चंपावतः विभिन्न प्रांतों में फंसे प्रवासी लोग लगातार अपने गांव लौट रहे हैं. जहां प्रवासियों को संस्थागत और होम क्वारंटाइन किया जा रहा है. जबकि, गांव पहुंचे प्रवासियों को स्कूलों में क्वारंटाइन किया जा रहा है. जो स्कूल परिसर को भी संवारने काम कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बाराकोट ब्लॉक से सामने आया है. जहां एक प्रवासी सरकारी स्कूल में मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटा है. इस काम में उसकी भतीजी भी साथ दे रही है.
दरअसल, बाराकोट ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बैड़ा को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है. जहां पर दिल्ली से लौटे प्रवासी राजेंद्र प्रसाद 14 दिन तक क्वारंटाइन में रहे. जिसके बाद अब वो होम क्वारंटाइन में हैं. इसके बावजूद वो स्कूल पहुंचकर मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे हैं. इस काम के लिए उन्होंने खुद सीमेंट रेता और अन्य सामग्री का प्रबंध किया है. इतना ही नहीं उपयुक्त उपकरण ना मिलने पर राजेंद्र ने चम्मच को ही उपकरण बनाकर मां स्वरस्वती की शानदार प्रतिमा बना डाली है. जिसे देख स्थानीय लोग भी अचंभित हैं.
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राजेंद्र के इस काम में उनकी भतीजी कंचना कालाकोटी भी पूरा योगदान दे रही है. वो दिनभर सीमेंट से भरे कनस्तर को सिर पर रखकर खड़ी रहती है और राजेंद्र प्रतिमा को बनाते रहते हैं. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि वो दिल्ली में हलवाई का काम करते थे. लॉकडाउन के बाद वो अपने घर लौटे हैं. उनके पूर्वज पहले राजमिस्त्री का काम करते थे, अपने पिताजी के साथ उन्होंने इस काम को सीखा था. वर्तमान में वो करीब 30 साल के बाद सीमेंट का कार्य कर रहे हैं.