देहरादून: पिछले 36 घंटे से अधिक समय से उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार हो रही बारिश अब प्राकृतिक आपदा का रूप लेती जा रही है. उधर, पुलिस मुख्यालय द्वारा पहले से ही रेड अलर्ट घोषित किए गए पहाड़ी जिलों में राहत बचाव दल के रूप में एसडीआरएफ और पीएसी सहित अन्य रेस्क्यू टीम को बढ़ाया जा रहा है. लगातार मौसम खराब होने के चलते प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय स्तर पर कंट्रोल रूम बनाकर इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है.
2 कम्पनी PAC सड़क मार्ग से यमुनोत्री और बड़कोट रवाना: एक दिन पहले उत्तरकाशी निरकोट कंकरानी क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही हुई है. इस घटना में तीन लोगों के मारे जाने की खबर है. एसडीआरएफ (SDRF), एनडीआरएफ (NDRF) सहित स्थानीय पुलिस राहत बचाव कार्य में जुटी है. दूसरी तरफ अब उत्तरकाशी के बड़कोट और यमुनोत्री इलाके में भी लगातार बारिश के चलते प्राकृतिक आपदा का खतरा मंडराता जा रहा है. ऐसे में पुलिस मुख्यालय के आदेश के अनुसार हरिद्वार से दो कंपनी पीएससी (Provincial Armed Constabulary) की फोर्स राहत बचाव कार्य के लिए उत्तरकाशी के इन स्थानों के लिए रवाना की गयी है. उत्तरकाशी एसपी द्वारा राहत दल की डिमांड करने के तत्काल बाद ही पीएससी की कंपनियों को सड़क मार्ग से रवाना किया गया है.
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रेस्क्यू टीम को डिमांड मुताबिक भेजा जा रहा है: राज्य में पिछले कई घंटों से लगातार हो रही बारिश के चलते जगह-जगह बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं. टिहरी के राजस्व क्षेत्र में बादल फटने से भले ही अभी तक कोई जनहानि की बात सामने न आई हो लेकिन राज्य के चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी, नैनीताल और पिथौरागढ़ जैसे कई पहाड़ी जिलों में लगातार हो रही बारिश के चलते प्राकृतिक आपदा का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में पुलिस मुख्यालय लगातार इन आपदा प्रभावित जिलों से पल-पल की अपडेट लेकर एसडीआरएफ सहित अन्य राहत बचाव दल भेजने का कार्य कर रहा है.
कैसे वक्त से पहुंचेगी राहत टीम? उत्तराखंड में लगातार हर बरसात में ही बादल फटने, सड़क बहने और कई जिंदगियों के काल के ग्रास में समाने की घटनाएं होती हैं. बावजूद इसके हमारा रेस्क्यू सिस्टम किस तरह से काम कर रहा है इसका जीता जागता उदाहरण आज एक बार फिर राजधानी देहरादून से उत्तरकाशी जा रही एसडीआरएफ की टीमों की रवानगी के दौरान देखा गया.
इन रेस्क्यू टीमों को सड़क मार्ग से घटनास्थल पर भेजा गया है जबकि होना ये चाहिए था कि जिन जगहों पर अधिक बरसात से भारी नुकसान हुआ है वहां पर हवाई मार्ग से राहत टीमों को तुरंत पहुंचाना चाहिए था. सरकार को स्टैंडबाई में चॉपर को रखना चाहिए था. ये उस राज्य के हालात हैं जो आपदाग्रस्त है, जहां राहत बचाव कार्य के लिए सब तैयार होना चाहिए और ये उस राज्य के हालात हैं जहां मंत्रियों-विधायकों को बिना प्लान के कुमाऊं से गढ़वाल तक दौरे के लिए चॉपर मिल जाता है. राहत के नाम पर जो कुछ भी प्रदेश में हो रहा है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
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रेड अलर्ट जिलों पर खासकर पुलिस मुख्यालय कंट्रोल रूम की नजर: वहीं, उत्तराखंड में लगातार बारिश खराब मौसम के चलते खासकर पहाड़ी जिलों में रेड अलर्ट के संबंध में डीआईजी पुलिस मुख्यालय प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मुख्यालय स्तर पर कंट्रोल रूम से पल-पल की रिपोर्ट संबंधित जिलों द्वारा ली जा रही है. एहतियातन प्राकृतिक आपदा के दृष्टिगत जिलों को अतिरिक्त एसडीआरएफ व अन्य राहत पुलिस दल भेजे जा रहे हैं. उधर उत्तरकाशी में बादल फटने वाली घटना में एसडीआरएफ के साथ एनडीआरएफ भी राहत बचाव कार्य में जुटी है. टिहरी गढ़वाल के राजस्व क्षेत्र में फिलहाल कोई जनहानि की खबर नहीं है, लेकिन एहतियातन टिहरी में भी फोर्स भेजी गई है.