ऋषिकेश: तीर्थ नगरी ऋषिकेश को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि यहां से योग के असाधारण साधक और योगाचार्य निकलते हैं. आज ऐसे ही एक योग साधक वीरेंद्र चौबे से ईटीवी भारत आपको रूबरू कराने जा रहा है, जिनकी उम्र अभी महज 18 साल है.
ऋषिकेश के चंद्रेश्वर नगर में रहने वाले वीरेंद्र चौबे मात्र 18 साल के हैं, लेकिन अपनी योग की कलाओं को दिखाकर वह बड़े-बड़ों को भी अचंभे में डाल देते हैं. वीरेंद्र की उम्र भले ही छोटी हो, लेकिन इनकी सोच बहुत बड़ी है. बीएससी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहे वीरेंद्र ने स्कूली दिनों से ही योग की शिक्षा लेनी प्रारंभ कर दी थी.
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वे स्कूल में ही रहते हुए दो बार योग की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल भी जीत चुके हैं. वीरेंद्र चौबे का कहना है कि वह चंद्रभागा व उसके आसपास के मलिन बस्तियों में रहने वाले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को योग मुफ्त में सिखाते हैं. वे आने वाली पीढ़ियों को नशे की ओर से जाने से रोकना चाहते हैं.
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कोविड-19 से पहले वे लगभग 25 से 30 बच्चों को योग सिखा रहे थे. अभी फिलहाल कोरोना के कारण उनकी योग कक्षाएं बंद हैं. वीरेंद्र चौबे ने बताया कि वह इस समय ऋषिकेश पीजी कॉलेज से बीएससी प्रथम वर्ष बायोलॉजी से कर रहे हैं. बीएससी कंप्लीट करने के बाद वह आयुर्वेद का भी ज्ञान लेना चाहते हैं. वीरेंद्र का कहना है कि वह आयुर्वेद योग और साइंस की जानकारी लेकर लोगों के बीच इसका प्रचार-प्रसार करना चाहते हैं. वीरेंद्र ने बताया कि वह पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने देश में रहकर ही लोगों को योग आयुर्वेद की शिक्षा देंगे, ताकि अपने देश के लोग तरक्की कर सकें.
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वीरेंद्र आर्थिक स्थिति मजबूत तो नहीं है लेकिन उनकी सोच और दृढ़ संकल्प जरूर मजबूत है. वीरेंद्र पांच भाई बहन हैं. वीरेंद्र के पिता एक ऑटो ड्राइवर हैं. उनके सभी भाई बहन अभी पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में इस प्रतिभा को निखारने के लिए अगर कोई हाथ बढ़ाएं तो निश्चित तौर पर यह प्रतिभा देश के काम जरूर आ सकती है.
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