देहरादून: पौड़ी जिला प्रशासन 11 वर्षीय बहादुर बच्ची राखी का नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजने जा रहा है. बीते दिनों राखी ने बहादुरी दिखाते हुए अपने 4 साल के छोटे भाई को गुलदार के हमले से बचाया था. इस दौरान राखी को काफी गंभीर चोटे भी आई थीं. जिसके बाद राखी को कोटद्वार हायर सेंटर रेफर किया गया. वहीं अब पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के निर्देश पर राखी को देर शाम दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था. साथ ही राखी के परिजनों को 1 लाख रुपये फौरी राहत के तौर पर दिए गये हैं.
बता दें, पौड़ी जनपद के विकासखंड बीरोंखाल क्षेत्र के बेकुंडाई तल्ली गांव की 11 साल की मासूम राखी ने तीलू रौतेली बनकर अपने 4 साल के मासूम भाई राघव को गुलदार का निवाला बनने से बचाने में कामयाब हुई. इस दौरान मासूम राघव और राखी बुरी तरह घायल हो गई. दोनों को उपचार के लिए राजकीय बेस अस्पताल कोटद्वार में भर्ती कराया गया था. जहां से डॉक्टरों ने राखी की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने एम्स ऋषिकेश रेफर किया था. जहां से पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के निर्देश पर राखी को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.
11 वर्षीय राखी के अदम्य साहस को देखते हुए पौड़ी जिला प्रशासन राखी का नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजने की तैयारी कर रहा है. जिलाधिकारी पौड़ी डीएस गबर्याल ने इस बात की पुष्टि की है.
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कौन थी तीलू रौतेली ?
तीलू रौतेली का जन्म भूप सिंह गोर्ला और मैणावती रानी के घर साल 1661 में गुराड़ गांव में हुआ था. तीलू के पिता गंगू गोर्ला चौंदकोट के थोकदार थे. गंगू गोर्ला ने तीलू की 15 साल की उम्र में भवानी सिंह नेगी के साथ धूमधाम से सगाई कर दी. यह वही समय था जब कत्यूरी जनता पर अत्याचार कर रहे थे. इस दौरान तीलू रौतेली ने महज 15 साल की उम्र में जान हथेली पर रखकर घर से निकल पड़ी. तीलू ने 7 साल तक जिसने अपने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी. 15 साल की आयु में साथ युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एकमात्र वीरांगना है.
तीलू रौतेली ने अपने बचपन का अधिकांश समय बीरोंखाल के कांडा मल्ला गांव में बिताया. आज भी हर साल उनके नाम पर कौथिग और वॉलीबॉल मैच का आयोजन किया जाता है. इस प्रतियोगिता में क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं. उनकी याद में आज भी कांडा ग्राम बीरोंखाल क्षेत्र के निवासियों द्वारा हर वर्ष कौथिग (मेला) आयोजन करते हैं. जिसमें ढोल दमाऊ के साथ तीलू रौतेली की प्रतिमा का पूजन करते हैं.