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मानसून से पहले प्रशासन मुस्तैद, रेड जोन के चिह्निकरण के लिए बनाई गई संयुक्त टीम - मानसून को लेकर खटीमा में टीम का गठन

जनपद चंपावत के मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा में बहने वाली काली नदी जिसे तराई क्षेत्र में शारदा कहकर भी पुकारा जाता है. बीते कई सालों से मैदानी क्षेत्रों में तबाही मचाती है. जिससे तटवर्ती आबादी वाले क्षेत्रो में भारी भू- कटाव और नुकसान होता है. ऐसे में खटीमा में आगामी मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने खतरे की जद में आने वाले क्षेत्रों का जायजा लिया लिया.

मानसून से पहले मुस्तैद प्रशासन.
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Published : Jun 15, 2019, 6:00 PM IST

खटीमा: सूबे में कुछ दिनों बाद ही मानसून दस्तक देने वाला है. ऐसे में प्रशासन ने नदियों और नालों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए कवायद तेज कर दी है. इसके लिए शारदा नदी व अन्य पहाड़ी नालों से होने वाले भू- कटाव वाले क्षेत्रों के चिह्निकरण के लिए संयुक्त टीम भी बनाई गई है.

पढ़ें- PM मोदी की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की बैठक में 'न्यू इंडिया' का खाका तैयार

बता दें कि उत्तराखंड के सीमांत जनपद चंपावत के मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा में बहने वाली काली नदी, जिसे तराई क्षेत्र में शारदा कहकर भी पुकारा जाता है. वो बीते कई सालों से मैदानी क्षेत्रों में तबाही मचाती आ रही है. जिससे तटवर्ती आबादी वाले क्षेत्रों में भारी भू- कटाव और नुकसान होता है. ऐसे में खटीमा में आगामी मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने खतरे की जद में आने वाले क्षेत्रों का जायजा लिया लिया. जिसके तहत प्रशासन ने कार्यदायी संस्था को निर्देश दिया है कि बचाव कार्यों को समय रहते पूरा कर लिया जाए.

मानसून से पहले मुस्तैद प्रशासन.

वहीं, अभी तटीय क्षेत्रों में आपदा राहत कार्य के तहत कई कार्य किये जाने हैं और कई कार्य अभी भी अधूरे पड़े हैं. जिनके चलते मानसून की आहट मिलते ही स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गया है. इसके साथ ही भू-कटाव वाले क्षेत्रों का चिह्निकरण किया जा रहा है.

टनकपुर एसडीएम दयानंद सरस्वती ने मीडिया को बताया कि भू- कटाव वाले क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए सिंचाई और राजस्व विभाग सहित संबंधित विभागों की संयुक्त टीम का गठन किया गया है. जिसकी रिपोर्ट पर जिलाधिकारी की अनुमति लेकर राहत कार्य शुरू किए जाएंगे.

खटीमा: सूबे में कुछ दिनों बाद ही मानसून दस्तक देने वाला है. ऐसे में प्रशासन ने नदियों और नालों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए कवायद तेज कर दी है. इसके लिए शारदा नदी व अन्य पहाड़ी नालों से होने वाले भू- कटाव वाले क्षेत्रों के चिह्निकरण के लिए संयुक्त टीम भी बनाई गई है.

पढ़ें- PM मोदी की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की बैठक में 'न्यू इंडिया' का खाका तैयार

बता दें कि उत्तराखंड के सीमांत जनपद चंपावत के मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा में बहने वाली काली नदी, जिसे तराई क्षेत्र में शारदा कहकर भी पुकारा जाता है. वो बीते कई सालों से मैदानी क्षेत्रों में तबाही मचाती आ रही है. जिससे तटवर्ती आबादी वाले क्षेत्रों में भारी भू- कटाव और नुकसान होता है. ऐसे में खटीमा में आगामी मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने खतरे की जद में आने वाले क्षेत्रों का जायजा लिया लिया. जिसके तहत प्रशासन ने कार्यदायी संस्था को निर्देश दिया है कि बचाव कार्यों को समय रहते पूरा कर लिया जाए.

मानसून से पहले मुस्तैद प्रशासन.

वहीं, अभी तटीय क्षेत्रों में आपदा राहत कार्य के तहत कई कार्य किये जाने हैं और कई कार्य अभी भी अधूरे पड़े हैं. जिनके चलते मानसून की आहट मिलते ही स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गया है. इसके साथ ही भू-कटाव वाले क्षेत्रों का चिह्निकरण किया जा रहा है.

टनकपुर एसडीएम दयानंद सरस्वती ने मीडिया को बताया कि भू- कटाव वाले क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए सिंचाई और राजस्व विभाग सहित संबंधित विभागों की संयुक्त टीम का गठन किया गया है. जिसकी रिपोर्ट पर जिलाधिकारी की अनुमति लेकर राहत कार्य शुरू किए जाएंगे.

Intro:एंकर- जल्द शुरू होने वाले मानसून सत्र में नदियों और नालों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए कार्य योजना बनाने में जुटा प्रशासन। प्रशासन ने हर साल मानसून में सीमांत क्षेत्र में कहर ढाहने वाली शारदा नदी व अन्य पहाड़ी नालों से होने वाले भू- कटाव वाले क्षेत्रों अर्थात रेड जोन को चिन्हित करने के लिए बनाई संयुक्त टीम।

summary- आगामी मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने खतरे की जद में आने वाले क्षेत्रों का जायजा लिया। कार्यदाई संस्था को को निर्देश दिया कि बचाव कार्य को समय रहते पूरा किया जाए।

नोट- खबर मेल पर है।


Body:वीओ- उत्तराखंड के सीमांत जनपद चंपावत के मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा में बहने वाली काली नदी जिसे तराई क्षेत्र में शारदा कहकर भी पुकारा जाता है। बीते कई वर्षों से पहाड़ों पर होने वाली बारिश के कारण शारदा विकराल रूप धारण कर मैदानी क्षेत्रों में तबाही करती है, और तटवर्ती आबादी वाले क्षेत्रो में भारी भू- कटाव कर काफी नुकसान पहुंचाती है। शारदा नदी के इसी विकराल रूप को रोकने के लिए तटीय क्षेत्रों में आपदा राहत कार्य के तहत कई कार्य किये जाने वाले कई कार्य कार्य अभी अधूरे पड़े है। जिनके चलते मानसून की आहट मिलते ही स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गया है और तटवर्ती क्षेत्रों में होने वाले भू- कटाव वाले क्षेत्रों को जो रेड जोन के अंतर्गत आते हैं के चिन्हिकरण का कार्य किया जा रहा है।
टनकपुर एसडीएम दयानंद सरस्वती ने मीडिया को बताया कि भू- कटाव वाले क्षेत्रों को चिन्हित करने के लिए सिचाई विभाग -राजस्व विभाग सहित संबंधित विभागों की संयुक्त टीम का गठन किया गया है। जिसकी रिपोर्ट पर जिलाधिकारी की अनुमति लेकर राहत कार्य शुरू किए जाएंगे।

बाइट- दयानंद सरस्वती उपजिलाधिकारी टनकपुर


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