थरालीः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज त्रिस्तरीत पंचायत प्रतिनिधियों से ई-संवाद के जरिए बातचीत की, लेकिन थराली में ग्राम प्रधानों ने इस ई-संवाद कार्यक्रम का बहिष्कार किया और किसी ने भी भाग नहीं लिया. ऐसे में सभागार में कुर्सियां खाली नजर आईं. वहीं, ग्राम प्रधानों ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.
थराली विकासखंड के प्रधान संगठन के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत ने कहा कि प्रधान संगठन बीते लंबे समय से मांग कर रहा है कि मनरेगा कार्यों में ग्रामीणों को पूरे 300 दिन का रोजगार दिया जाए. साथ ही प्रत्येक दिन की मजदूरी ₹250 रखी जाए. वहीं, प्रधान संगठन प्रधानों की प्रति माह की तनख्वाह ₹15000 और पूर्व प्रधान को ₹5000 प्रति माह की पेंशन दी जाए.
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उन्होंने कहा कि मनरेगा कार्यों के लिए सोशल ऑडिट गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के माध्यम से नहीं कराया जाए, लेकिन सरकार प्रधानों के कार्यों के भौतिक सत्यापन और लोगों में उनकी विश्वसनीयता को लेकर सोशल ऑडिट के लिए बार-बार एनजीओ को तय कर देते हैं. जिसका प्रधान संगठन लगातार विरोध करता आया है. ऐसे में सरकार विकासखंड में तैनात कर्मचारियों के माध्यम से यह कार्य कराए. जिससे विकास कार्यों की पारदर्शिता बनी रहे.
प्रधान संगठन प्रदेश के अपने पंचायती राज एक्ट की मांग करता है और प्रदेश में इसे लागू किए जाने की बात करता है, लेकिन प्रदेश सरकार उनकी बातों को अनदेखा कर रही है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्रधानों का शिष्टमंडल देहरादून में सीएम से मिलने गया था तो सीएम ने उन्हें मिलने के लिए समय नहीं दिया था. लिहाजा उन्होंने ई-संवाद कार्यक्रम का बहिष्कार किया है.