ETV Bharat / state

तिमुण्डिया मेला: कच्चा मांस खाते पश्वा को देखकर सभी हो गए हैरान

तिमुण्डिया मेले का विधिवत समापन हो गया है. इस मेले में शिरकत करने काफी दूर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे.

author img

By

Published : May 5, 2019, 5:05 PM IST

तिमुण्डिया मेले का विधिवत समापन.

चमोली: जिले में जोशीमठ के नृसिंह मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले एक दिवसीय तिमुण्डिया मेले शनिवार शाम 6 बजे सम्पन्न हुआ. बदरीनाथ धाम की यात्रा से ठीक पहले आयोजित होने वाले आस्था, चमत्कार, अविश्वसनीय के प्रतीक तिमुण्डिया मेले को देखने हजारों मेलार्थी जोशीमठ के नरसिंग मंदिर प्रांगण में जुटे. मेले में तिमुण्डिया के पश्वा को एक बकरी, 20 किलो कच्चा चावल, 10 किलो गुड़, दो घड़े पानी पीते देख सब दंग रह गये. तिमुण्डिया पूजा में बदरीनाथ धाम की सुगम यात्रा की भी कामना की गई. हर साल तिमुण्डिया मेला बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से एक हफ्ते पहले शनिवार या मंगलवार को आयोजित किया जाता है.

तिमुण्डिया मेले का हुआ समापन.

शनिवार शाम 4 बजे से नरसिंग मंदिर जोशीमठ के प्रांगण में पारंपरिक बाद्य यंत्र ढोल, दमाऊ के साथ तिमुण्डिया पूजा शुरू की गई. पूजा शुरू होने से पहले ही नरसिंग मंदिर परिसर लोगों से खचाखच भर गया था. पूजा की शुरुआत में देव पुजाई समिति के कार्यलय से समिति के पदाधिकारियों और देवता के पश्वा को ढोल दमाऊ के साथ नरसिंह मंदिर के प्रांगण में लाया गया. इसके बाद मंदिर प्रांगण में मां दुर्गा का पवित्र आवाम लाठ लाया गया, जिसमें मां दुर्गा की शक्ति विद्यमान रहती है. मां दुर्गा के लाठ को प्रांगण में पहुंचाने के बाद नवदुर्गा, चंडिका, भुनेश्वरी, धाणी देवता और तिमुण्डिया के पश्वा नाचते हैं. इस दौरान सभी देवी-देवताओं को घड़ों में भरे जल से स्नान कराया जाता है.

पढ़ें- रुद्रप्रयाग के जंगलों में लगी आग, आसपास के गांवों पर मंडराया खतरा

क्या है मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि तिमुण्डिया नामक तीन सिरों वाला राक्षस हुआ करता था. ह्यूना के जंगलों में इस राक्षस ने बड़ा आतंक मचा रखा था. हर दिन तिमुण्डिया राक्षस एक मनुष्य का भक्षण करता था. गांव वालों के फैसले के अनुसार प्रतिदिन एक व्यक्ति को राक्षस का शिकार बनने के लिए जंगल जाना पड़ता था. एक दिन मां दुर्गा देवयात्रा पर थी, लेकिन राक्षस के डर से कोई भी ग्रामीण मां के स्वागत के लिए नहीं आया. जब मां दुर्गा को यह बात पता चली तो उन्होंने गांव वालों को राक्षस का निवाला बनने के लिए जाने से मना कर दिया. इससे क्रोधित होकर तिमुण्डिया राक्षस गांव आ धमका.

राक्षस के गांव पहुंचते ही वहां मौजूद मां दुर्गा और तिमुण्डिया राक्षस के बीच भयंकर युद्ध हुआ. मां दुर्गा ने तिमुण्डिया राक्षस के तीन सिरों में से दो सिर काट दिए. इसके बाद जैसे ही मां दुर्गा तिमुण्डिया राक्षस का तीसरा सिर काटने लगी तो राक्षस ने मां दुर्गा के समक्ष आत्मसमपर्ण कर दिया. मां दुर्गा तिमुण्डिया राक्षस पर प्रसन्न हुईं और उसे अपना वीर बना लिया. साथ ही तिमुण्डिया राक्षस से वचन लिया कि वो मनुष्य का भक्षण नहीं करेगा. इसी वजह से ग्रामीणों के द्वारा प्रतिवर्ष राक्षस को एक बकरा, चावल, गुड़, पानी दिया जाता है.

