चंपावत: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नैनीताल हाईकोर्ट के अहम फैसले के बाद अब पंचायत चुनाव में सभी प्रत्याशियों के चुनावी समीकरण बदल जाएंगे. दो से अधिक बच्चे होने के कारण बहुत से उम्मीदवार अयोग्य हो गए. जिस कारण ऐसे उम्मीदवारों ने अपने करीबियों और रिश्तेदारों को मैदान में उतारा था. हाई कोर्ट के फैसले के बाद वो उम्मीदवार भी चुनाव लड़ने के लिए आतुर हो गए हैं. अब उनके सामने उन प्रत्याशियों को बैठाने की बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिन्हें उन्होंने खुद मैदान में उतारा था.
वहीं, अब राजनैतिक दलों को भी अब फिर से उम्मीदवारों के नामों पर मंथन करना पड़ेगा. बीजेपी और कांग्रेस ने जिला पंचायत के उम्मीदवारों की लिस्ट हाई कमान को पहले ही भेज दी थी. हाईकोर्ट के फैसले के बाद जहां क्षेत्र पंचायत और ग्राम प्रधान के पहले से तैयारी में लगे उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. वहीं राजनैतिक दलों के लिए पार्टी समर्पित उम्मीदवारों के चयन में भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
संशोधित पंचायती एक्ट के खिलाफ याचिका
नैनीताल निवासी प्रधान हिमांशु पांडेय कालाढूंगी के प्रधान मनोहरलाल समेत प्रधान संगठन ने पंचायती राज एक्ट में संशोधन को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है, जो गलत है. साथ ही सरकार द्वारा एक्ट में किए गए बदलाव को बैकडेट से लागू किया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध है.
हाई कोर्ट का फैसला
नैनीताल हाई कोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत के संशोधित नियमों पर बड़ा फैसला सुनाया है. जिसके मुताबिक 25 जुलाई 2019 से पहले जिन उम्मीदवारों के 2 से अधिक बच्चे हैं, वो उम्मीदवार पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट के इस फैसले से उन उम्मीदवारों को बड़ा झटका लगा है, जिनके 25 जुलाई 2019 के बाद 3 बच्चे हुए हैं क्योंकि कोर्ट ने ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना है.