चंपावत/हरिद्वारः उत्तराखंड में मानदेय बढ़ोत्तरी समेत 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं. आशा वर्करों के हड़ताल पर चले जाने से कोरोना टीकाकरण और पोलियो ड्रॉप अभियान सहित कई काम प्रभावित हो रहे हैं. उधर, हरिद्वार में आशाओं के कार्य बहिष्कार से महिला अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को भी काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है. आशा वर्कर मुख्यतः सरकारी कर्मचारी घोषित किए जाने, 21 हजार मानदेय देने और बीमा सुविधा मुहैया कराने की मांग पर अड़े हैं.
टनकपुर में 27वें दिन भी धरना जारीः आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले टनकपुर में आशा वर्करों का धरना 27वें दिन भी जारी रहा. आक्रोशित आशाओं ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. आंदोलनरत आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कोरोनाकाल में जारी बजट में तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह और त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मानदेय 10,000 हजार रुपए करने की घोषणा की थी, जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में सरकार उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक निर्णय लें. वहीं, उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने पर देहरादून पहुंकर सीएम आवास और मुख्यमंत्री के घेराव करने की चेतावनी दी.
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हरिद्वार में अस्पताल के बाहर डटीं आशा वर्करः हरिद्वार जिला महिला अस्पताल में आशा कार्यकर्ताओं का धरना जारी है. जिलेभर की आशा कार्यकर्ता अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 3 अगस्त से कार्य बहिष्कार और 19 अगस्त से धरने पर बैठी हुई हैं. आशाओं के कार्य बहिष्कार से महिला अस्पताल में पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. हालांकि, धरने पर बैठी आशा कार्यकर्ता मांगें पूरी न होने तक अपना धरना खत्म करने को तैयार नहीं हैं.
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आशाओं कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके आंदोलन को कई दिन बीत गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा उनकी सुध लेने नहीं आया है. आशा कार्यकर्ता सरकार की हर स्वास्थ्य योजना में बढ़-चढ़कर काम करती हैं, लेकिन सरकार उनके हितों का ख्याल नहीं रख रही है. सरकार सभी योजनाओं में ज्यादातर काम उनसे ही कराती है, उसके बावजूद भी आशाओं को कार्य के अनुरूप मानदेय नहीं मिलता है. जबकि, कोरोनाकाल में भी बढ़ चढ़कर काम कर चुके हैं.