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कोरोना के कारण टूटी सालों पुरानी परंपरा, देवीधुरा में रक्षाबंधन के दिन नहीं खेली जाएगी बग्वाल - Corona's impact on Devidhura Bagwal

रक्षाबंधन के दिन होने वाली ऐतिहासिक बग्वाल में इस बार सिर्फ पूजा अर्चना और मंदिर मैदान की परिक्रमा चार खाम और सात तोकों के चुनिंदा लोग ही करेंगे. मंदिर समिति और जिला प्रशासन के साथ मिलकर यह निर्णय लिया है.

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कोरोना के कारण टूटी सालों पुरानी परंपरा,
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Published : Aug 2, 2020, 5:17 PM IST

Updated : Aug 2, 2020, 6:02 PM IST

चंपावत: पूरे विश्व में प्रसिद्ध मां बाराही धाम देवीधुरा की बग्वाल इस बार नहीं खेली जाएगी. कोरोना महामारी के कारण जिला प्रशासन और मंदिर कमेटी ने यह निर्णय लिया है. अब तक के इतिहास में यह पहली बार होगा जब मां बाराही धाम में बग्वाल का आयोजन नहीं किया जाएगा.

रक्षाबंधन के दिन होने वाली ऐतिहासिक बग्वाल में इस बार सिर्फ पूजा अर्चना और मंदिर मैदान की परिक्रमा चार खाम और 7 तोकों के चुनिंदा लोग ही करेंगे. चार खाम और 7 तोकों ने मंदिर समिति और जिला प्रशासन के साथ मिलकर यह निर्णय लिया है.

कोरोना के कारण टूटी सालों पुरानी परंपरा

पढ़ें- केदारनाथ मास्टर प्लान और देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित, क्रमिक अनशन किया शुरू

अग्रेजों ने भी किया था रोकने का प्रयास

मान्यता है कि एक बार अंग्रेजों ने भी बगवाल को रोकने का प्रयास किया था लेकिन तब भी बग्वाल खेली गई थी. बग्वाल में चार खाम और 7 थोकों के वीर मां बारही को खुश करने के लिए एक दूसरे पर पत्थरों की बारिश की वर्षा करते हैं. जब तक एक आदमी के शरीर के बराबर रक्त नहीं बह जाता. तब तक बग्वाल खेली जाती है. मगर इस बार कोरोना महामारी से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया है.

पढ़ें- सुशीला तिवारी अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कांग्रेसियों ने किया प्रदर्शन

क्या है मान्यता

प्राचीन मान्यता है कि देवीधुरा क्षेत्र में नरवेगी यज्ञ हुआ करता था. जिसमें यहां नर बलि दी जाती थी. एक परिवार में से हर साल एक पुरुष की बलि दी जाती थी. जब एक बार चम्याल खाम की एक वृद्ध महिला के परिवार की बारी आयी तो उसका एक नाती था जो उसका एक मात्र सहारा था. तब उसने मां बाराही से प्रार्थना की. मां बाराही ने उसे सपने में दर्शन दिये और समस्त गांव वालों के साथ मिलकर बग्वाल के आयोजन करने के लिए कहा. तब से यह परंपरा सदियों से देवीधुरा में चली आ रही है. यह मेला रक्षाबंधन के दिन ही होता है.

पढ़ें- आपदा प्रभावित क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से किया गया रेस्क्यू

बदला है बग्वाल के रूप
कुछ सालों से हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बग्वाल के रूप में भी परिवर्तन आया है. यहां बग्वाल पत्थरों का बजाय फल और फूलों से खेली जाने लगी है. मंदिर में अष्टबलि देने की परंपरा भी थी जो अब बिल्कुल समाप्त हो गई है,

चंपावत: पूरे विश्व में प्रसिद्ध मां बाराही धाम देवीधुरा की बग्वाल इस बार नहीं खेली जाएगी. कोरोना महामारी के कारण जिला प्रशासन और मंदिर कमेटी ने यह निर्णय लिया है. अब तक के इतिहास में यह पहली बार होगा जब मां बाराही धाम में बग्वाल का आयोजन नहीं किया जाएगा.

रक्षाबंधन के दिन होने वाली ऐतिहासिक बग्वाल में इस बार सिर्फ पूजा अर्चना और मंदिर मैदान की परिक्रमा चार खाम और 7 तोकों के चुनिंदा लोग ही करेंगे. चार खाम और 7 तोकों ने मंदिर समिति और जिला प्रशासन के साथ मिलकर यह निर्णय लिया है.

कोरोना के कारण टूटी सालों पुरानी परंपरा

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अग्रेजों ने भी किया था रोकने का प्रयास

मान्यता है कि एक बार अंग्रेजों ने भी बगवाल को रोकने का प्रयास किया था लेकिन तब भी बग्वाल खेली गई थी. बग्वाल में चार खाम और 7 थोकों के वीर मां बारही को खुश करने के लिए एक दूसरे पर पत्थरों की बारिश की वर्षा करते हैं. जब तक एक आदमी के शरीर के बराबर रक्त नहीं बह जाता. तब तक बग्वाल खेली जाती है. मगर इस बार कोरोना महामारी से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया है.

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क्या है मान्यता

प्राचीन मान्यता है कि देवीधुरा क्षेत्र में नरवेगी यज्ञ हुआ करता था. जिसमें यहां नर बलि दी जाती थी. एक परिवार में से हर साल एक पुरुष की बलि दी जाती थी. जब एक बार चम्याल खाम की एक वृद्ध महिला के परिवार की बारी आयी तो उसका एक नाती था जो उसका एक मात्र सहारा था. तब उसने मां बाराही से प्रार्थना की. मां बाराही ने उसे सपने में दर्शन दिये और समस्त गांव वालों के साथ मिलकर बग्वाल के आयोजन करने के लिए कहा. तब से यह परंपरा सदियों से देवीधुरा में चली आ रही है. यह मेला रक्षाबंधन के दिन ही होता है.

पढ़ें- आपदा प्रभावित क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से किया गया रेस्क्यू

बदला है बग्वाल के रूप
कुछ सालों से हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बग्वाल के रूप में भी परिवर्तन आया है. यहां बग्वाल पत्थरों का बजाय फल और फूलों से खेली जाने लगी है. मंदिर में अष्टबलि देने की परंपरा भी थी जो अब बिल्कुल समाप्त हो गई है,

Last Updated : Aug 2, 2020, 6:02 PM IST
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