देहरादून: राजस्थान में चल रहे सियासी संकट को लेकर केंद्र सरकार के विरोध में सोमवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने राजभवन का कूच किया था. कांग्रेसी नेताओं पर आरोप लगा है कि उन्होंने बिना अनुमति रैली निकाली और इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहीं रखा गया. जिसको लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं समेत करीब 200 कार्यकर्ताओं पर डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है.
कांग्रेस के सभी नेताओं के खिलाफ महामारी अधिनियम समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. हालांकि अभीतक इस मामले में किसी भी नेता को हिरासत में नहीं लिया गया है. इससे पहले 25 जून को भी कांग्रेस ने महंगाई को लेकर देहरादून में प्रदर्शन किया था, तभी भी पुलिस ने कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था.
पढ़ें- राजस्थान संकट: काली पट्टी, काला छाता और कांग्रेस का विरोध
इस बारे में जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थितियों में जिस तरह से बीजेपी लोकतंत्र की हत्या करने में लगी हुई है. उसके कांग्रेस बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगी. कांग्रेस की लोकतंत्र की हत्या का तमाशा नहीं देख सकती है. ये सरकार कांग्रेस नेताओं पर एक नहीं 100 मुकदमें दायर कर दे, लेकिन वे पीछे नहीं हटने वाले है. उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से सवाल किया है कि जब बीजेपी के नेता सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करते है तो सरकार कहा सो जाती है. उनके खिलाफ मुकदमें क्यों नहीं दायर किए जाते है?
वहीं इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि बीजेपी कोविड-19 से नहीं बल्कि राजस्थान सरकार से लड़ाई लड़ रही है. जिस सरकार के भीलवाड़ा मॉडल की पूरा देश तारीफ कर रहा है बीजेपी उसी सरकार की हत्या करने में लगी हुई है. इसलिए यह आज लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है जो उनके व्यक्तिगत जीवन के बराबर ही महत्वपूर्ण है.
पढ़ें- CM त्रिवेंद्र ने तहसील भवन और डिग्री कॉलेज के छात्रावास का किया शिलान्यास, गिनाए उपलब्धियां
कांग्रेस के इस कदम से बीजेपी को भी घर बैठे हुए उन्हें घेरने का मौका मिल गया है. उत्तराखंड बीजेपी के मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने कहा कि कांग्रेस कोशिश कोविड-19 के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई को बाधित करना है. कांग्रेस को आम जनता के जीवन से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए कांग्रेस सस्ती राजनीति पाने के लिए उलझन में पड़ी हुई है.