चमोली: जिले में जोशीमठ के नृसिंह मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले एक दिवसीय तिमुण्डिया मेले शनिवार शाम 6 बजे सम्पन्न हुआ. बदरीनाथ धाम की यात्रा से ठीक पहले आयोजित होने वाले आस्था, चमत्कार, अविश्वसनीय के प्रतीक तिमुण्डिया मेले को देखने हजारों मेलार्थी जोशीमठ के नरसिंग मंदिर प्रांगण में जुटे. मेले में तिमुण्डिया के पश्वा को एक बकरी, 20 किलो कच्चा चावल, 10 किलो गुड़, दो घड़े पानी पीते देख सब दंग रह गये. तिमुण्डिया पूजा में बदरीनाथ धाम की सुगम यात्रा की भी कामना की गई. हर साल तिमुण्डिया मेला बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से एक हफ्ते पहले शनिवार या मंगलवार को आयोजित किया जाता है.

तिमुण्डिया मेले का हुआ समापन.

शनिवार शाम 4 बजे से नरसिंग मंदिर जोशीमठ के प्रांगण में पारंपरिक बाद्य यंत्र ढोल, दमाऊ के साथ तिमुण्डिया पूजा शुरू की गई. पूजा शुरू होने से पहले ही नरसिंग मंदिर परिसर लोगों से खचाखच भर गया था. पूजा की शुरुआत में देव पुजाई समिति के कार्यलय से समिति के पदाधिकारियों और देवता के पश्वा को ढोल दमाऊ के साथ नरसिंह मंदिर के प्रांगण में लाया गया. इसके बाद मंदिर प्रांगण में मां दुर्गा का पवित्र आवाम लाठ लाया गया, जिसमें मां दुर्गा की शक्ति विद्यमान रहती है. मां दुर्गा के लाठ को प्रांगण में पहुंचाने के बाद नवदुर्गा, चंडिका, भुनेश्वरी, धाणी देवता और तिमुण्डिया के पश्वा नाचते हैं. इस दौरान सभी देवी-देवताओं को घड़ों में भरे जल से स्नान कराया जाता है.

पढ़ें- रुद्रप्रयाग के जंगलों में लगी आग, आसपास के गांवों पर मंडराया खतरा

क्या है मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि तिमुण्डिया नामक तीन सिरों वाला राक्षस हुआ करता था. ह्यूना के जंगलों में इस राक्षस ने बड़ा आतंक मचा रखा था. हर दिन तिमुण्डिया राक्षस एक मनुष्य का भक्षण करता था. गांव वालों के फैसले के अनुसार प्रतिदिन एक व्यक्ति को राक्षस का शिकार बनने के लिए जंगल जाना पड़ता था. एक दिन मां दुर्गा देवयात्रा पर थी, लेकिन राक्षस के डर से कोई भी ग्रामीण मां के स्वागत के लिए नहीं आया. जब मां दुर्गा को यह बात पता चली तो उन्होंने गांव वालों को राक्षस का निवाला बनने के लिए जाने से मना कर दिया. इससे क्रोधित होकर तिमुण्डिया राक्षस गांव आ धमका.

राक्षस के गांव पहुंचते ही वहां मौजूद मां दुर्गा और तिमुण्डिया राक्षस के बीच भयंकर युद्ध हुआ. मां दुर्गा ने तिमुण्डिया राक्षस के तीन सिरों में से दो सिर काट दिए. इसके बाद जैसे ही मां दुर्गा तिमुण्डिया राक्षस का तीसरा सिर काटने लगी तो राक्षस ने मां दुर्गा के समक्ष आत्मसमपर्ण कर दिया. मां दुर्गा तिमुण्डिया राक्षस पर प्रसन्न हुईं और उसे अपना वीर बना लिया. साथ ही तिमुण्डिया राक्षस से वचन लिया कि वो मनुष्य का भक्षण नहीं करेगा. इसी वजह से ग्रामीणों के द्वारा प्रतिवर्ष राक्षस को एक बकरा, चावल, गुड़, पानी दिया जाता है.

