खटीमा: सूबे में कुछ दिनों बाद ही मानसून दस्तक देने वाला है. ऐसे में प्रशासन ने नदियों और नालों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए कवायद तेज कर दी है. इसके लिए शारदा नदी व अन्य पहाड़ी नालों से होने वाले भू- कटाव वाले क्षेत्रों के चिह्निकरण के लिए संयुक्त टीम भी बनाई गई है.
पढ़ें- PM मोदी की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की बैठक में 'न्यू इंडिया' का खाका तैयार
बता दें कि उत्तराखंड के सीमांत जनपद चंपावत के मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा में बहने वाली काली नदी, जिसे तराई क्षेत्र में शारदा कहकर भी पुकारा जाता है. वो बीते कई सालों से मैदानी क्षेत्रों में तबाही मचाती आ रही है. जिससे तटवर्ती आबादी वाले क्षेत्रों में भारी भू- कटाव और नुकसान होता है. ऐसे में खटीमा में आगामी मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने खतरे की जद में आने वाले क्षेत्रों का जायजा लिया लिया. जिसके तहत प्रशासन ने कार्यदायी संस्था को निर्देश दिया है कि बचाव कार्यों को समय रहते पूरा कर लिया जाए.
वहीं, अभी तटीय क्षेत्रों में आपदा राहत कार्य के तहत कई कार्य किये जाने हैं और कई कार्य अभी भी अधूरे पड़े हैं. जिनके चलते मानसून की आहट मिलते ही स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गया है. इसके साथ ही भू-कटाव वाले क्षेत्रों का चिह्निकरण किया जा रहा है.
टनकपुर एसडीएम दयानंद सरस्वती ने मीडिया को बताया कि भू- कटाव वाले क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए सिंचाई और राजस्व विभाग सहित संबंधित विभागों की संयुक्त टीम का गठन किया गया है. जिसकी रिपोर्ट पर जिलाधिकारी की अनुमति लेकर राहत कार्य शुरू किए जाएंगे.