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इस गांव के लोगों ने पेश की नजीर, सरकार की अनसुनी पर खुद बना डाली सड़क

पहाड़ के लोगों का परिश्रम किसी से छिपा नहीं है. ऐसी ही एक प्रेरक कहानी चमोली जिले के थराली से है. माल बज्वाड़ के लोगों ने सरकार की अनसुनी पर खुद ही सड़क बनाने का निश्चय किया और असंभव काम को संभव कर दिखाया.

सड़क
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Published : Jun 10, 2020, 5:15 PM IST

थरालीः चमोली जिले के थराली विकासखंड में ग्रामीणों ने आत्मनिर्भरता की एक नजीर पेश की है. माल बज्वाड़ के ग्रामीणों और ग्राम प्रधान ने ऐसा काम किया जो दूसरे गांव के लोगों को भी प्रेरित करेगा. गांव के लोग लंबे समय से पक्की सड़क के लिए सरकार और प्रशासन से गुहार लगा रहे थे. लेकिन जिम्मेदारों की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर ग्रामीणों ने खुद ही सड़क बनाने का काम शुरू किया. ये काम अब अपने अंतिम पड़ाव पर है.

गांव वालों ने खुद ही बना डाली सड़क.

ग्राम प्रधान जितेंद्र रावत के अनुसार वे शहर से गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए कई बार विभागों के चक्कर काट चुके हैं. लेकिन किसी भी विभागीय अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगी. हालांकि इलाके में सर्वे का काम तो पूरा हो चुका है, लेकिन आज तक ग्रामीणों को सड़क नसीब नहीं हो पाई. न तो सड़क की कोई घोषणा हो सकी और न ही सड़क कटिंग का कार्य शुरू हो पाया. ऐसे में लॉकडाउन के बीच ही ग्राम प्रधान जितेंद्र की दृढ़ इच्छाशक्ति और ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से ही गांव तक सड़क पहुंचा दी है.

पढ़ेंः रुद्रपुर: मनरेगा में सैकड़ों प्रवासियों को मिला रोजगार

ग्रामीणों की मेहनत का नतीजा आज सबके सामने है. लोलटी-मेलठा मोटरमार्ग पर श्मशान गदेरे से शुरू हुआ सड़क कटिंग का कार्य अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. सड़क गांव तक पहुंच चुकी है. गांव तक सड़क पहुंचने की खुशी ग्रामीणों के चेहरों पर एक नई रौनक लेकर आई है. ग्रामीणों का कहना है कि मांग के बावजूद भी लंबे अरसे से सड़क की सुविधा माल बज्वाड़ गांव को नसीब नहीं हो पाई थी. ग्राम प्रधान और ग्रामीणों की मेहनत से 1 किलोमीटर लंबी सड़क गांव तक पहुंच चुकी है.

थरालीः चमोली जिले के थराली विकासखंड में ग्रामीणों ने आत्मनिर्भरता की एक नजीर पेश की है. माल बज्वाड़ के ग्रामीणों और ग्राम प्रधान ने ऐसा काम किया जो दूसरे गांव के लोगों को भी प्रेरित करेगा. गांव के लोग लंबे समय से पक्की सड़क के लिए सरकार और प्रशासन से गुहार लगा रहे थे. लेकिन जिम्मेदारों की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर ग्रामीणों ने खुद ही सड़क बनाने का काम शुरू किया. ये काम अब अपने अंतिम पड़ाव पर है.

गांव वालों ने खुद ही बना डाली सड़क.

ग्राम प्रधान जितेंद्र रावत के अनुसार वे शहर से गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए कई बार विभागों के चक्कर काट चुके हैं. लेकिन किसी भी विभागीय अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगी. हालांकि इलाके में सर्वे का काम तो पूरा हो चुका है, लेकिन आज तक ग्रामीणों को सड़क नसीब नहीं हो पाई. न तो सड़क की कोई घोषणा हो सकी और न ही सड़क कटिंग का कार्य शुरू हो पाया. ऐसे में लॉकडाउन के बीच ही ग्राम प्रधान जितेंद्र की दृढ़ इच्छाशक्ति और ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से ही गांव तक सड़क पहुंचा दी है.

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ग्रामीणों की मेहनत का नतीजा आज सबके सामने है. लोलटी-मेलठा मोटरमार्ग पर श्मशान गदेरे से शुरू हुआ सड़क कटिंग का कार्य अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. सड़क गांव तक पहुंच चुकी है. गांव तक सड़क पहुंचने की खुशी ग्रामीणों के चेहरों पर एक नई रौनक लेकर आई है. ग्रामीणों का कहना है कि मांग के बावजूद भी लंबे अरसे से सड़क की सुविधा माल बज्वाड़ गांव को नसीब नहीं हो पाई थी. ग्राम प्रधान और ग्रामीणों की मेहनत से 1 किलोमीटर लंबी सड़क गांव तक पहुंच चुकी है.

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