देहरादून: उत्तराखंड में अभीतक जीतने भी मुख्यमंत्रियों ने उपचुनाव लड़ा है, उसमें उन्होंने जीत ही हासिल की है. उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस बार चंपावत उपचुनाव में उतरे हैं, जिस पर 31 मई को मतदान होना है, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए चंपावत उपचुनाव सिर्फ हार-जीत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस चुनाव पर राजनीतिक भविष्य तय है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
बीजेपी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसी चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने प्रदेश के सभी 13 जिलों से कार्यकर्ताओं की पूरी फौज चंपावत विधानसभा में झोंक दी है. एक अनुमान के मुताबिक हर जिले से लगभग 70 से 80 वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को चंपावत में चुनाव को लेकर भेजा गया है. इतना ही नहीं 47 विधायकों में से 20 विधायक लगातार चंपावत क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, ताकि जीत की संभावनाओं में एक प्रतिशत भी कसर रहे तो उसका पूरा किया जा सके.
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बीजेपी के चुनाव लड़ने के तरीके और चंपावत में कार्यकर्ताओं की भीड़ से कांग्रेस की टेंशन बढ़ी हुई है. क्योंकि उन्हें अपनी हार का डर सता रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस बात को बार-बार दोहरा रहे हैं कि बीजेपी का छोटे से बड़ा नेता बार-बार इस बात को दोहरा रहा है कि चंपावत उपचुनाव में बीजेपी तो कही पर है ही नहीं.
चंपावत उपचुनाव पर सीएम धामी का भविष्य: चंपावत उपचुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक भविष्य तय करेगा. 31 मई को सिर्फ चंपावत उपचुनाव के लिए मतदान नहीं डाला जाएगा, बल्कि वहां जनता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की किस्तम तय करेंगी.
चंपावत ही क्यों: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उपचुनाव लड़ने के लिए कई विधायक अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार थे, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत से ही क्यों उपचुनाव लड़ने का फैसला लिया, इसका एक बड़ा कारण है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अभीतक उधमसिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. लेकिन पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री होते हुए भी वहां की जनता से उनका साथ नहीं दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन अब वे चंपावत से उपचुनाव लड़ रहे हैं.
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चंपावत से उपचुनाव से लड़ने का बड़ा कारण ये है कि खटीमा और चंपावत के बीच की दूरी ज्यादा नहीं है. खटीमा के साथ-साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत में भी काफी सक्रिय रहे हैं, जिसका फायदा उन्हें चंपावत चुनाव में मिलेगा. वहीं, यहां से बीजेपी लगातार जीतती आ रही है. इसके अलावा कांग्रेस ने भी इस चुनाव में पहले ही सरेंडर कर दिया है. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने अपना दमदार उम्मीदवार हेमेश खर्कवाल न उतार कर निर्माला गहतोड़ी को टिकट दिया है. हेमेश खर्कवाल कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन फिर भी उन्हें टिकट नहीं मिला.
चंपावत सीट का समीकरण: चंपावत सीट का जीतिय समीकरण भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है. चंपावत सीट पर 54% ठाकुर, 14% ब्राह्मण, 18% दलित और 4% मुस्लिम मतदाता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद ठाकुर है, ऐसे में उन्हें ठाकुरों को वोट मिलना लाजमी है. इसके साथ ही चंपावत सीट का 15% हिस्सा मैदानी क्षेत्र से जुड़ा है. चंपावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गृह जनपद भी है. भले ही उनका जन्म पिथौरागढ़ में हुआ हो, लेकिन कर्म क्षेत्र उनका खटीमा रहा है. खटीमा से दो बार के विधायक रहे पुष्कर सिंह धामी चंपावत की जनता से पहले से ही संपर्क में रहे हैं.
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इतना ही नहीं चंपावत पहले पिथौरागढ़ का हिस्सा ही हुआ करता था. लिहाजा एक तरह से यह देखा जाए तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जन्मस्थली भी इसको माना जा रहा है. 1997 में पिथौरागढ़ जिले से चंपावत को अलग कर दिया गया था. चुनावों में जातीय समीकरण की बात हमने इसलिए की, क्योंकि इस बात को इस तरह से समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ठाकुर पृष्ठभूमि से आते हैं लिहाजा 54% ठाकुरों की संख्या की तरफ बीजेपी पहले से ही देख रही थी और बीजेपी को उम्मीद है कि यहां पर ब्राह्मण और ठाकुर बीजेपी के पक्ष में मतदान करेंगे. बता दें कि इस सीट पर पहले भी बीजेपी का ही कब्जा था.
चंपावत उपचुनाव में कांग्रेस के मुद्दे: कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी ने चंपावत उपचुनाव में महंगाई को मुद्दा बनाया है. इसी के साहरे कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी चंपावत उपचुनाव में अपने आप को जीताने की कोशिश करेंगी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का कहना है कि देश में बेरोजगारी और महंगाई पूरे चरम पर है. उत्तराखंड में युवा बेरोजगार हो रहे हैं. इन्हीं सब कारणों से बीजेपी को हार मिलेगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत उपचुनाव से हार कर ही अपने घर खटीमा वापस लौट आएंगे.
बीजेपी का चुनाव मंत्र: बीजेपी चंपावत उपचुनाव में एक स्लोगन का खूब इस्तेमाल कर रही है, वो अब विधायक नहीं सीएम जीता रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चंपावत में चुनाव प्रचार करते दिखाई देंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बेहद खास और पूर्व विधायक संजय गुप्ता की माने तो चंपावत की जनता को पता है कि बीजेपी जीतने पर उनके क्षेत्र का विकास जरूर होगा. क्योंकि पर कोई और नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव लड़ रहा है. बता दें कि चंपावत उपचुनाव का परिणाम 3 जून का आएगा.