विकासनगरः जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के चकराता विधानसभा क्षेत्र के 15 गांवों के लोगों ने 40 साल बाद दीपावली का पर्व मनाया. यहां मुख्य दीपावली के ठीक एक महीने बाद 'बूढ़ी दिवाली' मनाने की परंपरा है, लेकिन इस बार जौनसार बावर क्षेत्र के इष्ट देवता के रूप में पूजे जाने वाले छत्रधारी चालदा महासू देवता दसऊ गांव में विराजमान हैं. ऐसे में यहां नई दिवाली मनाई गई. खास बात ये रही है कि इस दिवाली को पारंपरिक तरीके से यानी बूढ़ी दिवाली की तरह मनाया गया.
बता दें कि जौनसार बावर के इष्ट देवता माने जाने वाले चार महासू देवता में लोगों की अटूट आस्था है. चार महासू देवता में सबसे छोटे माने जाने वाले छत्रधारी चालदा महाराज मौजूदा समय में खत पट्टी के दसऊ पशगांव के दसऊ मंदिर में विराजमान हैं. मान्यता है कि जिस खत पट्टी में चालदा देवता विराजते हैं, उस क्षेत्र की खत पट्टी से जुड़े गांव नई दीपावली को पारंपरिक तरीके से मनाते हैं.
जहां एक ओर पूरा देश नई दीपावली से जगमग था तो वहीं दसऊ गांव में स्थित चालदा महासू महाराज के मंदिर में 15 गांवों के ग्रामीणों ने देव दर्शन कर भीमल की पतली लकड़ी की मशाल जलाकर दीपोत्सव मनाया. साथ ही पूरी रात पारंपरिक लोकनृत्य किया और जमकर थिरके. इस दौरान पूरा दसऊ गांव महासू देवता के गीतों और जयकारों से गुंजायमान रहा.
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वहीं, ग्रामीणों ने छत्रधारी चालदा महाराज से क्षेत्र और प्रदेश की खुशहाली की कामना की. बता दें कि चालदा महासू महाराज चलायमान देवता हैं. अपने प्रवास पर दसऊ गांव में करीब दो सालों तक विराजमान रहेंगे. उसके बाद चालदा महासू देवता अगले पड़ाव के लिए रवाना होंगे. चालदा महासू महाराज हिमाचल प्रदेश का भी भ्रमण करते हैं.
खत स्याणा ( गांव के या इलाके के वरिष्ठ व्यक्ति) शूरवीर सिंह चौहान ने बताया कि छत्रधारी चालदा महासू महाराज मई महीने में समाल्टा से दसऊ गांव आए थे. जो इस वक्त दसऊ गांव के नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हैं. देवता के आगमन होने से खत पट्टी के 15 गांवों के लोगों ने इस बार 40 साल बाद नई दीपावली पारंपरिक रूप से मनाई. जिसमें सभी लोगों ने देवता के दर्शन किए और खुशहाली की कामना की.