थराली: चमोली जिले में सरकार और कारिंदे एक पुल का निर्माण अभी तक नहीं करा पाए हैं. आलम ये है कि लकड़ी के पुल से ग्रामीणों को आवाजाही करनी पड़ रही है. इतना ही नहीं वाहन भी लकड़ी के पुल से आवाजाही कर रहे हैं. ऐसे में यहां थोड़ी सी चूक होने या पुल के ढह जाने पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं, अब गुस्साए ग्रामीणों ने स्थायी पुल का निर्माण न करने पर आमरण अनशन की चेतावनी दी है.
दरअसल, बीते साल बरसात के दौरान सोल क्षेत्र में दो बार बादल फटने से प्रानमती नदी के तेज उफान में थराली और सूना गांव को जोड़ने वाला मोटर पुल वैली ब्रिज और झूला पुल बह गए थे. ग्रामीणों ने जैसे तैसे अपने संसाधनों से आवाजाही के लिए लकड़ी का पुल तैयार किया, लेकिन पानी के तेज बहाव में वो भी बह गया. लोक निर्माण विभाग ने यहां पर बिजली के खंभों के ऊपर लकड़ी डाल कर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए लकड़ी का पुल तो बनाया है, लेकिन अब तक भी विभाग यहां पर स्थायी पुल का निर्माण नहीं करा पाया है. ऐसे में ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन की चेतावनी दी है.
स्थानीय ग्रामीण अनिल देवराड़ी, राजेंद्र प्रसाद देवराड़ी, मोहन बहुगुणा आदि लोगों का कहना है कि बरसात के दौरान प्राणमति नदी में बादल फटने से मोटर पुल समेत झूला पुल आपदा की चपेट में आ गया था. जल सैलाब में दोनों पुल बह जाने से आवाजाही करने वाले ग्रामीणों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन शासन प्रशासन की ओर से अभी तक थराली, सुना और पैंनगड़ को जोड़ने वाला मोटर पुल नहीं बन पाया है. जिससे ग्रामीणों को खास दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि जल्द ही इस पुल को नहीं बनाया गया तो ग्रामीण आंदोलन के साथ आमरण अनशन करेंगे.
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कौन करेगा पुल का निर्माण? वहीं, लोक निर्माण विभाग और पीएमजीएसवाई विभाग के अधिकारी आपस में ही उलझे हुए हैं कि आखिर पुल का निर्माण करेगा कौन? क्योंकि, जहां थराली सूना जोड़ने वाली सड़क निर्माण का जिम्मा पीएमजीएसवाई विभाग का है. लिहाजा, लोक निर्माण विभाग पुल निर्माण के लिए भी पीएमजीएसवाई से ही पत्राचार कर रहा है. हालांकि, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता दिनेश मोहन गुप्ता ने बताया कि नए मोटर पुल का इस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा गया है. जिस पर स्वीकृति मिलते ही नए पुल का निर्माण शुरू कराया जाएगा. दूसरी ओर थराली और सूना गांव के ग्रामीण जान हथेली पर रखकर आवाजाही को मजबूर हैं.