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पिंडर घाटी में खनन माफिया के हौंसले बुलंद, नियमों को ताक पर रखकर चलाये जा रहे क्रशर

थराली की पिंडर घाटी में खनन माफिया लगातार हावी होते जा रहे हैं.  खनन माफिया यहां नियमों को ताक पर रखकर स्टोन क्रशर चला रहे हैं. प्रशासन भी लाख कोशिशों के बावजूद इन पर काबू नहीं पा रहा है.

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Published : Jan 27, 2020, 3:17 AM IST

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पिंडर घाटी में खनन माफिया के हौंसले बुलंद

थराली: विकास खण्ड थराली की पिंडर घाटी में खनन माफिया के हौंसले बुलंद हैं. खनन माफिया यहां नियमों को ताक पर रखकर स्टोन क्रशर चला रहे हैं. प्रशासन भी लाख कोशिशों के बावजूद इन पर काबू नहीं पा रहा है. नतीजन मोबाइल स्टोन क्रशरों के आगे भी शासन-प्रशासन ने घुटने टेक दिये हैं. ताजा मामला कर्णप्रयाग- ग्वालदम मोटर मार्ग के तलवाड़ी इलके से सामने आया है. जहां बांज के पेड़ों के बीच एक मोबाइल स्टोन क्रशर लगाया गया है, जिस पर धड़ल्ले से पत्थरों की पिसाई हो रही है.

पिंडर घाटी में खनन माफिया के हौंसले बुलंद

हालांकि स्टोन क्रेशर स्वामी का कहना है कि उनके पास इसके लिए जिलाधिकारी की वैधानिक अनुमति है . मगर जंगलों के बीच लगा ये क्रशर नियमावली एवं जिलाअधिकारी की अनुमति में दिए गए मानकों के अनुसार नहीं लगा हुआ है. पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राजेश चौहानने बताया कि ये क्रशर मानकों के अनुरूप उचित स्थान पर नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन ने बांज के पेड़ों के बीच आखिर क्रशर लगाने की अनुमति क्यों दी? बता दें कि पिंडर घाटी में पिछले 3 सालों से अबतक कोई भी खनन का पट्टा नहीं है.

पढ़ें-हरिद्वार: भूमि विवाद के चलते उलझकर रह गया कॉलेज का कार्य, पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास

ग्रामीणों का कहना है कि अवैध रूप से चल रहे क्रशर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसके अलावा इसका सीधा असर मत्स्य प्रजजन केंद्रों पर भी पड़ रहा है. बावजूद इसके इस मामले में अधिकारी खामोश बैठे हैं.

थराली: विकास खण्ड थराली की पिंडर घाटी में खनन माफिया के हौंसले बुलंद हैं. खनन माफिया यहां नियमों को ताक पर रखकर स्टोन क्रशर चला रहे हैं. प्रशासन भी लाख कोशिशों के बावजूद इन पर काबू नहीं पा रहा है. नतीजन मोबाइल स्टोन क्रशरों के आगे भी शासन-प्रशासन ने घुटने टेक दिये हैं. ताजा मामला कर्णप्रयाग- ग्वालदम मोटर मार्ग के तलवाड़ी इलके से सामने आया है. जहां बांज के पेड़ों के बीच एक मोबाइल स्टोन क्रशर लगाया गया है, जिस पर धड़ल्ले से पत्थरों की पिसाई हो रही है.

पिंडर घाटी में खनन माफिया के हौंसले बुलंद

हालांकि स्टोन क्रेशर स्वामी का कहना है कि उनके पास इसके लिए जिलाधिकारी की वैधानिक अनुमति है . मगर जंगलों के बीच लगा ये क्रशर नियमावली एवं जिलाअधिकारी की अनुमति में दिए गए मानकों के अनुसार नहीं लगा हुआ है. पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राजेश चौहानने बताया कि ये क्रशर मानकों के अनुरूप उचित स्थान पर नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन ने बांज के पेड़ों के बीच आखिर क्रशर लगाने की अनुमति क्यों दी? बता दें कि पिंडर घाटी में पिछले 3 सालों से अबतक कोई भी खनन का पट्टा नहीं है.

