहीं विभाग भी इन दुकानों को तय राजस्व से कम कीमत पर आवंटित करने को तैयार नहीं है. ऐसे में शराब की 268 दुकानों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है.

प्रमुख सचिव आबकारी आनंद बर्धन

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नई आबकारी नीति के अनुसार विभाग ने मुनाफे में चल रही दुकानों को 20 प्रतिशत अधिक अधिभार पर आवंटित करने के प्रावधान किया था. जिसके चलते राज्य में मौजूद कुल 619 दुकानों में से 351 दुकानों का तो नवीनीकरण हो चुका है, लेकिन बाकी की 268 दुकानें ऐसी है, जिनसे शराब कारोबारियों ने हाथ पीछे खींच लिए है. विभाग की और से ई टेंडर में जारी की गई राशी में भी कोई शराब कारोबारी इन दुकानों को लेने के लिए तैयार नहीं है.

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ये सभी दुकानें उन इलाकों में हैं जहां पर दुकान संचालक को अपेक्षाकृत कम मुनाफा हुआ था. जिसके चलते अब कोई भी शराब कारोबारी इन दुकानों को लेना नहीं चाह रहा है. ऐसे में ये दुकानें विभाग के लिए सिरदर्द बन गई हैं.

इस बारे में प्रमुख सचिव आबकारी आनंद बर्धन का कहना है कि बची हुई दुकानों के आवंटन के लिए तय न्यूनतम बेस प्राइज ई टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. विभाग की कोशिश है कि सभी दुकानें आवंटित कर दी जाएं. यदि तय रेट पर ये दुकानें आवंटित नहीं होती है तो इसके बाद आगे सोचा जाएगा.

Intro:सूबे की 268 शराब की दुकानों पर संकट

एंकर- नई आबकारी नीति के बाद अब इस सत्र में शराब की दुकानों के नवीनीकरण में दिक्कतें सामने आ रही है। प्रदेश में मौजूद 619 दुकानों में से 268 दुकानी अभी ऐसी बाकी है जिन्हें दुकान संचालकों ने अपेक्षाकृत मुनाफा ना मिलने के चलते 20 फीसदी बढ़ोत्तरी के साथ संचालन से हाथ खींच लिया है वहीं सरकार भी इन दुकानों को तय राजस्व से नीचे आबंटित करने के बिल्कुल भी इरादे में नही है जिसके चलते आगामी 1 माह में इन 268 दुकानों पर कोई समाधान ना निकलने पर इन पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।


Body:वीओ- उत्तराखंड सरकार की आबकारी नीति को लेकर किए गए संशोधन के बाद जहां सरकार ने आबकारी में कम खर्च और अधिक राजस्व का दावा किया था तो वहीं एक ही साल के बाद नई आबकारी नीति की खामियां सामने आने लगी है जिसके चलते तकरीबन ढाई सौ से ज्यादा शराब की दुकानों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।

दरअसल आबकारी नीति में किए गए संशोधन के बाद सरकार द्वारा शराब की दुकानों को बिना ई टेंडर के मौजूदा दुकान संचालक को ही 20 फ़ीसदी 20% राज्य से बढ़ाकर आवंटित करने का प्रावधान किया गया था। जिसके चलते राज्य में मौजूद कुल 619 दुकानों में से 351 दुकानों का तो नवीनीकरण हो चुका है लेकिन अभी भी 268 दुकानें ऐसी है जिन पर दुकान संचालकों ने 20% राज्य से के इजाफे के साथ दुकान संचालन से मना कर दिया है। सरकार द्वारा इन दुकानों पर ई टेंडर करने पर भी सरकार द्वारा तय की गई राजस्व राशी पर यह दुकाने उठना संभव नहीं है।

इन दुकानों में आ रही इस समस्या की वजह यह है कि शेष बची यह 268 दुकाने राज्य के उन इलाकों में से हैं जहां पर दुकान संचालक को अपेक्षाकृत कम मुनाफा हुआ था। जिसके चलते अब कोई भी शराब व्यपारी इन दुकानों पर हाथ डालने से बच रहा है।

जिसके चलते अब आबकारी विभाग के सामने इन दुकानों को पिछले राज्यों से से ज्यादा कीमत पर आवंटित करने या फिर बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। ताजा हालात यह है कि विभाग ने मन बना लिया है कि अगर इन दुकानों को लेकर कोई समाधान नहीं निकलता है तो विभाग इन दुकानों को बंद करने में कोई कोताही नहीं बरतेगा

बाइट- आनंद बर्धन, प्रमुख सचिव आबकारी


Conclusion:
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