देहरादूनः 13वें आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत 6 राज्यों के आदिवासी युवा और बच्चे देहरादून पहुंचे हैं. उद्घाटन मौके पर इन आदिवासी युवाओं ने अपने राज्यों की सांस्कृतिक विरासत को मंच पर प्रदर्शित कर दर्शकों का मन मोहा. कार्यक्रम में इन युवाओं को उत्तराखंड की विभिन्न जानकारियों से रूबरू करवाया गया. साथ ही बताया कि गया कि इन 7 दिनों में ये आदिवासी युवा प्रदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध स्थानों पर घूमेंगे और यहां की जानकारियां हासिल करेंगे.
दरअसल, सोमवार को देहरादून के सर्वे चौक स्थित आईआरटीडी सभागार में नेहरू युवा केंद्र भारत सरकार की ओर से आयोजित 13वें 7 दिवसीय आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. जहां आदिवासियों के विभिन्न जानकारियों से रूबरू कराया गया. इन सात दिनों में ये आदिवासी युवा उत्तराखंड के देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (FRI Dehradun), सर्वे ऑफ इंडिया (survey of india) समेत टिहरी झील (Tehri Lake) आदि इलाकों का भ्रमण कर नई जानकारियां लेंगे. इस पूरे कार्यक्रम में नेहरू युवा केंद्र संगठन उत्तराखंड की ओर से इन युवाओं का सहयोग किया जाएगा.
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कार्यक्रम का शुभारंभ कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने किया. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि यह कार्यक्रम उन नक्सल प्रभावित इलाकों के युवाओं के लिए संजीवनी का काम करेगा, जो देश दुनिया की नई-नई बातें सीखकर अपने इलाको में जाएंगे. वो अपने इलाकों में जाकर अन्य लोगों को भी अवगत कराएंगे कि नक्सलवाद (Naxalism) से कोई फायदा नहीं है. बल्कि, देश के विकास में अपनी एक अहम भागीदारी निभाकर एक जिम्मेदार नागरिक की तरह जीवन जिया जा सकता है.
इन राज्यों के आदिवासी युवा आए देहरादून: आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के तरह देश के छह राज्यों के युवा उत्तराखंड की राजधानी देहरादून आए हुए हैं. इन राज्यों में झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, मध्य प्रदेश और बिहार शामिल हैं. 13वां आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम पूरे एक हफ्ते का है.
आदिवासी या जनजातियां क्या हैं: जनजातियां, लोगों का एक ऐसा समूह है, जिनकी भाषा, संस्कृति, जीवनशैली और सामाजिक-आर्थिक स्थिति भिन्न-भिन्न होती हैं. ये सभी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में निवास करते हैं. साधारणत:, ये जनजातियां जंगलों के भीतर, दूरस्थ एवं दुर्लभ क्षेत्रों अथवा जंगलों की वाह्य सीमाओं तथा पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं. संविधान के अनुच्छेद 180 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों में वे जनजातियां या आदिवासी समुदाए अथवा इन जनजातियां और आदिवासी समुदाय के भीतर के समूहों के भाग आते हैं, जिनकी राष्ट्रपति द्वारा सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से घोषणा की गई है.
2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजाति देश की कुल आबादी के 8.6 प्रतिशत भाग का प्रतिनिधित्व करती है, जोकि देश की 10.42 मिलियन जनसंख्या है. इन सभी जनजातियों को इनकी विविध संस्कृतियों, विस्तृत रूप से फैले हुए दूसरे समुदायों के साथ होने वाले संपर्कों से सुदूर रहने तथा उनके आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर वर्गीकृत किया गया है.
आदिवासी आदान-प्रदान कार्यक्रम का मकसद क्या है: देश के दूरस्थ प्रांतों में रहने वाली जनजातियों को देश के किसी दूसरे स्थान पर क्या हो रहा है, इसके बारे में भी प्राथमिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. यदि छात्र और युवा समुदायों को देश के दूसरे भागों में रहने वाले अपने सहकर्मी समूहों के साथ बातचीत करने के लिए पर्याप्त जानकारी और अवसर मिलते रहते हैं, तो उनके मध्य व्याप्त अतिवादी गतिविधियों को कम किया जा सकता है.
इस संदर्भ में यह प्रस्तावित किया जाता है कि आदिवासी युवाओं को सकारात्मक रूप से सम्मिलित और शिक्षित किया जाना चाहिए और इसके लिए आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम बहुत ही मददगार साबित होंगे. गृह मंत्रालय, भारत सरकार के प्रोत्साहन के साथ नेहरू युवा केंद्र संगठन आदिवासी युवाओं के विकास के लिए आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम का आयोजन करता है. गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से नेहरू युवा केंद्र संगठन ने वर्ष 2006 से अब तक 12 आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है. देहरादून में 13वां आदिवासी युवा आदान प्रदान कार्यक्रम चल रहा है.