पढ़ें-हरिद्वार: भूमि विवाद के चलते उलझकर रह गया कॉलेज का कार्य, पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास

ग्रामीणों का कहना है कि अवैध रूप से चल रहे क्रशर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसके अलावा इसका सीधा असर मत्स्य प्रजजन केंद्रों पर भी पड़ रहा है. बावजूद इसके इस मामले में अधिकारी खामोश बैठे हैं.

Intro:थराली।विकास खण्ड थराली के पिंडर घाटी में खनन माफियाओं के आतंग नियमों को ताक पर रख चल रहे हैं, स्टोन क्रेशर।


पिंडर घाटी में खनन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलन्द है ,कि शासन प्रशासन भी इन पर काबू नहीं कर पा रहा है। पहले अवैध खनन और अब नियमों को ताक पर रख लग रहे। मोबाइल स्टोन क्रैशरो के आगे शासन प्रशासन भी घुटने टेकता नजर आ रहा है। अब एक नया मामला प्रकाश में आया है। बाज बुरास के जंगलों के बीच रहने वाले पशु पक्षियों को भी बड़ा संकट मंडरा रहा है। Body:रिपोर्ट--गिरीश चंदोला

स्थान--थराली(tharali)

स्लग-- नियमो को धता बताते स्टोन क्रेशर

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थराली।विकास खण्ड थराली के पिंडर घाटी में खनन माफियाओं के आतंग नियमों को ताक पर रख चल रहे हैं, स्टोन क्रेशर।


पिंडर घाटी में खनन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलन्द है ,कि शासन प्रशासन भी इन पर काबू नहीं कर पा रहा है। पहले अवैध खनन और अब नियमों को ताक पर रख लग रहे। मोबाइल स्टोन क्रैशरो के आगे शासन प्रशासन भी घुटने टेकता नजर आ रहा है। अब एक नया मामला प्रकाश में आया है। बाज बुरास के जंगलों के बीच रहने वाले पशु पक्षियों को भी बड़ा संकट मंडरा रहा है।


कर्णप्रयाग- ग्वालदम मोटर मार्ग पर तलवाड़ी में बांज के पेड़ो के एकदम बीच एक मोबाइल स्टोन क्रेशर लगा हुआ है ,जहां धड़ल्ले से पत्थरों की पिसाई हो रही है। हालांकि स्टोन क्रेशर स्वामी का कहना है। कि उनके पास जिलाधिकारी की वैधानिक अनुमति है ,लेकिन सवाल यह उठता है कि स्टोन क्रेशर नियमावली एवं जिला अधिकारी की अनुमति में दिए गए मानकों के अनुसार स्टोन क्रेशर नहीं लगा हुआ है। स्थानीय पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राजेश चौहान, विक्रम कनवासी, मोहन गिरी ,गौरव , भरत सैंजवाल आदि ने बताया कि स्टोन क्रेशर इकाई मानको के अनुरूप उचित स्थान पर नहीं है,साथ ही स्थानीय लोगो ने कहा कि यहां स्थापित स्टोन क्रेशर नियमो को ताक पर रखकर स्थापित किया गया है ,जिला प्रशासन द्वारा बाज के पेड़ों के बीच आखिर क्यों स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति दी गई यह चर्चा का विषय है ।बता दें कि पिंडर घाटी में पिछले 3 वर्षों से कोई भी खनन का पट्टा नहीं है


बावजूद इसके जिलाधिकारी की स्टोन क्रेशर स्थापित करने की अनुमति भी चर्चा का विषय बनी हुई है। नियमों को धता बताते इन मोबाइल स्टोन क्रेशर को लेकर शासन प्रशासन भी बोना नजर आता दिख रहा है।


V O वही ग्रामीणों का कहना है। अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रेशर पर्यावरण को तो नुकसान पहुचा ही रहा है। उसके साथ- साथ इसका सीधा असर मत्स्य प्रजजन केंद्र पर भी पड़ रहा है।
इसके बावजूद आला अधिकारी खामोश बैठे है।


Byte 1 भरत सेजवाल,स्थानीय नागरिकConclusion:V O वही ग्रामीणों का कहना है। अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रेशर पर्यावरण को तो नुकसान पहुचा ही रहा है। उसके साथ- साथ इसका सीधा असर मत्स्य प्रजजन केंद्र पर भी पड़ रहा है।
इसके बावजूद आला अधिकारी खामोश बैठे है।


Byte 1 भरत सेजवाल,स्थानीय नागरिक
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