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उत्तराखंड: कोविड-19 से 'फाइट' के लिए तैयार है इमरजेंसी सेवा, वेंटिलेटर सुविधाओं से लैस 18 एंबुलेंस

उत्तराखंड में वर्तमान समय में 18 वेंटिलेटर सुविधा से लैस एंबुलेंस काम कर रही हैं. इसके साथ ही प्रदेश भर में 247 एंबुलेंस है. जिसमें से 156 एंबुलेंस कोविड-19 के लिए प्रदेश भर में संचालित हो रही हैं.

एंबुलेंस
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Published : Apr 9, 2020, 3:37 PM IST

देहरादूनः देश दुनिया में हाहाकार मचा रहा करोना वायरस के पीड़ित मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. वहीं, उत्तराखंड की बात करें तो प्रदेश में अभी तक 35 मरीजों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि, राज्य सरकार लगातार प्रदेश की जनता को कोरोना के प्रकोप से बचाने और कोरोना पीड़ित मरीजों को जल्द से जल्द स्वस्थ करने को लेकर तमाम बड़े कदम उठा रही है. इनमें इमरजेंसी सेवा भी शामिल है जो अहम भूमिका निभा रही है. आखिर प्रदेश में क्या है? एंबुलेंस की व्यवस्था, देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

कोविड-19 से 'फाइट' के लिए तैयार है इमरजेंसी सेवा.

उत्तराखंड में कोरोना वायरस की दस्तक से पहले स्वास्थ्य विभाग अपनी व्यवस्थाओं का रोना रोता रहा है. इतना ही नहीं आए दिन तमाम ऐसे मामले देखने को मिलते हैं. जिनमें एंबुलेंस सेवा भी शामिल हैं. जिससे तमाम मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा दिक्कत पहाड़ी क्षेत्रों में मरीजों को आने जाने में होती है. क्योंकि, वहां एंबुलेंस की पर्याप्त व्यवस्थाएं ना होने के चलते ग्रामीणों को ही मरीजों को लादकर एक लंबा सफर तय करने के बाद अस्पताल पहुंचाया जाता है. हालांकि, उत्तराखंड में कोरोना वायरस के दशक के बाद अस्पतालों में मरीजों की लगने वाली भीड़ बेहद कम हो गई है.

पढ़ें- उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे में 'चिराग तले अंधेरा', कैसे देंगे कोरोना को मात ?

जिसकी वजह लॉकडाउन और कहीं ना कहीं करोना वायरस का खौफ है. आपात स्थिति में ही लोग अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं. जिससे प्रदेश में एंबुलेंस की कमी भी दूर हो गई है. लिहाजा, अभी फिलहाल लोगों को समय पर एंबुलेंस की व्यवस्था मिल पा रही है. इतना ही नहीं स्वास्थ्य महकमा कोरोना वायरस जैसी महामारी को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में एंबुलेंस प्रदेशभर में लगाई है. इसी के तहत उत्तराखंड राज्य में वर्तमान समय में 18 वेंटिलेटर सुविधा से लैस एंबुलेंस काम कर रही हैं. साथ ही प्रदेश भर में 247 एंबुलेंस हैं. जिसमें से 156 एंबुलेंस कोविड-19 के लिए प्रदेश भर में संचालित हो रही हैं.

उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों में ही कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या में अचानक बढ़ोत्तरी हुई है. जिसमें से जमात से लौटे जमातियों की संख्या सबसे ज्यादा है. लिहाजा राज्य सरकार लगातार जमात से लौटे जमातियों को चिह्नित करने के साथ ही क्वारंटाइन इन कर रही है. जिससे जनता को कोरोना वायरस से बचाया जा सके. जबकि, राज्य सरकार पहले ही कोरोना निधि से प्रदेश के सभी जिलों को एक-एक एंबुलेंस उपलब्ध करा दिए थे. इसके साथ ही सरकार ने कोरोना निधि से 140 एंबुलेंस खरीदने की व्यवस्था भी की है.

वहीं, राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष सयाना ने बताया कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के लिए डेडीकेटेड एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है. जिसमें पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. साथ ही चालक को क्या सावधानियां बरतनी है? उन्हें इसका भी प्रशिक्षण दिया गया है. एंबुलेंस में मौजूद पैरामेडिकल स्टाफ को भी व्यवस्थाओं संबंधित और किस तरह मरीजों को ट्रांसपोर्ट किया जाता है, इससे वो लैस होते हैं और इस तरह के डेडीकेटेड एंबुलेंस की व्यवस्था हर जिले में की गई है.

