ऋषिकेशः तीर्थनगरी में अब गंगा में दूषित पानी नहीं गिरेगा. इसके लिए 26 एमएलडी की क्षमता का इको फ्रेंडली सीवर ट्रीटमेंट प्लांट शुरू हो गया है. यह सीवर ट्रीटमेंट प्लांट देश के आधुनिकतम प्लांट में से एक है. इस प्लांट से पानी को ट्रीटमेंट के बाद सिंचाई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. यह प्लांट 2 दो साल के भीतर बनकर तैयार हो गया है.
ऋषिकेश में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों की लागत से तैयार किया गया 26 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो चुका है. जिसमें ऋषिकेश शहर और आसपास के इलाकों का करीब 8 एमएलडी दूषित पानी रोजाना पहुंच रहा है. इस दूषित पानी को ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट करने के बाद स्वच्छ कर गंगा में छोड़ा जा रहा है.
बता दें कि, ऋषिकेश में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण का जिम्मा निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई गंगा पर है. विभाग ने प्लांट को तैयार करने वाली निजी एजेंसी को ही कॉन्ट्रेक्ट के तहत 15 साल के लिए संचालन और मेंटेनेंस का जिम्मा भी दिया गया है.
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ऋषिकेश की करीब 1.5 लाख की आबादी के लिए बनाए गए इस प्लांट की क्षमता वर्तमान आबादी से ज्यादा क्षमता का है. दरअसल, ऋषिकेश में आबादी के अलावा यात्रा काल में 1 लाख से ज्यादा लोगों की आवाजाही इस क्षेत्र में बढ़ जाती है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इस प्लांट को बनाया गया है.
वहीं, नमामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कश्यप ने बताया कि लक्कड़ घाट स्थित बने इस सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की कई विशेषताएं हैं. यह प्लांट ईको फ्रेंडली प्लांट है. साथ ही इस प्लांट से निकलने वाला पानी काफी साफ और सुथरा है. वहीं, सिचाई के लिए भी इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है.