Intro:चमोली जनपद में जोशीमठ के नृसिंह मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले एक दिवसीय तिमुण्डिया मेला आज 6 बजे सांय को सम्पन्न हो गया।बद्रीनाथ धाम की यात्रा से ठीक पहले आयोजित होने वाले आस्था,चमत्कार, अविश्वसनीय, के प्रतीक तिमुण्डिया मेले को देखने हजारो की संख्या में मेलार्थी जोशीमठ के नरसिंग मंदिर प्रांगण में जुटे हुए थे।मेले में जिसने भी तिमुण्डिया के पशवा को भारी मात्रा में चावल, पानी,गुड़ और जिंदा बकरा खाते देखा उसने दांतो तले अंगुली दबा दी।


Body:बताते चले कि आज सांय 4 बजे से नरसिंग मंदिर जोशीमठ के प्रांगण में पारम्परिक बाद्य यंत्र ढोल, दमो के साथ तिमुण्डिया पूजा शुरू की गई ,पूजा शुरू होने से पूर्व ही नरसिंग मंदिर परिसर लोगो से खचाखच भर गया था।प्रतिवर्ष तिमुण्डिया मेला बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से एक हफ्ते पूर्व शनिवार या मंगलवार को आयोजित की जाती है ।लोगो की भीड़ बढ़ने के कारण और अव्यवस्था फैलने के भय से पूजा की निर्धारित की गईं तिथि को ज्यादातर गोपनीय रखा जाता है ।तिमुण्डिया पूजा में बद्रीनाथ धाम की सुगम यात्रा की भी कामना की गई।आज पूजा की शुरुवात में देव पुजाई समिति के कार्यलय से समिति के पदाधिकारियों और देवता के पस्वाओ को ढोल दमो के साथ नरसिंह मंदिर के प्रांगण में ले जाया गया ,जिसके बाद मंदिर प्रांगण में माँ दुर्गा का पवित्र आवाम लाठ लाया जाता है ,जिसके अंदर कि माँ दुर्गा की शक्ति विद्यमान रहती है ।मां दुर्गा के लाठ को प्रांगण में पहुंचने के बाद नवदुर्गा,चंडिका, भुनेश्वरी, धाणी देवता और तिमुण्डिया के पस्वा पकड़कर नाचते है ।और नाचने के बाद सभी देवी देवता घडो में भरे जल से स्नान करते है और तब अवतरित होता है तिमुण्डिया वीर।और फिर शुरू होता है तिमुण्डिया का रौद्र रूप जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आज के दिन जोशीमठ पहुंचते है।तिमुण्डिया का पश्वा जब रौद्र रूप में आया तो उसके द्वारा एक जिंदा बकरा ,10 किलो करीब गुड़,20 किलो चावल ,और दो घड़े पानी पीता देख पूजा देखने आई जनता हक्का बक्का रह गई।

बाईट-स्थानीय
बाईट-मेलार्थी
बाईट -मेलार्थी


Conclusion:पौराणिक मान्यता है कि तिमुण्डिया नाम का एक तीन सिरों वाला राक्षस हुआ करता था।ह्यूना के जंगलो में इस राक्षस ने बड़ा आतंक मचा रखा था।हर दिन तिमुण्डिया राक्षस एक मनुष्य का भक्षण करता था।गांववालो के फैसले के अनुसार प्रतिदिन एक व्यक्ति को राक्षस का शिकार बनने के लिए जंगल जाना पड़ता था।एक दिन माँ दुर्गा देवयात्रा पर थी,लेकिन राक्षस की डर से कोई भी ग्रामीण माँ दुर्गा के स्वागत के लिए नही आये।जब माँ दुर्गा को यह बात पता चली तो माँ दुर्गा ने गांव वालों को राक्षस के पास राक्षस का निवाला बनने के लिए जाने से मना कर दिया।जब तिमुण्डिया राक्षस को यह पता चला तो वह क्रोधित होकर गांव में आ धमका।गांव में पहले से ही मौजूद माँ दुर्गा और तिमुण्डिया राक्षस के बीच भयंकर युद्ध हुआ,मां दुर्गा ने तिमुण्डिया राक्षस के तीन सिरों में से दो सिर काट दिए ,जैसे ही माँ दुर्गा तिमुण्डिया राक्षस का तीसरा सिर काटने ही वाली होती है ,तिमुण्डिया राक्षस माँ दुर्गा के समक्ष आत्मसमपर्ण कर देता है , मां दुर्गा तिमुण्डिया राक्षस की वीरता को देखकर प्रसन्न होकर तिमुण्डिया को अपना वीर बना लेती हैं।साथ ही तिमुण्डिया राक्षस से वचन लेती है कि वह आज से मनुष्य का भक्षण नही करेगा।और ग्रामीणों के द्वारा प्रतिवर्ष उसको एक बकरा,चावल,गुड़,पानी ,दिया जाएगा।जिस परम्परा का निर्वहन आज भी जोशीमठ के लोग तिमुण्डिया पूजा के रूप में करते आ रहे है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.