साथ ही प्राचार्य आशुतोष सयाना ने बताया कि उत्तराखंड के अन्य जिलों से जो कोरोना वायरस से पीड़ित या संदिग्ध मरीज आते हैं. उन्हें उनके क्षेत्र से ही एंबुलेंस की व्यवस्था मिल जाती है. इसके बाद जब वह ठीक हो जाते हैं तो उनके लिए देहरादून हॉस्पिटल से अलग एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है. जिससे उन्हें घर पहुंचाया जा सके.

देहरादूनः देश दुनिया में हाहाकार मचा रहा करोना वायरस के पीड़ित मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. वहीं, उत्तराखंड की बात करें तो प्रदेश में अभी तक 35 मरीजों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि, राज्य सरकार लगातार प्रदेश की जनता को कोरोना के प्रकोप से बचाने और कोरोना पीड़ित मरीजों को जल्द से जल्द स्वस्थ करने को लेकर तमाम बड़े कदम उठा रही है. इनमें इमरजेंसी सेवा भी शामिल है जो अहम भूमिका निभा रही है. आखिर प्रदेश में क्या है? एंबुलेंस की व्यवस्था, देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

कोविड-19 से 'फाइट' के लिए तैयार है इमरजेंसी सेवा.

उत्तराखंड में कोरोना वायरस की दस्तक से पहले स्वास्थ्य विभाग अपनी व्यवस्थाओं का रोना रोता रहा है. इतना ही नहीं आए दिन तमाम ऐसे मामले देखने को मिलते हैं. जिनमें एंबुलेंस सेवा भी शामिल हैं. जिससे तमाम मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा दिक्कत पहाड़ी क्षेत्रों में मरीजों को आने जाने में होती है. क्योंकि, वहां एंबुलेंस की पर्याप्त व्यवस्थाएं ना होने के चलते ग्रामीणों को ही मरीजों को लादकर एक लंबा सफर तय करने के बाद अस्पताल पहुंचाया जाता है. हालांकि, उत्तराखंड में कोरोना वायरस के दशक के बाद अस्पतालों में मरीजों की लगने वाली भीड़ बेहद कम हो गई है.

पढ़ें- उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे में 'चिराग तले अंधेरा', कैसे देंगे कोरोना को मात ?

जिसकी वजह लॉकडाउन और कहीं ना कहीं करोना वायरस का खौफ है. आपात स्थिति में ही लोग अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं. जिससे प्रदेश में एंबुलेंस की कमी भी दूर हो गई है. लिहाजा, अभी फिलहाल लोगों को समय पर एंबुलेंस की व्यवस्था मिल पा रही है. इतना ही नहीं स्वास्थ्य महकमा कोरोना वायरस जैसी महामारी को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में एंबुलेंस प्रदेशभर में लगाई है. इसी के तहत उत्तराखंड राज्य में वर्तमान समय में 18 वेंटिलेटर सुविधा से लैस एंबुलेंस काम कर रही हैं. साथ ही प्रदेश भर में 247 एंबुलेंस हैं. जिसमें से 156 एंबुलेंस कोविड-19 के लिए प्रदेश भर में संचालित हो रही हैं.

उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों में ही कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या में अचानक बढ़ोत्तरी हुई है. जिसमें से जमात से लौटे जमातियों की संख्या सबसे ज्यादा है. लिहाजा राज्य सरकार लगातार जमात से लौटे जमातियों को चिह्नित करने के साथ ही क्वारंटाइन इन कर रही है. जिससे जनता को कोरोना वायरस से बचाया जा सके. जबकि, राज्य सरकार पहले ही कोरोना निधि से प्रदेश के सभी जिलों को एक-एक एंबुलेंस उपलब्ध करा दिए थे. इसके साथ ही सरकार ने कोरोना निधि से 140 एंबुलेंस खरीदने की व्यवस्था भी की है.

वहीं, राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष सयाना ने बताया कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के लिए डेडीकेटेड एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है. जिसमें पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. साथ ही चालक को क्या सावधानियां बरतनी है? उन्हें इसका भी प्रशिक्षण दिया गया है. एंबुलेंस में मौजूद पैरामेडिकल स्टाफ को भी व्यवस्थाओं संबंधित और किस तरह मरीजों को ट्रांसपोर्ट किया जाता है, इससे वो लैस होते हैं और इस तरह के डेडीकेटेड एंबुलेंस की व्यवस्था हर जिले में की गई है.

साथ ही प्राचार्य आशुतोष सयाना ने बताया कि उत्तराखंड के अन्य जिलों से जो कोरोना वायरस से पीड़ित या संदिग्ध मरीज आते हैं. उन्हें उनके क्षेत्र से ही एंबुलेंस की व्यवस्था मिल जाती है. इसके बाद जब वह ठीक हो जाते हैं तो उनके लिए देहरादून हॉस्पिटल से अलग एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है. जिससे उन्हें घर पहुंचाया जा सके.

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