देहरादून: चंपावत उपचुनाव की मतगणना खत्म हो चुकी है. सीएम धामी ने 54 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर ली है.
बता दें कि पुष्कर सिंह धामी की अगुआई में बीजेपी विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी थी. पुष्कर सिंह धामी अपनी परंपरागत खटीमा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन कांग्रेस के भुवन कापड़ी से मात खा गए थे. धामी ने भले ही अपनी सीट गंवा दी थी, पर सत्ता बचाने में कामयाब रहे थे. यही वजह थी कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने धामी को चुनाव हारने के बाद भी सत्ता की कमान सौंपी. ऐसे में धामी को अपनी सीएम की कुर्सी बचाए रखने छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेना जरूरी था.
21 मार्च को चुने गए विधायक दल के नेता: विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद उत्तराखंड में मुख्यमंत्री को लेकर बना सस्पेंस 21 मार्च को उस समय खत्म हो गया. जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को नेता चुना गया. विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद धामी ने राज्यपाल गुरमीत सिंह से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया और 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
धामी को नेता चुने जाने पर राजनाथ सिंह ने कहा था कि 'मैं पुष्कर धामी को बधाई देता हूं और मुझे विश्वास है कि उत्तराखंड इनके नेतृत्व में प्रगति करेगा. धामी सरकार चला चुके हैं. इन्हें सरकार चलाने का अनुभव है. छह महीने में धामी ने अपनी छाप छोड़ी है'.
कैलाश गहतोड़ी ने दिया था सबसे पहले सीट छोड़ने का ऑफर: गौरतलब है कि इसी साल मार्च में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से चुनाव हार गए थे. कांग्रेस के भुवन चंद कापड़ी ने सीएम धामी को हरा दिया था. हालांकि चंपावत सीट से विजेता रहे कैलाश गहतोड़ी ने काउंटिंग वाले दिन ही सीएम धामी के लिए अपनी सीट को छोड़ने का ऐलान कर दिया था. पिछले महीने 21 अप्रैल को उन्होंने इस सीट की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
धामी ने जताया था आभार: खटीमा सीट से चुनाव हारने के बाद सीएम बने पुष्कर धामी ने गहतोड़ी का अभार व्यक्त करते हुए कहा कि चंपावत से चुनाव लड़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी. इसके बाद चंपावत से पहली बार बीजेपी के विधायक बने कैलाश गहतोड़ी ने धामी के लिए ये सीट छोड़ दी है और अपना इस्तीफा स्पीकर ऋतु खंडूरी को सौंप दिया था. जिसके बाद बीजेपी हाईकमान से पुष्कर सिंह धामी को चंपावत उपचुनाव से मैदान में उतारा.
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6 दूसरे विधायकों ने भी पेश की थी सीट: खटीमा विधानसभा सीट से हार के बाद पुष्कर सिंह धामी के लिए छह विधायकों ने अपनी सीट खाली करने की पेशकश की. चंपावत से कैलाश गहतोड़ी, जागेश्वर से मोहन महरा, लालकुआ से डॉ मोहन सिंह बिष्ट, रुड़की से प्रदीप बत्रा और खानपुर से उमेश कुमार और डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल शामिल थे.
कौन हैं निर्मला गहतोड़ी: उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की तेज-तर्रार महिला नेताओं में शुमार की जाने वाली निर्मला का ताल्लुक ब्राह्मण समुदाय से है. वह करीब तीन दशक पहले शराब-विरोधी आंदोलन से सुर्खियों में आई थीं. वह कांग्रेस की चंपावत जिला अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य रही हैं. पूर्व की प्रदेश कांग्रेस सरकार में वह दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री भी थीं.
विधानसभा चुनाव में चंपावत के नतीजे: सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए बीजेपी विधायक कैलाश गहतोड़ी ने चंपावत सीट खाली हुई है. चंपावत सीट से बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. विधानसभा चुनाव 2022 में चंपावत में बीजेपी के कैलाश गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खार्कवाल को 5304 वोटों से हराया था. कैलाश गहतोड़ी को 32547 वोट पड़े जबकि कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 27243 वोट मिले थे.
चंपावत ही क्यों: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उपचुनाव लड़ने के लिए कई विधायक अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार थे, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत से ही क्यों उपचुनाव लड़ने का फैसला लिया, इसका एक बड़ा कारण है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अभीतक उधमसिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. लेकिन पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री होते हुए भी वहां की जनता से उनका साथ नहीं दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन अब वे चंपावत से उपचुनाव लड़ रहे हैं.
चंपावत से उपचुनाव से लड़ने का बड़ा कारण ये है कि खटीमा और चंपावत के बीच की दूरी ज्यादा नहीं है. खटीमा के साथ-साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत में भी काफी सक्रिय रहे हैं, जिसका फायदा उन्हें चंपावत चुनाव में मिलेगा. वहीं, यहां से बीजेपी लगातार जीतती आ रही है. इसके अलावा कांग्रेस ने भी इस चुनाव में पहले ही सरेंडर कर दिया है. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने अपना दमदार उम्मीदवार हेमेश खर्कवाल न उतार कर निर्माला गहतोड़ी को टिकट दिया है. हेमेश खर्कवाल कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन फिर भी उन्हें टिकट नहीं मिला.
चंपावत सीट का समीकरण: चंपावत सीट का जातीय समीकरण भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है. चंपावत सीट पर 54% ठाकुर, 14% ब्राह्मण, 18% दलित और 4% मुस्लिम मतदाता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद ठाकुर है, ऐसे में उन्हें ठाकुरों को वोट मिलना लाजमी है. इसके साथ ही चंपावत सीट का 15% हिस्सा मैदानी क्षेत्र से जुड़ा है. चंपावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गृह जनपद भी है. भले ही उनका जन्म पिथौरागढ़ में हुआ हो, लेकिन कर्म क्षेत्र उनका खटीमा रहा है. खटीमा से दो बार के विधायक रहे पुष्कर सिंह धामी चंपावत की जनता से पहले से ही संपर्क में रहे हैं.
इतना ही नहीं चंपावत पहले पिथौरागढ़ का हिस्सा ही हुआ करता था. लिहाजा एक तरह से यह देखा जाए तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जन्मस्थली भी इसको माना जा रहा है. 1997 में पिथौरागढ़ जिले से चंपावत को अलग कर दिया गया था. चुनावों में जातीय समीकरण की बात हमने इसलिए की, क्योंकि इस बात को इस तरह से समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ठाकुर पृष्ठभूमि से आते हैं. लिहाजा 54% ठाकुरों की संख्या की तरफ बीजेपी पहले से ही देख रही थी और बीजेपी को उम्मीद है कि यहां पर ब्राह्मण और ठाकुर बीजेपी के पक्ष में मतदान करेंगे. बता दें कि इस सीट पर पहले भी बीजेपी का ही कब्जा था.